हमारी पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चांद जो हमसे तीन लाख,84 हजार 400 किलोमीटर दूर है। जहां इंसान का जाना हाल फिलहाल तो आसान नहीं है, और न ही वहां रहना क्योंकि जीवन की बेसिक जरुरतों में शामिल ऑक्सीजन, पानी भी चांद पर नहीं है। फिलहाल चंद्रयान 3 की सफल लॉन्चिंग हो चुकी है, चांद की धरती पर पहुंच वो जानकारी जुटाएगा जो सौर मंडल को और जानने में मददगार होगी। वैसे आपने कभी न कभी हेडलाइंस में जरुर सुना होगा कि चांद पर ज़मीन खरीदी गई। खरीददार की इस लिस्ट में दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत और शाहरुख खान का नाम भी शामिल है, जो कि सही भी है। लेकिन क्या चांद पर जमीन खरीदना मुमकिन भी है, और कौन है जो चांद की जमीन बेच रहा है और चांद पर जमीन की कीमत कितनी होगी।
सुनने में भले ही आपको अजीब लगे लेकिन सुशांत सिंह राजपूत ने साल 2018 में चांद पर जमीन खरीदी थी। उन्होंने भूमि इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री से चांद पर जमीन को खरीदा था। उनकी ये जमीन चांद के 'सी ऑफ मस्कोवी' कहे जाने वाले क्षेत्र में है। तो वहीं डीएनए इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शाहरुख खान की एक ऑस्ट्रेलियाई महिला फैन किंग खान के जन्मदिन पर हर साल उनके नाम पर चांद पर जमीन खरीदती है। इसका सर्टिफिकेट भी हर साल लूनार रिपब्लिक सोसाइटी की तरफ से शाहरुख खान को दिया जाता है। वैसे चांद पर जमीन खरीदारों के नामों में टॉम क्रूज और जिमी कार्टर का भी जिक्र कुछ वेबसाइट्स पर मिलता है।
सिर्फ सेलिब्रिटीज ही क्यों, कई हेडलाइंस है जिसमे कभी पिता ने अपनी बेटी के लिए तो कभी बेटे ने अपने पिता के लिए चांद पर जमीन की खरीदी की। लेकिन क्या चांद पर जमीन खरीदना मुमकिन भी है, क्योंकि जब हम किसी से कोई चीज खरीदते हैं, तो वो पर्टिकुलर चीज उस व्यक्ति के अधिकार में होती है। लेकिन चांद पर किसका अधिकार है, क्योंकि अगर कोई देश अपनी अंतरिक्ष टैक्नोलॉजी को काफी विकसित करके चांद या किसी अन्य तारे पर पहुंच जाता है और अपना झंडा लगा देता है तो वो जमीन या वो तारा उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आ जाता है, क्योंकि आउटर स्पेश ट्रीटी के मुताबिक ये कॉमन हरिटेज है।
अब सवाल उठता है कि कॉमन हरिटेज क्या है। कॉमन हेरिटेज शब्द का प्रयोग सार्वजनिक विरासत के तौर पर किया जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि कोई भी इसका निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है। कॉमन हेरिटेज पूरी मानवता के लिए होता है। अब बात आती है कि अगर ये कॉमन हैरिटेड है तो इसे बेचा कैसे जा सकता है। चांद पर जमीन बेचने वालों में सबसे बड़ा नाम इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री नाम का आया है। चांद की धरती का सौदा करने वाली वेबसाइट दावा करती है कि कई देशों ने आउटर स्पेश में इसे जमीन बेचने के लिए अधिकृत किया है।
लेकिन सर्च करने पर पता चलता है कि भारत समेत लगभग 110 देशों ने 1967 को एक समझौता किया, जिसे आउटर स्पेश ट्रीटी के नाम से जाना जाता है। इसके मुताबिक आउटर स्पेश जिसमें चांद भी शामिल है, वो कॉमन हरिटेज है, जिसका मतलब होता है कि इसका कोई भी निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है। आउटर स्पेश ट्रीटी औपचारिक रूप से चंद्रमा और अन्य आकाशीय निकायों सहित बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली सिद्धांतों पर एक संधि है।
अब सवाल ये उठता है कि जब 110 देशों ने ऐसी ट्रीटी यानी कि संधि कर रखी है, चांद पर जमीन की खरीब-बिक्री कितनी मान्य होगी। तो कानून के जानकार बताते है चांद पर जमीन खरीदना भारत में गैरकानूनी है, क्योंकि इसने आउटर स्पेश ट्रीटी में हस्ताक्षर किया है। ऐसी स्थिति में चांद पर जमीन खरीदना एक कागज के टुकड़े की कीमत देना मात्र है।
वैसे चांद पर जमीन की कीमत इन वेबसाइट्स ने क्या रखी है, ये काफी इंटरेस्टिंग सवाल मालूम पड़ता है। तो चांद की जमीन बहुत ज्यादा महंगी नहीं है। चांद पर जमीन की प्रति एकड़ कीमत 35 डॉलर से शुरू हो जाती है, यानी कि भारतीय रुपए में दो हजार 8 सौ 75 रुपए के आस-पास किस क्षेत्र में आप जमीन खरीदना चाहते है इसके हिसाब से कुछ कम ज्यादा साइट्स पर दिखा सकता है। लेकिन जो सर्टिफिकेट आप रजिस्ट्री समझ रहे है वो सिर्फ एक कागज होगा।
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