महिलाओं के लिए खास है ये मंदिर, यहां मिलता है तलाक !

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मंदिरों में शादियां होना तो कॉमन है, लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है। जो तलाक कराने के लिए जाना जा सकता है। जिसे दुनियाभर में लोग डिवोर्स टेम्पल के नाम से जानते हैं। जापान के कानागावा राज्य के कामकुरा शहर में मातसुगोका टोकेई जी जिसे दुनियाभर में डिवोर्स टेम्पल कहते हैए स्थित है। इसे 1285 में स्थापित किया गया था। ये बौद्ध मंदिर सुंदर बगीचों से घिरा हुआ है और इसमें एक मुख्य हॉल है जो मुसाफिरों के लिए खुला है। उस वक्त जब महिलाओं के पास खुद के हक के लिए अधिकार नहीं होते थे। जापान में महिलाओं के लिए तलाक लेने का कोई प्रावधान नहीं था। तब इस मंदिर का निर्माण किया गया था।

हालांकि इस मंदिर में आने के लिए महिलाओं को एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से गुजरना पड़ता था। बताया जाता है कि जो महिलाएं अपने पति से तलाक चाहती थीं। वो अपने पति को चुपचाप छोड़कर मंदिर में आती थीं। यहां मौजूद सैकड़ों महिलाओं के साथ रहती थीं, जो उनके साथ इस नई यात्रा का समर्थन करती थीं। उस समय पतियों के पास ही तलाक का अधिकार होता था, वो बिना कोई कारण बताए सिर्फ साढ़े तीन लाइंस का नोटिस लिखकर तलाक दे सकते थे। जबकि महिलाओं के पास तलाक का अधिकार नहीं था। ऐसी स्थिती में शादी से भाग जाना ही महिलाओं के पास इकलौता चारा था। 

हालांकि ऐसा भी नहीं था कि कोई भी महिला आकर आसानी से तुरंत ही तलाक ले सकती थी। जो भी महिला शादी तोड़ना चाहती है वो पहले तीन साल तक इस टेंपल में रहती थी। बाद में इस अवधि को घटाकर सिर्फ दो साल कर दिया गया था। ये मंदिर महिलाओं के लिए एक सांस्कृतिक और सामाजिक जगह बन गई थी। ये समाज में एक महिला के लिए तलाक लेने की पहली कानूनी संरचना थी।

मातसुगोका टोकेई.जी मंदिर में तलाक प्राप्त करने वाली महिलाओं को एक सर्टिफिकेट दिया जाता था, जो कानूनी रूप से तलाक की पुष्टि करता था। इसे वो अपनी आजादी के प्रमाण पत्र के रूप में उपयोग कर सकती थी। ये सर्टिफिकेट उन्हें समाज में तलाकशुदा महिलाओं के अधिकारों की पहचान दिलाता है और उन्हें खुशहाली के साथ अपनी जिंदगी आगे बिताने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

1923 में ग्रेट कांटो भूकंप की वजह से मंदिर को काफी नुकसान हुआ। जिसके बाद इसको वापस ठीक करने में 10 साल का समय लगा। मंदिर में एक कब्रिस्तान भी है और कई मशहूर हस्तियों को वहां दफनाया भी गया है। मंदिर की मुख्य पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता था। जिस पर कई बार कुछ शाही महिलाएं भी रही हैंए जो अपने पतियों की मौत के बाद मुख्य पद पर रहीं।

मंदिर में साल 1902 तक पुरूषों का आना मना था। लेकिन साल 1902 के बाद जब एंगाकु.जी ने इस मंदिर की देखरेख संभालीए तो पहली बार एक पुरुष मठाधीश को नियुक्त किया गया। फिर साल 1873 में जब जापान में तलाक कानून लागू हो गया तब इस मंदिर ने महिलाओं को तलाक देना बंद कर दिया। जिसके बाद से ये डिवोर्स टेंपल महिलाओं के लिए वैध बनाने और उन्हें घरेलू अत्याचार में मदद करने के लिए जापानी समाज के प्रयासों का एक सिंबल बन गयाए जिसे दुनियाभर में लोग डिवोर्स टेंपल के नाम से जानते हैं। 

 

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