Actor Sunny Deol : 40 साल का फिल्मी सफर, अब मचा रहे बॉलीवुड में ‘गदर’

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एक्टर सनी देओल ने साल 1983 की ‘बेताब’ से बॉलीवुड में कदम रखा। निजी किरदार की तरह ही शुरुआती दौर में फिल्मों में नम्र-सहज और रोमांटिक हीरो के रोल में नजर आए।

 

80 के दशक में कई बॉलीवुड स्टार ने अपने बच्चों को बॉलीवुड में लॉन्च किया। तो हीमैन यानी धर्मेंद्र कैसे पीछे रहते उन्होंने भी अपनी बड़ी बेटी ‘विजेता’ के नाम पर विजेता प्रोडक्शन कंपनी की नींव रखी और अपने सबसे बड़े बेटे अजय देओल यानी सनी देओल को बॉलीवुड की दुनिया से वाकिफ कराया।

वो सनी देओल जो इंग्लैंड की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी से एक्टिंग सीख कर देश लौटे थे। ये साल था 1983 और फिल्म थी ‘बेताब’। फिल्म हिट हुई और सनी देओल की इमेज दिलेर नौजवान की बनी। अगले साल यानी साल 1984 की ‘सोनी महिवाल’, ‘सनी’ और ‘मंजिल-मंजिल’ जैसी फिल्मों में नम्र-सहज और रोमांटिक हीरो के रोल किए।

नम्र और सहज सनी देओल निजी जीवन में भी हैं। ये दौर सनी देओल, जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर की तिकड़ी का था। वैसे ही जैसे 50 और 60 के दशक में राज कपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार थे और मौजूदा दौर में आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान। 90 के दशक में जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर से जुदा अंदाज लेकर सनी देओल ने ‘घातक’, ‘घायल’, ‘दामिनी’ और ‘जिद्दी’ जैसी फिल्मों से अपनी इमेज बदली।

साल 1996 की ‘घातक’ में  काशी बने सनी देओल अपनी दमदार आवाज में कहते हैं कि ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है। डरा के लोगों को वो जीता है जिसकी हडि्डयों में पानी भरा हो। इतना ही मर्द बनने का शौक है न कात्या, तो इन कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दो।’

साल 1990 की ‘घायल’ उनका अजय मेहरा का किरदार कहता है कि रिश्वतखोरी और मक्कारी ने तुम लोगों के जिस्म में मां के दूध के असर को खत्म कर दिया है। खोखले हो गए हो, तुम सब के सब नामर्द हो।

और वहीं आज भी जब किसी को अदालत से बार-बार तारीख मिलती है तो साल 1993 की फिल्म ‘दामिनी’ के गोविंद का डायलॉग बोलते हैं कि तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख मिलती रही, लेकिन इंसाफ नहीं मिला जज साहब, इंसाफ नहीं मिला। मिली तो है बस ये तारीख।’

साल 1997 की फिल्म जिद्दी देवा के रोल में सनी देओल कहते हैं कि चिल्लाओ मत इंस्पेक्टर, ये देवा की अदालत है, और मेरी अदालत में अपराधियों को ऊंचा बोलने की इजाज़त नहीं

कहा जाता है कि पर्दे पर जब वो जोर-जोर से चीखते-चिल्लाते हैं तो फिल्म देख रहे दर्शकों का भी खून गर्म हो जाता। डायलॉग बोलते समय लाउडनेस और चेहरे पर गुस्से के भाव उनकी एक्टिंग का हिस्सा बना। लेकिन जब इस गुस्से में देश प्रेम का तड़का लगा तो उनकी करियर में चार चांद लग गए। इसी इमेज को बरकरार रखते हुए आज वो सबसे ऊंचे मुकाम पर हैं।

उनके पास कई फिल्मों की लाइन लगी हैं। किसी एक फिल्म में तो उन्हें 50 करोड़ रुपये फीस देने की बात की जा रही है। इस मुकाम पहुंचते-पहुंचते उन्हें 40 साल लग गए। आज वो 67 साल की उम्र में बॉलीवुड में ‘गदर’ मचा रहे हैं।

उनकी फिल्मी करियर आसान नहीं था, इस पड़ाव में कई फिल्में फ्लॉप हुई। काम तक नहीं मिला। निराशा भी मिली। पर हार नहीं मानी।

साल 1997, डायरेक्टर जेपी दत्ता ने साल 1971 के युद्ध की पृष्ठभूमि में फिल्म ‘बॉर्डर’ बनाते हैं। फिल्म में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के रोल में सनी देओल एक छोटी सी सैनिक टुकड़ी से पाकिस्तान की बैंड बजा देते हैं।

साल 2001 की ‘इंडियन’ में डीसीपी राजशेखर आजाद के रोल में देश के अंदर के अपराधियों को पकड़ते हैं तो पाकिस्तानी आतंकवादियों के भी छक्के छुड़ा देता हैं।

