बीमारियों और एक्सीडेंट की वजह से कई बार लोगों की जान पर बन आती है और ऐसे में उनकी जिंदगी बचाने के लिए ब्लड की जरूरत होती है, लेकिन लोगों को लगता है कि इससे उनकी सेहत पर असर पड़ सकता है। लोगों के मन से ऐसी धारणाओं को दूर करने और उन्हें रक्तदान के लिए प्रेरित करने के लिए 14 जून को वर्ल्ड ब्लड डोनर डे पर हम आपको देंगे ज़िन्दगी बचाने वाले इस ब्लड के बारे में कुछ ज़रूरी और दिलचस्प जानकारी...
हममें से ज्यादातर लोग जानते हैं कि ब्लड ग्रुप A,B, AB और O होता है, ये चार ब्लड ग्रुप पॉजिटिव और नेगेटिव में बंटे होते है, लेकिन ब्लड देते समय ये जानना बेहद जरूरी है कि जिसे ब्लड दिया जा रहा है और जिसका ब्लड लिया जा रहा है, वो मैच करता है या नहीं... और कौन किसे ब्लड डोनेट कर सकता है। सभी खून हर किसी को नहीं चढ़ाया जा सकता है।
A+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति A+ और AB+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को अपना ब्लड डोनेट कर सकता है।
A- ब्लड ग्रुप वाला डोनर A+, AB+, A- और AB- ब्लड ग्रुप वाले लोगों को अपना ब्लड दे सकता है।
B+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति B+ और AB+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को अपना ब्लड दे सकता है।
B- ब्लड ग्रुप वाला डोनर B-, B+, AB- और AB+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को ब्लड डोनेट कर सकता है।
जबकि O+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति A+, B+, AB+ और O+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को रक्तदान कर सकता है।
O- ब्लड ग्रुप वाला डोनर किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को डोनेट कर सकता है।
AB+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति AB+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को अपना ब्लड दे सकता है।
AB- ब्लड ग्रुप वाला डोनर AB- और AB+ ब्लड ग्रुप वाले को डोनेट कर सकता है।
O- ब्लड ग्रुप वाले लोगों को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है और AB पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों को यूनिवर्सल रिसीवर कहा जाता है। भारत की बात करें तो यहां B+ ग्रुप वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। एक यूनिट ब्लड से पैक्ड रेड ब्लड, एक-एक यूनिट प्लाज्मा और प्लेटलेट्स बनाई जाती है। पैक्ड रेड ब्लड यानि PRBC सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला Blood component है। ये खराब गुर्दे, कार्डियोवैस्कुलर या हेपेटिक फ़ंक्शन वाले मरीजों में फायदेमंद होता है। प्लाज़्मा हमारे ब्लड का एक जरूरी हिस्सा होता है। हम सभी के शरीर में जितना ब्लड है, उसका 55% हिस्सा प्लाज़्मा होता है। कोरोना काल में प्लाज़्मा काफी लोगों ने डोनेट किया था। प्लेटलेट्स वो ब्लड सेल्स होते हैं, जो थक्के बनाते हैं और खून बहने से रोकते हैं। प्लेटलेट्स हमारे बोन मैरो में बनते हैं। शरीर में प्लेटलेट्स कम होने की वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है।
देश में कितने खून की जरूरत रोज पड़ती
1- हर साल करीब 5 करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत होती है, लेकिन केवल 2.5 करोड़ यूनिट ही ब्लड मिल पाता है।
2- हर दो सेकेंड में किसी न किसी को खून की जरूरत होती है।
3- रोजाना 38 हजार से ज्यादा ब्लड डोनेशन की जरूरत पड़ती है।
4- ब्लड ग्रुप 'O' की जरूरत ज्यादा होती है।
5- हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग ब्लड कैंसर से पीड़ित होते हैं और इनमें से ज्यादातर को खून की जरूरत पड़ती है ।
6- औसतन हर व्यक्ति में 10 यूनिट ब्लड होता है और ब्लड डोनेशन के वक्त 1 यूनिट के आसपास ब्लड डोनेट होता है।
कुछ रोचक बातें भी ब्लड ग्रुप से जुड़ी है...
1- TOI की खबर के अनुसार, B- के अलावा, AB- और AB+ बेहद रेयर ब्लड ग्रुप होते हैं, जो जल्दी नहीं मिलते हैं। RH null और बॉम्बे भी बहुत रेयर ब्लड ग्रुप होता है।
2- पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा ब्लड ग्रुप O+ होता है।
3- एक और बहुत मुश्किल से मिलने वाला ब्लड ग्रुप है जिसका नाम है EMM Negative. हाल ही में गुजरात में इस ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति मिला है जो भारत का पहला और दुनिया का 10वां ऐसा इंसान है जिसका ब्लड ग्रुप EMM Negative है।
4- सबसे ज्यादा ब्लड ग्रुप सांपों में होते हैं. इनमें 1910 ब्लड ग्रुप्स पाए जाते हैं।
5- साइज को देखते हुए आपको लगता होगा कि हाथी में सबसे ज्यादा खूब पाया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। सबसे ज्यादा खून -शार्क में 190 से 220 लीटर तक खून होता है, जबकि हाथी में 45 से 50 लीटर तक खून होता है।
ब्लड की मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में ब्लड की मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है। साल 2021 में ब्लड की मांग करीब 1.46 करोड़ यूनिट रही, लेकिन आपूर्ति 1.25 करोड़ यूनिट ही रही। 6 अप्रैल 2022 को मेडिकल जर्नल प्लस वन में CMC वेल्लोर की एक स्टडी में बताया गया है कि इंडिया में एलिजिबल ब्लड डोनर्स की संख्या 40 करोड़ से ज्यादा है, जो दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा आबादी है। इसके बावजूद भारत में हर साल 10 लाख यूनिट ब्लड की कमी दर्ज की जा रही है। स्टडी में ये भी बताया है कि भारत में हर साल सबसे ज्यादा 41.2 प्रतिशत यानी करीब 60 लाख ब्लड यूनिट की मांग अस्पतालों में डे केयर से आती है, जहां थैलेसीमिया या एनीमिया जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को ब्लड चढ़ाया जाता है। दूसरी सबसे बड़ी मांग अस्पतालों में होने वाले ऑपरेशन में आती है। केवल सर्जरी के लिए देश के अस्पतालों में सालाना 27.9 प्रतिशत यानी 41 लाख ब्लड यूनिट की जरूरत पड़ रही है। चाइल्डबर्थ और गायनोलॉजिस्ट के लिए 22.4 प्रतिशत यानी 33 लाख और बाल रोग के लिए 8.5 प्रतिशत 12 लाख यूनिट की मांग आती है।
ब्लड डोनेट के फायदे
1- हेमोक्रोमैटोसिस से बचाव
2- इम्यूनिटी बढ़ती है
3- दिल की बीमारी का खतरा कम
4- कैंसर का खतरा कम
5- वजन पर नियंत्रण
6- मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा होता है
डॉक्टर्स का कहना है कि एक हेल्दी डोनर को हर 3 महीने में ब्लड डोनेट करना चाहिए और 18 से 65 साल के बीच के लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैं। डोनर का ह्यूमोग्लोबिन 12.5% से ज्यादा होना चाहिए और कम से कम 45 किलो उसका वजन होना चाहिए।
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