20 मार्च 2020 को मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कांग्रेस को सरकार गंवानी पड़ी थी। सिंधिया समर्थक 19 विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। सभी ने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए उपचुनाव में 13 जीते। इनमें से 9 को बीजेपी सरकार में मंत्री बनाया गया। अब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए इन 9 में से 6 मंत्रियों के खिलाफ उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इनमें तीन सिंधिया समर्थक भी शामिल हैं, जो कुछ महीने पहले ही कांग्रेस में लौटे हैं।
सांवेर से तुलसीराम सिलावट विधायक हैं। 2020 में सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे और कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डु को उपचुनाव में हराया था। इस बार कांग्रेस ने यहां से प्रेमचंद गुड्डु की बेटी रीना बौरासी सेतिया को प्रत्याशी बनाया है। रीना पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। प्रेमचंद गुड्डु भी 2018 में बीजेपी में थे, लेकिन तुलसीराम के बीजेपी में शामिल होने के बाद 2020 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं सागर जिले की सुरखी सीट पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ कांग्रेस ने नीरज शर्मा को उतारा है। नीरज दो महीने पहले ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। नीरज पुराने भाजपाई भी हैं। ऐसे में उन्हें बीजेपी के असंतुष्ट गुट का समर्थन मिल सकता है। देवास जिले की हाट पिपल्या सीट से कांग्रेस ने राजवीर सिंह बघेल को उम्मीदवार बनाया है। वो पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह बघेल के बेटे हैं। इस सीट से बीजेपी के मनोज चौधरी विधायक हैं। 2020 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। फिर उपचुनाव में जीते थे। इस बार भी बीजेपी ने मनोज पर ही दांव लगाया है। इस सीट पर बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर्स हैं। कांग्रेस ने राजवीर सिंह बघेल को मैदान में उतारकर उनकी जाति के वोटर्स और मुस्लिम वोटर्स के सहारे बीजेपी को मात देने की रणनीति बनाई है।
सिंधिया समर्थक प्रत्याशियों के लिए बिछाया जाल
ग्वालियर जिले की डबरा सीट से कांग्रेस के सुरेश राजे विधायक हैं। कांग्रेस ने एक बार फिर उन्हें टिकट दिया है। राजे 2020 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब सिंधिया के साथ बीजेपी में गईं इमरती देवी के इस्तीफे की वजह से उपचुनाव हुआ था। बीजेपी ने भी एक बार फिर इमरती पर भरोसा जताया है। इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। नरोत्तम मिश्रा यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। यहां हार-जीत का फैसला सवर्ण वोटर्स करते हैं। सुरेश राजे को एसटी वोटरों के साथ-साथ सवर्ण वोटरों में अच्छी पैठ होने से जीत मिली थी।
कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर
गुना जिले की बमोरी सीट से मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया विधायक हैं। सर्वे के आधार पर कांग्रेस ने कन्हैया लाल अग्रवाल के बेटे ऋषि अग्रवाल को टिकट दिया है। कन्हैया लाल जुलाई 2020 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। वो 2020 में हुए उपचुनाव में महेंद्र सिंह सिसोदिया से हार गए थे। बमोरी में 70 प्रतिशत एसटी और ओबीसी वोटर्स हैं। यहां आदिवासी सहरिया और किरार-धाकड़ वर्ग एक साथ जिस तरफ भी जाते हैं, जीत उसी की होती है। सीएम शिवराज सिंह किरार-धाकड़ समाज से आते हैं। कांग्रेस ने अशोक नगर जिले की मुंगावली सीट से मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव के खिलाफ राव यादवेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। यादवेंद्र सात महीने पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे।
आदिवासियों को लुभाने की कोशिश
वहीं, शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट से कांग्रेस ने कुछ महीने पहले बसपा से आए कैलाश कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है। फिलहाल यहां बीजेपी का कब्जा है। विधायक सुरेश धाकड़ राज्य सरकार में मंत्री हैं। सुरेश साल 2020 में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे।पोहरी में आदिवासी और धाकड़ के बाद बड़ी संख्या में कुशवाह वोटर्स हैं। कांग्रेस ने इसी जाति के कैलाश कुशवाह को टिकट देकर बीजेपी को घेरने की रणनीति बनाई है। हालांकि बसपा में रहने की वजह से कैलाश की जाटव और आदिवासी वोटरों में भी अच्छी पकड़ है।
ठाकुर-ब्राह्मण वोटर्स निभाएंगे निर्णायक भूमिका
भिंड जिले की मेहगांव सीट से कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के भांजे राहुल भदौरिया को उतारा है। इस सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी के ओपीएस भदौरिया का कब्जा है। ओपीएस प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। 2020 में वो सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। इस सीट पर ठाकुर और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक हैं। कांग्रेस भदौरिया वोटों में सेंध लगाने के साथ ब्राह्मण, जैन, मुस्लिम, गुर्जर वोटरों को साधकर इस सीट को जीतने का प्लान बना रही है।
जनता के सामने प्रत्याशियों का दावा
कांग्रेस ने अशोक नगर विधानसभा सीट से इंजीनियर हरिबाबू राय को प्रत्याशी बनाया है। वो छत्तीसगढ़ में तैनात थे। वीआरएस लेकर राजनीति में आये हैं। पिछले 5 साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। साल 2018 में उन्होंने बीजेपी से दावेदारी की थी। जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस का दामन थाम लिया। साल 2020 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन ऐन वक्त पर नाम कट गया। फिलहाल यहां से बीजेपी के जजपाल सिंह जज्जी विधायक हैं। जाति प्रमाणपत्र मामले में उन्हें हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।
दतिया में कार्यकर्ताओं का मंथन
इसी तरह दतिया जिले की भांडेर सीट पर कांग्रेस ने 2020 में बीएसपी छोड़कर आए फूल सिंह बरैया पर फिर से दांव लगाया है। उपचुनाव 2020 में वो बीजेपी की रक्षा संतराम सरोनिया से चुनाव हार गए थे। कांग्रेस ने एक बार फिर ग्वालियर पूर्व सीट से मौजूदा विधायक सतीश सिकरवार को प्रत्याशी बनाया है। 2020 में सतीश सिकरवार बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब मुन्ना लाल गोयल के इस्तीफे की वजह से उपचुनाव हुआ था। वहीं, भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट से बीजेपी ने पूर्व विधायक लाल सिंह आर्य को प्रत्याशी बनाया है। पार्टी ने पिछला चुनाव हारे सिंधिया समर्थक रनवीर जाटव का टिकट काटा है।
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