21 जून को होता है साल का सबसे बड़ा दिन, जानें क्या है इसके पीछे की वजह?

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क्या आपको पता है कि साल का बड़ा दिन कौन सा होता है... बड़ा दिन सुनते ही आप क्रिसमस यानी 25 दिसम्बर सोच रहे होंगे... 25 दिसम्बर को आम बोल चाल की भाषा में बड़ा दिन कहते हैं लेकिन वो होता नहीं है बड़ा दिन... असल में साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून को होता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है 

इंडिया 21 जून को समर सोलास्टिक डे को सेलिब्रेट करता है, हिंदी में इसे ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है। 21 जून सालभर का सबसे लंबा दिन होता है। उत्तर भारत में आमतौर पर इस दिन सूरज जल्दी उगता है और देर से डूबता है, और 21 जून का दिन आमतौर पर 12 की बजाए 14 घंटे का होता है, रात उसी के हिसाब से छोटी। इसके बाद दिन का समय घटने लगता है और रातें बड़ी होने लगती हैं। जैसे नॉर्मल डेज़ में जब दिन और रात बराबर होते हैं तो ये 12-12 घंटे के होते हैं। जबकि 21 दिसंबर के बाद रातें छोटी होने लगती हैं और दिन बड़े... और इसी क्रम में 21 जून को दिन साल में सबसे बड़ा होता है, इसके बाद दिन का दिल्ली में 21 जून 2023 का दिन 13 घंटे 58 मिनट का होगा...  21 जून 2023 को दिल्ली और उत्तर भारत में सूर्योदय 05 बजकर 23 मिनट पर हुआ और सूर्यास्त 07 बजकर 21 मिनट पर....

आइए अब समझते हैं इसको लेकर वैज्ञानिकों का क्या कहना है....

21 जून का दिन खासकर उन देश या हिस्से के लोगों के लिए सबसे लंबा होता है जो भूमध्य रेखा यानि इक्वेटर के उत्तरी हिस्से में रहते हैं। इसमें आधा अफ्रीका, रूस, उत्तर अमेरिका, यूरोप, एशिया आते हैं। तकनीकी रूप से समझें तो ऐसा तब होता है जब सूरज की किरणें सीधे ट्रॉपिक ऑफ कैंसर यानी  कर्क रेखा पर पड़ती हैं। इन दिन सूर्य से पृथ्वी के इस हिस्से को मिलने वाली ऊर्जा 30 फीसदी ज्यादा होती है। आपने स्कूल में ये तो पढ़ा ही होगा कि पृथ्वी अपना खुद का चक्कर 24 घंटे में पूरा करती है, जिसकी वजह से दिन और रात होती है। वहीं, सूरज का पूरा एक चक्कर लगाने में उसे 365 दिन का वक्त लगता है। जब पृथ्वी खुद में घूम रही होती है और आप उस हिस्से पर है जो सूरज की तरफ है, तो आपको दिन दिखता है। अगर उस हिस्से की तरफ हैं जो सूरज से दूर है, तो आपको रात दिखती है।

पृथ्वी सूरज का चक्कर लगा रही होती है तब मार्च से सितंबर के बीच पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध यानि नॉर्थ हेमिस्फेयर के हिस्से को सूरज की सीधी किरणों का सामना करना पड़ता है, तब यहां दिन लंबे होते हैं। बाकी के वक्त दक्षिण गोलार्ध यानि सदर्न हेमिस्फेयर पर सूरज की किरणें सीधी पड़ती हैं। गर्मी, सर्दी यह सारे मौसम पृथ्वी के इस तरह चक्कर लगाने की ही देन है। उत्तरी गोलार्ध पर सबसे ज्यादा सूर्य की किरणें 20,21,22 जून को पड़ती है। यानि इस वक्त हम सूरज के सबसे ज्यादा करीब होते हैं। पश्चिम में कई जगहों पर इसे ग्रीष्मकालीन संक्रांति भी कहा जाता है। वहीं, दक्षिणी गोलार्ध में ये दिन 21,22,23 दिसंबर को आता है। 

 

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