क्या होगा कांग्रेस की त्रिमूर्ति का, आखिर राजस्थान, MP और छत्तीसगढ़ चुनावी मैदान में बीजेपी का ‘वन मैन शो’

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चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया।लेकिन, इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव 2013 और 2018 के चुनाव से अलग हैं। पीएम नरेंद्र मोदी जहां कमल के निशान पर जीत का दावा कर रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश में पूर्व सीएम कमलनाथ और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के चेहरे पर ताल ठोक रही है। हालांकि इसके पीछे दोनों पार्टियों की सोची-समझी रणनीति है। 

राजस्थान में बीजेपी ने स्थानीय नेताओं के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रियों को भी मैदान में उतारा है। प्रधानमंत्री मोदी एक साल में 9 बार राजस्थान आ चुके हैं और अब तक 150 सीटों के 3.80 करोड़ वोटर्स तक पहुंच चुके हैं। यानी इस चुनाव में मोदी का चेहरा ही सबसे बड़ा सिंबल होगा। वहीं कांग्रेस में अब तक राहुल गांधी ने सालभर में महज तीन रैलियां की है। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी दो से तीन दौरे कर चुके हैं। अब पीएम मोदी को मात देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी तीन हजार किमी के सफर पर निकल गए है। वो बीस जिलों की करीब 100 सीट कवर करेंगे। इस दौरान वो जनता के सामने हर योजनाओं को जनता के सामने रखते हुए बीजेपी के द्वारा उठाए जा रहे सवाल का जवाब भी देंगे। साल 2003 से लेकर पिछले चुनाव तक बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए सीएम फेस घोषित करके चुनाव लड़ा। ऐसे में लड़ाई वसुंधरा राजे वर्सेज अशोक गहलोत या फिर वसुंधरा राजे वर्सेज कांग्रेस रही। लेकिन, इस बार बीजेपी सामूहिक लीडरशिप पर चुनाव लड़ने जा रही है। पीएम नरेंद्र मोदी घोषणा कर चुके हैं कि बीजेपी किसी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेगी बल्कि कमल के निशान पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। इससे साफ है कि राजस्थान का कोई भी एक नेता चुनाव में चेहरा नहीं होगा। 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की रणनीति क्या है?

वहीं मध्य प्रदेश की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 बार मध्यप्रदेश के दौरे पर आ चुके हैं। मोदी प्रदेश के 25 जिलों की करीब 140 विधानसभा सीटों को कवर कर चुके हैं। पीएम मोदी अपने भाषणों में गरीबी, महिलाओं, दलित-आदिवासियों के अलावा पसमांदा मुसलमानों की बात करते हैं। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण को लेकर वो पूर्व सीएम कमलनाथ समेत विपक्षी पार्टियों पर हमलावर भी दिखाई देते हैं। ऐसे में लड़ाई कमलनाथ वर्सेज नरेंद्र मोदी है। हालांकि कमलनाथ की पकड़ आदिवासी वोटरों पर बहुत अच्छी है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1.53 करोड़ से ज्यादा थी। अगर बात वर्तमान समय की करें तो फिलहाल आदिवासी समुदाय की आबादी करीब 1.75 करोड़ है, जो सूबे की कुल जनसंख्या का 22 पर्सेंट है। वहीं, राज्य की 35 विधानसभा सीटों पर आदिवासी मतदाता 50 हजार से ज्यादा हैं। कुल मिलाकर आदिवासी समुदाय का असर 84 सीटों पर है।  

छत्तीसगढ़ में बिछ चुकी चुनावी बिसात 

छत्तीसगढ़ में भी मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी के बीच है। यहां प्रधानमंत्री मोदी अब तक पांच दौरे कर चुके हैं। वहीं, बीजेपी के कई बड़े नेता छत्तीसगढ़ का लगातार दौरा कर रहे हैं। जबकि पिछले 7 महीने में प्रियंका गांधी चार बार आ चुकी हैं। इसके अलावा कांग्रेस राहुल गांधी के ‘युवा संवाद’ कार्यक्रम के जरिए नई पीढ़ी के वोटर्स को अपने पाले में रखने की कोशिश कर रही है।  क्योंकि छत्तीसगढ़ में युवा वोटर्स की तादाद करीब 48 लाख है, जिनमें से 4.43 लाख वोटर पहली बार वोट डालेंगे।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीएम मोदी के बीच सही और झूठ को लेकर जुबानी जंग भी तेज हो गई है। हाल ही में छत्तीसगढ़ दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि आवारा कुत्तों और बिल्लियों से ज्यादा ईडी और आयकर विभाग के कर्मी घूम रहे हैं। मुख्यमंत्री बघेल ने चेतावनी देते हुए कहा, अगर बीजेपी सरकार में कोई जेल गया तो उसे जमानत नहीं मिलेगी। दरअसल, छत्तीसगढ़ के दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि राज्य में भ्रष्ट लोग उनका सामना नहीं कर सकते हैं, इसलिए नगरनार स्टील प्लांट के उद्घाटन में भाग लेने से डरते हैं। इसका जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री बघेल ने टिप्पणी की कि बीजेपी सरकार में पत्रकारों को भी जेल भेजा जा रहा है, जिससे ये समझ में आता है कि लोग क्यों डरते हैं।  

PM VS CM का चुनाव 

बेशक पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे और नाम से भारतीय जनता पार्टी ने 10 साल में कई विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की, लेकिन अब कई राज्यों में स्थिति बदल रही है। बात अगर पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश में हुए चुनाव की करें तो बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। पीएम वर्सेज सीएम का चुनाव करने में रिस्क बीजेपी को ज्यादा है। अगर चुनाव में नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं आए तो प्रधानमंत्री का चेहरा दांव पर होता है और ऐसे में विपक्ष को घेरने का मौका मिलता है। ऐसा कर्नाटक, बंगाल और हिमाचल प्रदेश में हो चुका है।

PM मोदी के फेस पर बीजेपी किन-किन राज्यों में जीती?

नरेंद्र मोदी अब भी बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चेहरा हैं और उनके नाम पर दूसरे प्रदेशों में भी पार्टी को अच्छे वोट मिल जाते हैं। अगर 2022 की बात करें तो इस साल गुजरात और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई। 2022 में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में से चार में बीजेपी जीती। उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी मोदी का जादू दिखा और बीजेपी सत्ता में आई। हालांकि पंजाब में आम आदमी पार्टी को जीत मिली। 

पिछले 10 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं। वैश्विक और राजनीतिक के साथ-साथ ऐसी खबरें लिखने का शौक है जो व्यक्ति के जीवन पर सीधा असर डाल सकती हैं। वहीं लोगों को ‘ज्ञान’ देने से बचता हूं।

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