साल 2002 की ‘मां तुझे सलाम’ मेजर प्रताप सिंह के रोल में पाकिस्तानी आतंकवादियों को देश में घुसने से रोकते हैं।

साल 2003 की फिल्म ‘द हीरो’ में जासूस बन पाकिस्तान के मंसूबों को ढेर कर देते है। वो जासूस जो अपने प्यार को देश के लिए कुर्बान कर देता हैं।

पर साल 2001 की ‘गदर’ में तारा सिंह बने जिसने अपना प्यार पाने के लिए पूरे पाकिस्तान में ‘गदर’ मचा दी। हैंडपंप भी उखाड़ लाते हैं।

जब भी देशभक्ति की फिल्मों की बात आती है तो सनी देओल के नाम पहले आता है। इनकी देशभक्ति ‘लगान’ के आमिर खान यानी भुवन की तरह नहीं हैं, स्वदेश के शाहरुख खान यानी मोहन जैसे भी नहीं।

ये तारा सिंह हैं जो 47 के बंटवारे की त्रादसी में लिपटी फिल्म ‘गदर’ में एक प्रेम कथा को पिरोते है। इस फिल्म के बाद सनी देओल पूरे देशभक्त और एक्शन हीरो के रूप में नजर आते हैं।

इनती सारी पाकिस्तानी विरोधी वाली फिल्मों के बाद सनी देओल की उस तरह के देश भक्त की फिल्मी इमेज बनतीं है जो पाकिस्तान से देश को हर बार बचाता है।  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी आवाम भी सनी देओल से नफरत करती हैं। वहां उनकी फिल्में बैन होती हैं।

वक्त गुजरता है। फिल्म ‘गदर टू’ रिलीज होती है। गदर पार्ट – 1 के बाद गदर पार्ट – 2 आने में करीब 22 साल लगे। इस सालों में कई साल सनी देओल की फिल्में कमाल नहीं कर पा रहीं थी उनका करियर ढलान में जाने लगा। और पॉलिटिक्स ज्वाइन कर ली। उन्होंने वो नहीं किया जो उनके समकालीन एक्टर अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ करने लगे। फिल्मों में कैरेक्टर रोल। सनी देओल अभी भी 67 साल के हैं और हीरो बनते हैं। साल 2023 में वो फिर से तारा सिंह बनें और अपने फिल्मी सफर में वो मुकाम पाया जिसे शायद वो सोच नहीं सकते थे।

साल 1991 की ‘घायल’ और 1994 की ‘दामिनी को लिए नेशनल अवार्ड मिला। और इन्हीं दोनों फिल्मों के लिए फिल्मफेयर भी मिला। कई सारे और भी अवार्ड मिले है। एक बार सनी देओल अपना अवार्ड बाथरूम में छोड़कर आ गए।

लंबे समय तक जी ग्रुप के साथ करने वाले डॉ संदीप गोयल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि साल 2001 में जी ग्रुप ने ही ‘गदर’ फिल्म प्रोड्यूस की थी। उसी साल ‘लगान’ फिल्म भी सफल हुई। जी इंटरटेनमेंट ने एक अवार्ड फंक्शन करवाया तो अपनी फिल्म होने के कारण ‘गदर’ को इस अवार्ड फंक्शन में शामिल नहीं किया। फिल्म ‘लगान’ को बेस्ट फिल्म और आमिर खान को बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया गया।

फंक्शन में सनी देओल भी शामिल हुए थे। उन्हें कुछ लोगों ने भड़का दिया कि उन्हें बेइज्जत करने के लिए इस अवार्ड फंक्शन में बुलाया गया है। हमने एक स्पेशल अवार्ड सनी देओल के लिए रखा था, जो बेस्ट क्रिटिक एक्टर चॉइस अवॉर्ड का था, सनी देओल ने स्टेज पर आकर ये लिया, पर बिना कुछ बोले चले गए। बाद में पता चला कि वो ट्रॉफी बाथरूम में फेंक गए थे।’

अब आलम ये कि उनकी आने वाले वक्त में बिग बजट की पांच से छह फिल्में आने वाली हैं। जिसमें ‘बाप’, ‘सूर्या’, ‘लाहौर 1947’ है। फिल्म डायरेक्टर  जेपी दत्ता भी बॉर्डर – 2 लेकर आ रहे है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म में सनी देओल को 50 करोड़ रुपये फीस भी मिल सकती है। फिल्म डायरेक्टर नितेश तिवारी भी फिल्म ‘रामायण’ बना रहे है जो अपने बिल्कुल शुरुआती दौर में है। ‘रामायण’ फिल्म में सनी देओल को हनुमान जी के रोल के लिए अप्रोच किया है। 67 साल के सनी देओल राजनीति ओर बॉलीवुड में बराबर समय दे रहें हैं।

 

सुनता सब की हूं लेकिन दिल से लिखता हूं, मेरे विचार व्यक्तिगत हैं।

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