क्या आपको पता है कि भारत के लोग एक साल में कोल्ड ड्रिंक की कितनी बोतल पीते हैं और पिछले 5 सालों में ये खपत कितनी बढ़ी है? नहीं न...तो हम बताते हैं 2016 तक भारत में प्रति व्यक्ति कोल्ड ड्रिंक की खपत 44 बोतल की थी, लेकिन 2021 में ये बढ़कर लगभग दो गुनी यानी 86 बोतल हो गई, लेकिन आज हम आपको इसके बारे में क्यों बता रहे है? तो सुनिए। दरअसल 95 फीसदी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में एक आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पाार्टेम का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे अब WHO ने खतरनाक बताया है। क्या है पूरी कहानी आइये जानते हैं।
सॉफ्ट ड्रिंक में एस्पार्टेम का इस्तेमाल सालों से किया जा रहा है। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी FDA ने साल 1981 में एस्पार्टेम को इस्तेमाल में लाने की मंजूरी दी थी। हालांकि FDA ने इसके बाद से अब तक अलग-अलग समय में पांच बार इसकी समीक्षा की है। भारत सहित 90 से ज्यादा देशों ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी है। करीब 95 प्रतिशत कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक और रेडी-टू-ड्रिंक चाय में 90 फीसदी एस्पार्टेम का उपयोग किया जाता है। माउंटेन ड्यू जीरो शुगर, डाइट माउंटेन ड्यू, स्प्राइट जीरो शुगर, कोक जीरो शुगर और डाइट कोक जैसी ड्रिंक्स में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा टूथपेस्ट और च्यूइंग गम बनाने में भी एस्पार्टेम का इस्तेमाल होता है।
पिछले साल फ्रांस में एस्पार्टेम पर एक रिसर्च हुई। इस दौरान आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल को लेकर एक लाख से ज्यादा लोगों पर स्टडी की गई। इसमें सामने आया कि जो लोग जितना ज्यादा ये स्वीटनर लेते हैं, उनमें कैंसर का खतरा उतना ज्यादा बढ़ जाता है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) जुलाई में एस्पार्टेम को ऐसे पदार्थों की लिस्ट में शामिल करेगी जिनसे कैंसर हो सकता है या इसका खतरा बढ़ जाता है।
चीनी को लगभग सभी डायबीटिज और मोटापा बढ़ने का खतरा मानकर सेवन करने से बचने की कोशिश करते हैं। जिसके लिए वो बाजार में मौजूद कई तरह 'शुगर फ्री' प्रोडक्ट्स का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं, हालांकि इनमें आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल किया जाता है। एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 350 ml की छोटी कोल्ड ड्रिंक्स कैन में 10 से 12 चम्मच चीनी घुली होती है। दूसरी ओर WHO की एक रिपोर्ट कहती है कि दिन में 5-6 चम्मच से ज्यादा चीनी खाना खतरनाक है। यानी कोल्ड ड्रिंक्स की एक छोटी बोतल पीने के बाद आप अपने दो से तीन दिनों की चीनी का कोटा पूरा कर लेते हैं।
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि भला छोटी-सी बोतल में 10 से 12 चम्मच चीनी क्यों मिलाई जाती है और इसका स्वाद पता क्यों नहीं चलता है। जबकि हम नॉर्मल पानी में 10-12 चम्मच चीनी मिला दें तो वो पीने लायक नहीं रह जाता। दरअसल, सभी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स यानी कोल्ड ड्रिंक्स में फास्फोरिक एसिड मिला होता है। इसके चलते चीनी की मिठास का पता नहीं चलता है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ एस्पार्टेम आर्टिफिशियल स्वीटनर से ही लोगों को खतरा है, बल्कि हर तरह का आर्टिफिशियल स्वीटनर नुकसानदायक है। पिछले महीने WHO ने एक गाइडलाइन जारी करते हुए कहा था कि रिव्यू करने पर देखा गया कि चीनी के इस तरह के विकल्पों का उपयोग कैंसर के अलावा टाइप-2 डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और वयस्कों में मौत के जोखिम को बढ़ाता है।
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