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कनाडा से डिपोर्ट किए जा रहे 700 भारतीय छात्रों का है डंकी रूट कनेक्शन, जानिए आखिर ये है क्या?

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भारतीयों का विदेश में जाकर पढ़ने और कमाने का क्रेज़ सालों से रहा है। इस लिस्ट में पंजाब, केरल और गुजरात के लोगों की संख्या ज्यादा है। इन लोगों ने अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में अपनी अच्छी जगह बनाई है, लेकिन हाल के सालों में बहुत सारे भारतीयों के गैर-कानूनी यात्रा के मामले सामने आ रहे हैं। अभी हाल ही में कनाडा स्टडी करने गए 700 भारतीय छात्रों को वहां की सरकार ने कॉलेजों के एडमिशन के ऑफर लेटर और स्टडी वीजा होने के बाद भी इमिग्रेशन का नोटिस थमाया है। हालांकि छात्रों के सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने और भारत सरकार के दखल के बाद वापस जाने से उन्हें अभी राहत दी गई है। वहीं शुरुआती जांच में ये पूरा मामला डंकी रूट के रैकेट का निकल कर सामने आ रहा है।

किसी भारतीय का विदेश में पढ़ना या स्थायी रूप से रहने का जुगाड़ पैसे के बल पर करना नामुमकिन नहीं है। देश के अधिकांश लोग कनाडा जाते हैं और दूसरे नंबर पर अमेरिका उनकी पसंद है। उन्हें जब विदेश जाने का वीजा नहीं मिलता है तो वे एजेंट्स के चक्कर में पड़ जाते हैं। एजेंट्स उन्हें अवैध तरीके से विदेश भेजने का जुगाड़ करते हैं। ऐसा ही कुछ कनाडा स्टडी करने गए 700 भारतीय स्टूडेंट्स के साथ हुआ है।

दरअसल बहुत सारे स्टूडेंट्स 12वीं पास होने के बाद स्टडी वीजा के लिए आवेदन करते समय एजेंट या कंसल्टेंसी फर्म से संपर्क करते हैं। वे एजेंट को उनके शैक्षिक प्रमाण, IELTS योग्यता प्रमाण पत्र और अपना फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट देते हैं। इसी के आधार पर कंसल्टेंट के द्वारा एक फाइल तैयार की जाती है, जिसमें स्टूडेंट वहां एडमिशन लेने वाले कॉलेज का नाम और कोर्स का जिक्र करता है। कंसल्टेंसी स्टूडेंट्स को कॉलेज और कोर्स को चुनने के लिए अपना सुझाव भी देती है।

जानकारी के मुताबिक ज्यादातर स्टूडेंट सरकारी कॉलेज और कुछ खास प्राइवेट कॉलेज को ही पसंद करते हैं। फिर स्टूडेंट के वहां पहुंचने के बाद आमतौर पर कंसल्टेंसी फर्म अपनी जिम्मेदारी भूल जाता है। स्टूडेंट जिस देश में गए हैं अगर वहां के नियम के मुताबिक उनके स्टडी वीजा में कोई कमी पाई जाती है या डॉक्यूमेंट पूरे नहीं होते तो उन्हें अवैध मान लिया जाता है। यहीं पर वे डंकी रूट यानी अवैध यात्रा का शिकार हो जाते हैं।

डंकी रूट शब्द कोई नया नहीं है...पंजाब में इस शब्द को कबूतरबाजी कहते हैं और वहां ये बड़ा फेमस शब्द है। जाने माने पंजाबी सिंगर दलेर मेहंदी पर साल 2003 में कबूतरबाजी का केस दर्ज हुआ था। 15 साल बाद यानी 16 मार्च 2018 को पटियाला की कोर्ट ने दलेर मेहंदी को धोखाधड़ी और साजिश रचने का दोषी पाया को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में 3 साल से कम सजा होने के कारण दलेर मेहंदी को कोर्ट से जमानत मिल गई थी। एक डेटा के मुताबिक साल 2019 में 5.9 लाख, 2020 में 2.6 लाख, 2021 में 4.4 लाख और 2022 में 2.5 लाख भारतीय स्टूडेंट्स विदेश पढ़ने गए थे

 

अवैध यात्रा लगातार बढ़ क्यों रही है तो बता दें रोजगार और शिक्षा सबसे बड़ी वजह है। कुछ देशों में टेक्निकल और अन्य प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए इंडिया के मुकाबले कम पैसा खर्च होता है इसलिए भी छात्र विदेश जाना पसंद करते हैं। जिन्हें कम समय में अच्छी कमाई करके अच्छी लाइफ स्टाइल में जीने की ख्वाहिश होती है या फिर जो इंडिया में किसी क्राइम में शामिल होते हैं वे भी गैरकानूनी तरीका अख्तियार करते हैं।

एक आंकड़े के मुताबिक 2021 से 2022 तक भारतीय मूल के 16,290 लोगों को मैक्सिको की सीमा पर अमेरिकी पुलिस ने पकड़ा था। जानकारी के मुताबिक गैरकानूनी तौर पर विदेश जाने वालों की कई वजहें हैं। कभी कभार वे धोखे के भी शिकार हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग कोरोना काल के बाद जीवनयापन के लिए जानबूझकर अवैध रास्ते चुनते हैं।

कनाडा के 700 बच्चों के इमिग्रेशन का आखिर माजरा क्या है अब ये समझिए दरअसल कनेडियन बॉर्डर सर्विस एजेंसी ने छात्रों को डिपोर्टेशन का नोटिस इसलिए दिया है क्योंकि इन छात्रों के वीजा में जिस कॉलेज के ऑफर लेटर का जिक्र है वही नकली है। यानी नकली ