दीवाली में खूब तला-भुना, लजीज व्यंजनों से सजी हुई थाली और तरह-तरह की मिठाइयां खाईं। घर तो अभी भी दीवाली की सफाई के बाद साफ-सुथरा है, लेकिन शरीर खासतौर पर पेट में कुछ गड़बड़ है या यूं कहिए पेट का माहौल भी प्रदूषित मालूम दे रहा है। दीवाली के बाद कई लोगों का ऐसा ही हाल हो जाता है, लेकिन ऐसा होता क्यों है और इससे बचने के लिए क्या करें, तो इसका जवाब है ‘गट बैक्टीरिया बैलेंस करें’।
हम ये तो जानते हैं कि शरीर में बहुत सारे बैक्टीरिया, वायरस और फंगस रहते हैं यानी कि सूक्ष्म जीवों का फलता-फूलता पूरा संसार, जिसमें सभी नुकसान पहुंचाने वाले नहीं होते हैं, कुछ अच्छे और कुछ खराब बैक्टीरिया होते हैं। इन सभी को मिलाकर हमारी गट हेल्थ बनती है। यूं तो बैक्टीरिया हमारी पूरी बॉडी में होते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हमारी आंत और कोलोन में रहते हैं, जोकि डाइजेस्टिव सिस्टम का अहम हिस्सा है।
क्यों बिगड़ जाती है गट हेल्थ?
लगातार पेट की, पाचन संबंधी समस्याएं आने पर हम एक शब्द जरुर सुनते हैं, वो है ‘अपनी गट हेल्थ को इंप्रूव करो’। यानी कि अपनी डेली डायट में वो चीजें शामिल करें, जिससे शरीर में हेल्दी बैक्टीरिया की संख्या बढ़े। क्योंकि अगर हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ेगी, तो पेट गड़बड़ रहेगा और पाचन भी ठीक से नहीं होगा, जोकि दूसरे हेल्थ रिलेटेड इश्यू होने की वजह बन जाएगा। वैसे हमारी बॉडी और ब्रेन से जुड़ी 90 प्रतिशत बीमारियां डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से हमारे पाचन से जुड़ी होती हैं और जब गट हेल्थ बिगड़ती है, तो पाचन गड़बड़ा जाता है और जैसे ही पाचन बिगड़ा कोई ना कोई बीमारी बॉडी पर हावी हो जाती है।
कैसे समझे गट हेल्थ खराब है?
वैसे खराब गट हेल्थ को समझना मुश्किल नहीं है। डाक्टर्स की मानें, तो जो लक्षण पाचन खराब होने के होते हैं, वो ही खराब गट हेल्थ के भी होते हैं, क्योंकि ये दोनों बातें लगभग एक ही हैं, जैसे पेट में दर्द होना, पेट फूलना, अपच की समस्या, कब्ज रहना, सीने में जलन होना, सिर में दर्द होना, मितली आना, खट्टी डकारें आना ये सभी खराब गट हेल्थ होने की तरफ इशारा करते हैं। इन लक्षणों से आप अपनी गट हेल्थ कैसी है, इसका अंदाजा लगा सकते हैं। वैसे साइंटिफिकली तो माना जाता है कि हमारे शरीर में जितनी कोशिकाएं होती हैं, बैक्टीरिया उससे भी कहीं ज्यादा होते हैं। और जब दीवाली, होली और किसी त्यौहारों में हम जहां तेल मसाले वाला खाना, मीठा या शुगर ज्यादा खाते हैं, या फिर जब भी हमारी खाने-पीने की आदतें बिगड़ती है, तो गट बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है।
साइकोलॉजिस्ट और ‘व्हेन फूड हर्ट्स‘ की राइटर एंड्रिया नजारेको बताती हैं कि पेट के ये बैक्टीरिया हमारे शरीर और दिमाग पर कई तरह के असर डालते हैं। पेट का हमारे दिमाग से सीधा कनेक्शन है। ये ही कारण है कि पेट को सेकंड ब्रेन भी कहा जाता है। वो कहती हैं कि “दरअसल हमारे गट में कई तरह के न्यूरोट्रांसमीटर बनते हैं, ये वो तत्व हैं जो हमारे इमोशन या मूड को कंट्रोल और प्रभावित करते हैं।
कैसे करें बैक्टीरिया संतुलित?
डायटीशियन एंड न्यूट्रिशन्स के मुताबिक, खराब गट हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के लिए लक्षण के हिसाब से इन घरेलू नुस्खों का उपयोग किया जा सकता है। जैसे पेट में दर्द होने पर अजवाइन, पुदीना पत्ती और अदरक का सेवन करें, इनसे काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। अपच होने पर जीरा, धनिया और सौंफ की चाय बनाकर पिएं। पेट फूलने पर अजवाइन, जीरा और सौंफ को मिलाकर इन्हें तवे पर हल्का सा भून लें और चबाकर खाएं। सीने में जलन होने पर सौंफ, धनिया और मिश्री को मिलाकर खाएं। मितली आने पर अदरक की चाय पिएं या पुदीना पत्ती की चाय पिएं। सिर में दर्द होने पर अजवाइन और पुदीना पत्ती की चाय बनाकर पिएं।
Comment
0 comment