अमेठी से राहुल गांधी फिर से चुनावी ताल ठोक सकते हैं, जिसके बाद से राजनीति में उथल-पुथल मचना तय माना जा रहा है.
गांधी परिवार का गढ़ अमेठी, जहां से राजीव गांधी से लेकर संजय गांधी तक ने चुनाव लड़ा, सोनिया गांधी ने भी सियासी सफर यहीं से शुरू किया, ऐसा दावा किया जा रहा है कि अब अमेठी से राहुल गांधी फिर से चुनावी ताल ठोक सकते हैं, जिसके बाद से राजनीति में उथल-पुथल मचना तय माना जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव का जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सियासी दलों ने बिसात बिछाना शुरु कर दिया है. यूपी कांग्रेस के नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष बने अजय राय ने जो कहा उसके बाद से तो ऐसा लगने लगा है कि राहुल अब अमेठी से चुनावी ताल ठोकेंगे.
अभी तक कांग्रेस ने 2024 के लिए विपक्ष के 26 दलों का गठबंधन INDIA बनाकर टीम NDA पर प्रहार करने की कोशिश की. लेकिन,अब कांग्रेस ने राहुल गांधी की 2024 में लॉन्चिंग कैसे होने वाली है, ये भी तकरीबन साफ कर दिया है. क्या राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे? इस पर कांग्रेस प्रदेश अजय राय ने कहा है कि बिल्कुल लड़ेंगे और अमेठी के लोग यहां आए हैं. प्रियंका गांधी जहां से कहेंगी उनका पूरा समर्थन हम करेंगे. वहीं स्मृति ईरानी पर कहा कि वो बौखलाई हुई हैं. उन्होंने कहा था कि कमल का बटन दबाइए 13 रुपए किलो चीनी मिलेगी, क्या वो दिलवा पाईं? अब अजय राय के बयान से तो साफ है कि UP चुनाव के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है और अमेठी जिसे कांग्रेस की पारंपरिक सीट माना जाता है वहीं से राहुल गांधी चुनावी मैदान में उतरेंगे, ये वही अमेठी है जहां से स्मृति ईरानी ने राहुल को सबसे बड़ा सियासी झटका 2019 के चुनाव में दिया था. अमेठी में अभी राहुल और स्मृति का मुकाबला 1-1 से बराबर चल रहा है, 2014 में राहुल ने करीब 90 हजार वोटों से जीत दर्ज की. वहीं 2019 में स्मृति ईरानी ने 55 हजार 120 वोटों से मात दी थी. 2019 में 21 साल बाद कांग्रेस हारी थी.
अमेठी से गांधी परिवार के रिश्ते का इतिहास
अमेठी वो सीट है, जहां गांधी परिवार के चार सदस्यों ने अपने सियासी करियर की शुरूआत की, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हैं. अगर गांधी परिवार की बात करें तो संजय गांधी के बाद अमेठी से हारने वाले राहुल गांधी दूसरे सदस्य थे. इमरजेंसी के दौरान 1977 में संजय गांधी को यहां से शिकस्त मिली थी. वैसे मौजूदा हालात में राहुल की राह अमेठी में आसान होती नहीं दिख रही है. क्योंकि 2004 में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले राहुल गांधी को अमेठी में करीब 67 प्रतिशत वोट मिले थे, जो कि 2009 में 72 प्रतिशत तक पहुंच गए. हालांकि स्मृति इरानी की एंट्री के साथ अमेठी का खेल बदलने लगा. 2014 के चुनाव में राहुल गांधी का वोट प्रतिशत घटकर 47 तक पहुंच गया तो वहीं स्मृति इरानी को करीब 34 प्रतिशत वोट मिले. 2019 में तो स्मृति इरानी ने इतिहास रच दिया, जहां उनका वोट प्रतिशत 50 तक पहुंच गया. जबकि राहुल गांधी 44 प्रतिशत वोट तक सिमट गए और स्मृति इरानी ने मौजूदा वक्त में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे को यूपी की सियासत से बाहर कर दिया.
बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश करेगी कांग्रेस
राहुल भले ही 2019 में इस सीट पर हार गए हों, लेकिन कांग्रेस इसी सीट से एक बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश करेगी. कांग्रेस पार्टी UP को अपनी निगाहों से ओझल नहीं होने देना चाहती है, इसीलिए राहुल को अमेठी से लड़ाकर आसपास की सीटों पर भी माहौल बना सकती है. अमेठी से अगर राहुल लड़ते हैं तो कांग्रेस I.N.D.I.A गठबंधन में ज्यादा सीटों कि डिमांड कर सकती है. 2024 की लड़ाई तगड़ी है, ये विपक्ष के I.N.D.I.A गठबंधन बनने के बाद से ही तय हो चुका है. इस लड़ाई के केंद्र में राहुल गांधी ही होने वाले हैं, ये भी साफ-साफ नजर आ चुका है, क्योंकि जैसे ही 18 जुलाई को विपक्ष के I.N.D.I.A गठबंधन की घोषणा होती है, ममता बनर्जी राहुल गांधी को अपना फेवरेट बताती हैं. अकेले ममता ही नहीं बल्कि महबूबा मुफ्ती ने भी कह दिया है कि राहुल गांधी सही ट्रैक पर हैं. लेकिन पीएम मोदी 2024 में तीसरी बार आने का दावा कर चुके हैं और राहुल गांधी पर लॉन्चिंग वाला प्रहार भी कर चुके हैं.
2024 के लिए कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस भी 2024 के लिए बहुत ही सोच समझ कर रणनीति बना रही है, सबसे पहले तो कांग्रेस ने विपक्ष के 26 दलों का गठबंधन I.N.D.I.A बनाया. ताकि मोदी और बीजेपी पर प्रेशर डाल सके और उनके NDA गठबंधन को टक्कर दे सके. दूसरा कांग्रेस ने अपनी पॉलिटिक्स को यूपी पर फोकस किया है, क्योंकि बीजेपी को सबसे ज्यादा भरोसा यूपी से है. एक तो वहां सीएम योगी आदित्यनाथ हैं, दूसरा पीएम मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ते हैं. इसीलिए कांग्रेस ने अजय राय को सोच समझकर यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है, क्योंकि ये वही अजय राय हैं जिन्होंने 2014 में वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था. अजय राय ये चुनाव हारे थे. लेकिन इस बार कह रहे हैं कि यूपी में जान लड़ा देंगे. अब आगे क्या कुछ देखने को मिलता है. इस पर सबकी निगाहें है.
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