अगर आप हाइवे पर सफर करते हैं तो आपको भी टोल प्लाजा पर जाम की समस्या से जरूर जूझना पड़ता होगा। वाहनों पर लगे फास्टैग को टोल पर स्कैन करने में देरी होती है और फिर जाम की वजह से टोल पार करने में कई बार 10 से 20 मिनट तक लग जाते हैं। तो आपको बता दें इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ETC) सिस्टम जिसे फास्टैग भी कहा जाता है को लेकर इंडियन रोड कांग्रेस की ओर से की गई स्टडी में ये अनुमान लगाया गया है कि अगर हाइवे पर लगे टोल बैरियर हटा दिए जाएं तो टोल पर लगने वाले समय में 40 फीसदी समय बचाया जा सकता है। इसके साथ ही ये सुझाव भी दिया गया है कि टोल प्लाजा पर कई अत्याधुनिक डिवाइस भी लगी हैं। ऐसे में बैरियर को हटाया जाना चाहिए।
नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने 2 साल पहले भारत के हर एक टोल प्लाजा पर वाहन के लिए 10 सेकेंड से ज्यादा सर्विस टाइम न हो इसके लिए एक गाइडलाइंस को जारी किया था। नियम के मुताबिक, किसी भी नेशनल हाइवे पर स्थित टोल प्लाजा पर गाड़ियों का वेटिंग टाइम 10 सेकेंड से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो आप बिना किसी टैक्स के आगे बढ़ सकते हैं। जनवरी 2020 से टोल वसूली के लिए फास्टैग जरूरी कर दिया गया है, कहा गया कि इससे टोल प्लाजा पर होने वाली धांधली तो रूकेगी ही साथ ही समय की भी बचत होगी, लेकिन ज्यादातर टोल पर लगने वाला समय कम होने का दावा सही साबित नहीं हो सका। आए दिन इसकी कई शिकायतें भी आती रहती हैं। इस पर इंडियन रोड कांग्रेस ने फास्टैग टोल को लेकर गुजरात के दिल्ली-मुंबई नेशनल हाइवे के कम्ब्रेज टोल प्लाजा, कर्जन टोल प्लाजा और भरूच टोल प्लाजा पर स्टडी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फास्टैग लगने के बाद टोल प्लाजा पर लगने वाले समय में कुछ सुधार तो हुआ है, लेकिन अभी व्यापक सुधार की गुंजाइश है।
बिजी और नॉन बिजी टाइम का डाटा जुटाया
स्टडी के लिए टोल प्लाजा पर लगे वीडियो कैमरों की मदद से बिजी और नॉन बिजी टाइम का डाटा जुटाया गया। इसमें देखा गया कि छोटी कार को बूम बैरियर वाले टोल को पार करने में कम से कम 18.64 सेकेंड का समय लगा, जबकि बिना बैरियर के टोल पार करने में इसे महज 15.20 सेकेंड का समय लगा। अभी तक किसी छोटे वाहन को टोल पार करने में 8 सेकंड से ज्यादा समय लगता है। इस स्टडी में सुझाव दिया गया है कि अगर देश भर में टोल प्लाजा के सिस्टम को बेहतर ढंग से संचालित किया जाए तो तीन सेकंड में एक वाहन गुजर सकता है। इससे टोल पर हर लेन से 1 घंटे में 1200 गाड़ियों को गुजारने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब सभी टोल प्लाजा एडवांस सिस्टम से लैस हैं और उन पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे लगे हैं, तो फिर बूम बैरियर को हटा दिया जाना चाहिए।
टोल पर वाहनों की लंबी लाइन
टोल पर बसों, ट्रकों और कारों के लिए लेन निर्धारित होने से भी समय ज्यादा लगता है। स्टडी में पाया गया कि टोल पर कई बार कारों की संख्या ज्यादा और भारी वाहनों की संख्या कम होती है। ऐसे में भारी वाहनों की लेन खाली रहती है और हल्के वाहनों की लेन में लंबी कतार लग जाती है। अगर टोल लेन से मिलाजुला ट्रैफिक निकाला जाए तो समय कम लगता है। गुरुग्राम-फरीदाबाद सड़क के टोल पर रोजाना बिजी समय में वाहनों की लंबी लाइन लग जाती है। यहां न तो फास्टैग ना ही बैरियर तेजी से खुलता है। इससे वाहन चालकों को परेशानी आ रही है। वाहनों की लाइन लग जाती है। यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के टोल पर फास्टैग स्कैन होने के बाद बैरियर उठने में 30 सेकेंड से लेकर एक मिनट तक का समय लग रहा है। जेवर टोल पर बैरियर उठने में एक मिनट से अधिक समय लगता है। इसी तरह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल के टोल प्लाजा पर बैरियर उठने में कई बार एक मिनट तक लग जाते हैं। इससे टोल पर वाहनों की लंबी लाइन लग रही है।
विदेशों में AVI सिस्टम लागू
हांगकांग समेत कुछ यूरोपीय देशों ने उपरोक्त लक्ष्य हासिल कर लिया है। हांगकांग ने ऑटोमेटिक व्हीकल आइडेंटिफिकेशन (AVI) सिस्टम को लागू किया, जिसके बाद देखा गया कि लेन से निकलने वाली गाड़ियों की संख्या में बड़ा सुधार हुआ। स्टडी में दूसरे देशों के उदाहरण भी दिए गए हैं। कहा गया है कि इन देशों ने ईटीसी और एवीआई जैसे सिस्टम लागू करने के बाद टोल पर लगने वाले समय को कम किया है। इसलिए भारत में भी इसकी पूरी संभावनाएं हैं।
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