भारत में कैसे बना फलों के राजा 4000 साल पुराना है आम का इतिहास!

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राजनीति में होने वाले विरोध और बयानबाजी से इतर अक्सर नेताओं को एक दूसरे का सम्मान करते देखा गया है, लेकिन ऐसा हमेशा हो ये भी जरूरी नहीं.. ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बैनर्जी और पीएम मोदी के बीच देखने को मिलता है। कई मौकों पर देखा गया है कि ममता बैनर्जी ने पीएम मोदी को सम्मान देने से कन्नी काटी है। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि ममता बैनर्जी पिछले 12 सालों से लगातार पीएम मोदी को तोहफे के तौर पर आम दिल्ली भिजवा रही हैं, और ये उन्होंने पीएम मोदी से चल रहे विरोध के बाद भी जारी रखा है। बात जब आम की हो रही है तो ये भी जान लीजिए कि आम भारत से ही निकल कर पूरी दुनिया के बहुत से देशों में फैला है। आम का इतिहास काफी पुराना है

ममता बनर्जी ने इसी हफ्ते चार किलोग्राम की मात्रा में हिमसागर, लक्षमणभोग, और फाजली प्रजाति के आम प्रधानमंत्री आवास 7 लोक कल्याण मार्ग नई दिल्ली के पते पर बढ़िया तरीके गिफ्ट पैकेज करवाकर भिजवाए हैं। तो पहले इन्हीं आमों के बारे में बात करते हैं, वैसे तो आमों में कई तरह के आम लोकप्रिय हैं, लेकिन हिमसागर, लक्षमणभोग, और फाजली की नस्लें बहुत ही बढ़िया आमों में गिनी जाती है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में पैदा होने वाले इन नस्लों के ये आम हर जगह पसंद किए जाते है। आमों को फॉरेन कंट्रीज़ में एक्सपोर्ट किया जाता है।

भारत में आम को ऐसे ही फलों का राजा नहीं कहा जाता, भारत में सबसे पहले आम की खेती 5000 साल पहले की गई थी। इसकी मूल प्रजाति को भारतीय आम कहते हैं, जिसका वैज्ञानिक नाम मेंगीफेरा इंडिका है। आमों की प्रजाति को मेंगीफेरा कहा जाता है। ये दुनिया भर में सबसे ज्यादा खाए जाने वाले फलों में से एक है। कई देशों में आम संस्कृति और इतिहास का एक अभिन्न अंग है। हर साल 22 जुलाई को राष्ट्रीय आम दिवस मनाया जाता है।

आम के इतिहास की बात करें तो, भारत में आम का इतिहास कब का है इसकी तारीख बता पाना तो मुश्किल है लेकिन कहते हैं कि कम से कम ये इतिहास करीब 5,000 साल पुराना है। पांचवीं और चौथी शताब्दी के बीच दक्षिण पूर्व एशिया में पहली बार आम उगाया गया था, जो बाद में यात्रा करते हुए 10वीं शताब्दी में पूर्वी अफ्रीका की खेती में शामिल हो गया। कहा जाता है कि भारत में आम, पैस्ले पैटर्न के आकार पर आधारित है। ये बांग्लादेश का राष्ट्रीय वृक्ष होने के साथ-साथ भारत, पाकिस्तान और फिलीपींस का राष्ट्रीय फल है। लेकिन भारत के बाद चीन ऐसा देश है जहां आम की सबसे ज्यादा मिलता है।

साल 1498 में केरल में इसे मसालों के व्यापार के लिए अपनाया था। आम भारत से ही निकल कर पूरी दुनिया के बहुत से देशों में फैला है। एशिया के कई देश जैसे नेपाल, बांग्‍लादेश, पाकिस्‍तान, फिलीपींस, मलेशिया, सिंगापुर जैसे कुछ और देश आज भारत का ही आम खा रहे हैं। 14वीं और 15वीं सदी में आम, भारत से बाहर पहुंचा। लगभग 17वीं सदी तक ये ब्राजील और लगभग साल 1740 में वेस्ट इंडीज पहुंच गया।  लेकिन चीन में 20वीं सदी की शुरुआत में आम ने अपने कदम रखे थे। 

भारत में आम की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती है। बहुत सी प्रजातियां अपने मूल इलाके के नाम से मशूहर होती हैं जैसे फाजली फाजल इलाके में ज्यादा पाया जाता है, जो आज के पश्चिम बंगाल और  बांग्लादेश का हिस्सा है। लेकिन भारत में आम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के अलावा देश के इलाकों में मिलता है। हापुस, चौसा, लंगड़ा, दशहरी, बादाम, तोतापरी जैसी कई प्रजातियां देश में अपनी अलग अलग खूबियों के लिए मशहूर हैं।

Food and Agriculture Organization के आंकड़ें बताते हैं कि दुनिया में आम की पैदावार पांच करोड़ टन से ज्यादा होती है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी दो करोड़ टन से ज्यादा है और चीन की 50 लाख टन के आस-पास है। थाईलैंड, इंडोनेशिया और मैक्सिको इसके बाद आते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि दुनिया में हर दस आम में से चार भारत के होते हैं। 

 

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