वक्त अब पलट चुका है. जिन अंग्रेजों ने कभी भारत की सरजमीं पर करीब 200 सालों तक राज किया था. आज उन्ही की सरजमीं पर भारतीय कारोबारियों ने धीरे-धीरे अपना कब्जा जमा लिया है. आजादी के बाद भी बिजनेस पर ब्रिटिश कंपनियों का दबदबा रहा था. टाटा, बिड़ला, गोदरेज जैसे भारतीय कारोबारी घराने अलग-अलग क्षेत्रों में अव्वल तो थीं, लेकिन ब्रिटिश ब्रांडों का ज्यादातर सेक्टर्स में दबदबा था. धीरे-धीरे भारतीय बिजनेसमैन और कंपनियों ने अपने कारोबार का विस्तार किया और अपना कब्जा जमाया. हाल ही में टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस ने ब्रिटेन में इलेक्ट्रिक बैटरी बनाने की फैक्ट्री लगाने के लिए 5.2 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया. ब्रिटेन के ऑटोमोबाइल सेक्टर में ये अब तक के सबसे बड़े Investment में शामिल होगा. ब्रिटेन में बनने जा रहे इस प्लांट में हर साल 40 गीगावॉट सेल बनाए जाएंगे. इलेक्ट्रिक बैटरी के निर्माण के लिए भारत के बाहर ये टाटा की पहली गीगाफैक्ट्री होगी.
ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने भरोसा जताया है कि टाटा संस के इस प्लांट से ब्रिटेन में रोजगार के हजारों नए मौके पैदा होंगे. इसके साथ ही सुनक ने ब्रिटेन में इलेक्ट्रिक वाहनों को भी इस प्लांट के जरिए बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई है. 2026 में यहां से उत्पादन शुरू होने के बाद जगुआर लैंडरोवर और टाटा मोटर्स इस बैटरी प्लांट के मुख्य ग्राहक होंगे. हालांकि अभी तक ये तो साफ नहीं किया गया है कि किस तरह के इंसेंटिव्स देकर ब्रिटेन ने टाटा संस को लुभाया है लेकिन अनुमान जताया जा रहा है कि ब्रिटेन सरकार से टाटा संस को करोड़ों पाउंड की सब्सिडी मिलेगी.
Diligenta: टाटा समूह के बारे में कहा जाता है कि इसने आजाद भारत में Reverse Colonialism का दौर लाया. टाटा ने कई विदेशी कंपनियों खासकर ब्रिटिश ब्रांडों की खरीदारी की है. ब्रिटिश आईटी कंपनी Diligenta भी इस कड़ी का हिस्सा है. इसे खरीदा है टाटा समूह की आईटी कंपनी TCS ने. TCS भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी और दूसरी सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी है. Diligenta टीसीएस की सब्सिडियरी के तौर पर काम करती है. यह कंपनी अमेरिका और यूरोपीय देशों में रिटेल, फाइनेंस, बैंकिंग जैसे सेक्टरों को आईटी सर्विस प्रोवाइड करती है.
Corus Group: टाटा की अभी तक की गई शॉपिंग की लिस्ट में ये तीसरा बड़ा ब्रिटिश ब्रांड है. Corus Group दुनिया भर के स्टील मार्केट में ब्रिटेन का झंडा बुलंद करती थी. ब्रिटेन की इस सबसे बड़ी स्टील कंपनी को टाटा समूह की टाटा स्टील लिमिटेड ने 2007 में खरीद लिया. अब इसे Tata Steel Europe नाम से जाना जाता है. इसे खरीदने के साथ ही यूरोप के स्टील मार्केट में टाटा की एंट्री हो गई.
Jaguar Land Rover: यह लग्जरी कार कंपनी कभी दुनिया में ब्रिटिश प्राइड की प्रतिनिधि हुआ करती थी. बाद में इसे अमेरिकी कंपनी फोर्ड मोटर्स ने खरीदा. फिर 2008 में इसे बेचने दिया और ये इंडियन कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड के पास आ गई. टाटा के हाथों में आते ही जगुआर लैंड रोवर की किस्मत चमक गई.
ब्रिटेन की इन कंपनियों पर भारत का कब्जा
Royal Enfield
Tetley Tea
Corus Group
Diligenta
Hamleys
The East India Company
Jaguar Land Rover
Optare
BSA Motorcycles
Imperial Energy
ऐसा नहीं कि सिर्फ टाटा ग्रुप ने अपना परचम लहराया है. हिंदुजा और मित्तल समेत कई ऐसे कारोबारी है जिन्होंने ब्रिटेन में रहते हुए अपनी धाक जमाई है. ब्रिटेन के मशहूर The Sunday Times 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में भारतीय मूल में सबसे धनी व्यक्ति श्री चंद और गोपीचंद हिंदुजा एवं परिवार है. पिछले साल इस लिस्ट में वो तीसरे स्थान पर थे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक
कुल संपत्ति 28.47 अरब पाउंड (करीब 2757.85 अरब रुपये) है.
हिंदुजा परिवार कई तरह के कारोबार करता है और कमर्शियल व्हीकल बनाने वाली Ashok Leyland उनके समूह की फ्लैगशिप कंपनी है.
वहीं दुनिया के स्टील किंग माने जाने वाले आर्सेलर मित्तल के प्रमुख लक्ष्मी मित्तल भी भारतीय मूल के दूसरे सबसे अमीर ब्रिटिश है. उनकी संपत्ति 17 अरब पाउंड (करीब 1646.77 अरब रुपये) है.
The East India Company
इस कंपनी का नाम भला कौन भारतीय नहीं जानता होगा! इसके जिक्र के बिना ये लिस्ट अधूरी है. 1857 तक भारत पर इसी कंपनी का कब्जा था, जिसे कंपनी राज के नाम से इतिहास में पढ़ाया जाता है. कभी ये कंपनी एग्री से लेकर माइनिंग और रेलवे तक सारे काम करती थी. भारतीय मूल के बिजनेसमैन संजीव मेहता ने इसे खरीदने के बाद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बना दिया. अभी यह कंपनी चाय, कॉफी, चॉकलेट आदि की ऑनलाइन बिक्री करती है.
अब भारतीयों ने विदेशों में कैसे अपने नाम का परचम लहराया है ये आपके सामने है.
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