राजस्थान में इन दिनों विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Elections) की सरगर्मी तेज हो गई है। सत्ताधारी कांग्रेस (Congress) और विपक्षी बीजेपी (BJP) के बीच चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा है। बीजेपी की परिवर्तन संकल्प यात्रा के समापन पर जीत का मंत्र देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) राजस्थान पहुंचे थे। इस दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे मंच पर तो साथ दिखीं, लेकिन इस यात्रा में वसुंधरा राजे ज्यादातर समय गायब रहीं। इसके बाद मंच से जो सिग्नल मिला उससे रानी वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों के बीच हलचल बढ़ गई है। लोगों के मन में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। क्या राजस्थान में कोई नई खिचड़ी पक रही है? क्या वसुंधरा राजे प्रेशर पॉलिटिक्स कर रही हैं ?
राजस्थान में वसुंधरा राजे को बीजेपी का सबसे मजबूत चेहरा माना जाता है। वो दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से उनकी पार्टी के साथ कुछ मतभेद चल रहे हैं। इस वजह से उनका चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होना कई सवाल खड़े कर रहा है। राज्य में चुनाव से जुड़ी दो अहम समितियों - प्रदेश संकल्प पत्र समिति और चुनाव प्रबंधन समिति में जगह नहीं दिये जाने के बावजूद उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी तक जाहिर नहीं की। वसुंधरा को पिछले विधानसभा चुनाव से पहले आयोजित परिवर्तन यात्रा हो या बीजेपी की सुराज संकल्प यात्रा या फिर कोई दूसरी चुनावी यात्रा। उन सभी यात्राओं में उन्हें अहम भूमिका निभाते देखा गया। लेकिन, इस बार राजस्थान में जब बीजेपी ने प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से चार अलग-अलग परिवर्तन यात्राएं शुरू कीं तो वसुंधरा को सीधा नेतृत्व नहीं दिया गया। वो केंद्रीय नेतृत्व के साथ मंच साझा करतीं तो नजर आईं। लेकिन, बाद में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ चलाई जा रही इस परिवर्तन यात्रा में वो करीब 18 दिनों तक दूर रहीं। हालांकि, इसके पीछे उनके निजी पारिवारिक मसलों को भी एक बड़ी वजह बताया जा रहा है। वसुंधरा राजे की बहू एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और उनका दिल्ली में इलाज चल रहा है। इसलिए उन्हें दिल्ली में भी ही रहना पड़ रहा है।
बदले-बदले हैं वसुंधरा के अंदाज !
राजनीति के जानकारों का मानना है कि राजस्थान चुनाव से सीधे तौर पर जुड़े दिल्ली के शीर्ष नेताओं और वसुंधरा राजे के बीच एक खालीपन पैदा हो गया है। इस गतिरोध को देखते हुए कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ महीनों के दौरान वसुंधरा राजे ने लगातार पार्टी के आला नेताओं के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की है। वसुंधरा राजे पिछले 10 दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए हुए थीं। इसके बाद अब उनकी तस्वीर सीएम गहलोत के साथ नजर आई है। दरअसल, राजस्थान के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के उद्घाटन के मौके पर सीएम गहलोत और वसुंधरा राजे की मुलाकात हुई। सामने आई तस्वीर में दोनों कुछ देर तक एक दूसरे से बातचीत करते नजर आ रहे हैं। इस मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
वसुंधरा राजे पर बीजेपी का सस्पेंस कायम
कुछ लोगों का मानना है कि ये मुलाकात दोनों नेताओं के बीच किसी समझौते की ओर इशारा करती है। वहीं, कुछ लोग इसे महज औपचारिक मुलाकात बता रहे हैं। राजस्थान में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में ये मुलाकात राजनीतिक तौर पर काफी अहम है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस मुलाकात के बाद दोनों पार्टियों के बीच क्या होता है। वसुंधरा राजे पर बीजेपी का सस्पेंस कायम है। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे लगातार अपनी भूमिका स्पष्ट करने की मांग करती रही हैं। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी आलाकमान की ओर से उन्हें कोई अहम भूमिका नहीं दी गई। इससे पार्टी ने ये मैसेज तो दे ही दिया है कि वरिष्ठता और लोकप्रियता का सम्मान है।
बीजेपी हाईकमान का प्लान
BJP ने कर्नाटक की तर्ज पर बदलाव का मन बना लिया है। इसी वजह से पार्टी ज्यादातर सीटों पर नए उम्मीदवारों को टिकट देगी। मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में भी बीजेपी ने कई सांसदों को भी विधायकी में उतारने का मन बना लिया और इसके लिए पार्टी कोई भी जोखिम उठाने को तैयार है। बीजेपी हर बार चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करती आई है लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में पार्टी पीएम मोदी के चेहरे के भरोसे है। पिछले 20 साल से बीजेपी का प्रमुख चेहरा रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को फ्रंट में नहीं रखा गया।
वसुंधरा को बीजेपी नाराज नहीं कर सकती
क्योंकि सत्ता से बाहर रहने और लंबे वक्त से आला नेताओं की बेरुखी झेलने के बावजूद भी वसुंधरा राजे काफी कद्दावर हैं। आज भी वो राज्य की 200 विधानसभा सीटों में से 60-70 पर चुनाव हराने का दम-खम रखती हैं। जाट, राजपूत और गुर्जर वोटर्स पर अच्छी पकड़ रखने वाली वसुंधरा राजे राज्य की महिला वोटर्स के बीच काफी लोकप्रिय हैं। उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक ताकत से बीजेपी भी अच्छी तरह वाकिफ है। इसलिए उन्हें मैनेज करने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जे.पी. नड्डा के कार्यक्रमों में उन्हें मंच पर जगह दी जा रही है। यहां तक कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में राजस्थान के सांसदों के साथ मीटिंग की तो सांसद न होने के बावजूद उन्हें मीटिंग में बुलाया गया।
राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी जल्द ही अपने 50 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के उलट बीजेपी राजस्थान में सिर्फ कमजोर सीटों पर ही उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं करेगी, बल्कि मजबूत सीटों पर भी अपने उम्मीदवार घोषित करेगी। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी राजस्थान में ए केटेगरी की 29 सबसे मजबूत सीटों पर कैंडिडेट घोषित करेगी। इसके साथ ही डी कैटेगरी की सबसे कमजोर मानी जाने वाली 19 सीटों पर भी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया जा सकता है।
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