साल था 1956 तब के बिहार के एक मशहूर बिल्डर वासे साहब ने धनबाद के जंगलों को कटवाकर एक मोहल्ला बनवाया। बाद में उन्हीं के नाम पर इस मोहल्ले का नाम वासेपुर पड़ गया। कहते हैं उस समय इस मोहल्ले में महज 100 लोग ही रहते थे, लेकिन मौजूदा वक्त में यहां की आबादी डेढ़ लाख से ज्यादा है। वासेपुर धनबाद का सबसे बड़ा मोहल्ला है। खास बात ये है कि धनबाद में पाए जाने वाले कोयले की विदेशों में भी खास मांग है। इसके अलावा वासेपुर के बारे में आपको साल 2012 में आई मूवी गैंग्स ऑफ वासेपुर में जो दिखाया गया वो भी पता है। सरदार खान और उसके बेटे फैजल की कुरैशियों से चली दुश्मनी के किस्से की खूब चर्चा हुई, लेकिन वासेपुर में असल दुश्मनी के किस्से भी खूब मशहूर हुए। इसी से इंस्पायर होकर ये फिल्म भी बनी। वहीं अब इस दुश्मनी में वासेपुर के छोटे सरकार का किरदार बेहद अहम हो गया है। आज कहानी उसी बड़े सरकार की। जिसका किरदार कुछ कुछ फिल्मी डेफिनिट से मिलता है।
झारखंड की राजधानी रांची से 158 किलोमीटर दूर बसे वासेपुर को भले ही लोगों ने देश-दुनिया में फिल्म रिलीज होने के बाद जाना हो, लेकिन इसकी बदनामी नई नहीं है। लोहे के कबाड़ के कारोबार पर अपने वर्चस्व के लिए दो माफियाओं फहीम खान और साबिर आलम के बीच यहां बरसों तक खूनी खेल चला। इन दोनों की जंग में वासेपुर में कट्टा, बम चलना आए दिन की बात थी। साल 2011 में सगीर हत्याकांड में फहीम खान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। फहीम खान के जेल जाने के बाद से ही वासेपुर में फहीम के बेटों (इकबाल, रज्जन और साहबजादा) और चारों भांजों (गोपी, बंटी, प्रिंस और गोडविन) के बीच वासेपुर में फहीम की गद्दी संभालने के लिए रंजिश शुरू हो गई। 24 जुलाई 2014 को वासेपुर में फहीम के साले टुन्ना खान का कत्ल हो जाता है और नाम आता है फहीम के भांजे गोपी और गोडविन के बहनोई नासिर का। इसके बाद फहीम की बहन नासरिन ने खुलकर फहीम का विरोध करना शुरू कर दिया। नासरिन ने फहीम पर बेटों को झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया। वहीं टुन्ना के कत्ल के बाद से फहीम के बेटों और भांजों के बीच जो दुश्मनी शुरू हुई। उससे पूरे वासेपुर में खूनी जंग का आगाज हो गया। इसी दौरान सामने आता है प्रिंस नाम का किरदार। ये भी फहीम का भांजा है, लेकिन बेहद शातिर। वो कभी माफिया फहीम खान का राइट हैंड हुआ करता था। प्रिंस ने अपने भाईयों के साथ मिलकर फहीम के काले कारोबार को खूब आगे बढ़ाया और वासेपुर समेत पूरे धनबाद में दहशत और अपराध का साम्राज्य बनाने में मदद की।
गैंग को दुबई से ऑपरेट कर रहा प्रिंस
फहीम के जेल जाने के बाद उसकी गद्दी को लेकर जो जंग शुरू हुई उसमें सबसे अहम किरदार के तौर पर प्रिंस ही उभरा। उसे वासेपुर में बड़े सरकार के नाम से जाना जाता है। मौजूदा दौर में वो मोस्ट वांटेड है और ऐसा बताया जाता है कि वो अपने गैंग को दुबई से ऑपरेट कर रहा है। फहीम के बेटे और भांजो के बीच करीब एक दशक से चल रही रंजिश अब बेहद नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है। वासेपुर के अपराध की गद्दी की लड़ाई में कौन हारेगा कौन जीतेगा ये सवाल बरकरार है। इस खूनी लड़ाई में सरफुल हसन उर्फ लाला, महताब आलम उर्फ नन्हें के अलावा ढोलू मियां की जान जा चुकी है। प्रिंस खान अब रंगदारी के लिए खुलेआम गोलियां चलवा रहा है। धनबाद की पुलिस का रोल इस पूरे मामले में वैसा ही है जैसा कि गैंग्स ऑफ वासेपुर मूवी में दिखाया गया है।
इकबाल खान पर हुआ हमला
इसी साल 4 मई को गैंगस्टर फहीम खान के बड़े बेटे इकबाल खान पर भी हमला हुआ। इस हमले का आरोप प्रिंस खान और उसके तीन भाइयों के साथ गोपी के साले अरशद उर्फ रितिक पर लगा है। इकबाल को गोली लगने के बाद वासेपुर में दो गुटों के बीच संघर्ष चरम पर पहुंच गया है। प्रिंस खान की मां और पिता को छोड़कर पूरा परिवार वासेपुर छोड़ चुका है। 24 नवंबर 2021 को फहीम गैंग के खास नन्हें की हत्या के बाद से प्रिंस खान और गोपी खान धनबाद से फरार हैं। जिस तरह से प्रिंस खान वासेपुर में बड़े सरकार के नाम से जाता है उसी तरह गोपी खान छोटे सरकार के नाम से पहचाना जाता है।
रंगदारी न देने वालों के घरों पर फायरिंग
ऐसा नहीं है कि झारखंड की पुलिस इन पर शिकंजा कसने की कोशिश नहीं कर रही। झारखंड की एटीएस को भी इनके पीछे लगाया गया है। इसके बाद भी प्रिंस धनबाद के कोयला और जमीन कारोबारियों, बिल्डरों और डॉक्टरों के साथ-साथ छोटे कारोबारियों से भी फोन पर रंगदारी मांग रहा है। रंगदारी नहीं देने वालों के घरों पर फायरिंग करवा रहा है। झारखंड के धनबाद जिले के छोटे से कस्बे वासेपुर पर दाग तो पहले से थे, लेकिन फहीम के बेटों और भांजों के एक दूसरे के खून के प्यासे होने के बाद वो और भी गहरे होते जा रहे हैं।
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