बिजी लाइफ शैड्यूल के बीच ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स से शॉपिंग ने जिंदगी कुछ आसान कर दी है। लेकिन अब शॉपिंग के मामले में बड़े मैट्रो शहरों को छोटे शहर टक्कर देते दिख रहे बल्कि यूं कहिए आगे निकल रहे है, ऐसा हम नहीं सीएमआर यानी साइबर मीडिया रिसर्च कह रही है। इस सर्वे में रैंडम सैंपलिंग मेथड से अलग-अलग शहरों से लोगों को चुना गया था, जिसमें बाद न सिर्फ ऑनलाइन बढ़ते बाजार की बल्कि कई तरह के इंटरेस्टिंग फैक्ट्स भी निकलकर सामने आए।
डेलॉइट इंडिया की फ्यूचर ऑफ रिटेल नाम की रिपोर्ट बताती है कि देश में ई-कॉमर्स क्षेत्र के कारोबार में काफी तेजी आई है, साल 2022 में जहां ये 70 बिलियन यूएसडी रहा, तो साल 2030 तक इसके 325 बिलियन यूएसडी तक पहुंचने की संभावना है। इसी के साथ टियर टू और टियर थ्री शहरो में भी ऑनलाइन शॉपिंग में बीते कुछ सालों में बढ़ा उछाल देखने को मिला है।
अब टियर वन, टू और थ्री शहर कौन-कौन से हैं, वो भी शार्ट में समझ लेते हैं। तो वेतन आयोग ने देश के शहरों को इसमें डिवाइड किया है, सबसे विकसित शहरों को टियर वन और कम विकसित या अविकसित शहरों को टियर 2, 3 में रखा गया है। देश में टियर वन में टोटल 8 शहर हैं। जिन्हें मैट्रोपॉलिटन सिटीज भी कहा जाता है, जो बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद और पुणे हैं। साइबर मीडिया रिसर्च यानी सीएमआर के मुताबिक, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म टियर 2 शहरों के कंज्यूमर को ज्यादा समय और पैसा खर्च करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
एक नए मार्केट रिसर्च से ये बात निकलकर सामने आई है कि नागपुर जोकि टियर टू में आता है, इन जैसे शहरों के ऑनलाइन बायर्स औसतन हर हफ्ते 2.5 घंटे और अपनी इनकम का 16 परसेंट ई-कॉमर्स साइट्स पर खर्च कर रहे हैं। साइबर मीडिया रिसर्च ( सीएमआर) की सीएमआर कंज्यूमर एस्पिरेशंस एंड ई-कॉमर्स इन इंडिया नाम रिसर्च में पाया गया कि टियर 1 शहरों में कंज्यूमर ऑनलाइन शॉपिंग पर अपनी इनकम का 8 परसेंट खर्च करते हैं।
सीएमआर के बयान के मुताबिक ये रिसर्च मई 2023 की है और इसमें दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरू, भुवनेश्वर, नागपुर, कोयंबटूर, लखनऊ और गुवाहाटी में यूं ही बिना किसी मकसद से यानी कि रैंडम सैंपलिंग मेथड से 3006 उपभोक्ताओं को शामिल किया गया था। इसमें जवाब देने वाले की खरीददारी के रुझान को ध्यान में रखा गया।
रिसर्च के मुताबिक टियर टू शहरों में कंज्यूमर के ऑनलाइन खर्च की गई औसतन राशि टियर वन के आकड़ों के लगभग बराबर थी। सीएमआर में कहा गया कि पिछले 6 महीनों में टियर टू के ऑनलाइन बायर्स का खरीदारी का एवरेज खर्च 20,100 रुपए रहा, जोकि टियर वन के बायर्स के ऑनलाइन खर्च 21,700 के लगभग बराबर है। मुंबई का औसतन खर्च सबसे ज्यादा 24,200 रुपए है। रिसर्च में ये भी पाया गया कि टियर-I शहरों में, बेंगलुरु के कंज्यूमर ने हर हफ्ते औसतन 4 घंटे और 2 मिनट का सबसे ज्यादा समय ऑनलाइन खरीददारी में बिताया।
रिसर्च में ई-कॉमर्स क्षेत्र के कॉम्पिटेटिवनेस पर भी ध्यान दिया गया, टॉप शॉपिंग साइट अमेज़न, फ्लिपकार्ट, मीशो के साथ-साथ कई शॉपिंग साइट्स मौजूद है। इसके बावजूद “रिसर्च इस बात पर जोर देता है कि अमेज़न, पूरे भारत में अपनी व्यापक और स्थायी उपस्थिति के साथ, कंज्यूमर का भरोसा रखता है और उनका पसंदीदा है,”सीएमआर ने आगे बताया गया कि, सर्वे के सैंपल साइज़ के बावजूद, “99 परसेंट लोगों को विश्वास है कि अगर पूरी आबादी का सर्वे किया गया होता तो रिजल्ट की स्टेटिस्टिकल सटीकता प्लस या माइनस 3 प्रतिशत ही होती। ऑनलाइन शॉपिंग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है, तो रिसर्च में इसकी तीन वजहों पर लोगों ने सबसे ज्यादा वोटिंग की, जिसमें 57 परसेंट लोगों ने आकर्षक कीमतें, 57 परसेंट सुविधाजनक रिटर्न एंड एक्सचेंज का प्रोसेस और 49 परसेंट लोगों ने अनूठे ऑफर्स को कारण माना।
वहीं ऑनलाइन शापिंग के लिए यंग जनरेशन में कौन ज्यादा शॉपिंग करता है, इसको लेकर बताया गया कि मिलेनियल्स जोकि 47 परसेंट की तुलना में जेन जी 51 परसेंट खरीदारी करते हैं। रिसर्च में शामिल तीन में से दो यूजर्स ने बीते 6 महीनों में 20,00 रुपए तक खर्च किए हैं।अमेरिका की प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, 1997 से 2012 के बीच पैदाइश वालों को जेन जी और 1981 से 1996 के बीच पैदा हुए लोगों मिलेनियल्स कहा जाता है। वहीं जब ऑनलाइन शॉपिंग की बात आती है तो कपड़े और एक्सेसरीज़ सबसे पसंदीदा ऑप्शन निकलकर सामने आए हैं। रिसर्च में शामिल 62 प्रतिशत लोगों ने इन्हें खरीदा है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए ये ई-कॉमर्स साइट्स पर भरोसा करने वालों का ऑकंड़ा 54 प्रतिशत है।
रिसर्च में ये भी पाया गया कि 86 प्रतिशत खरीददार अपने किस चीज को खरीदना है, उसका निर्णय लेने के लिए प्रभावशाली लोगों या समाचार प्रकाशनों के रिव्यूज पर भरोसा करते हैं। और ये भरोसा करने की स्थिति के मामले में चौकाने वाली बात ये निकलकर सामने आई कि ऐसा मालूम होता है कि पुरुष, महिलाओं की तुलना में प्रभावशाली लोगों को ज्यादा फॉलो करते हैं। जहां महिलाएं एड या बाकी चीजों से 80 परसेंट प्रभावित होती हैं, तो वहीं पुरूष 90 परसेंट प्रभावी होते हैं।
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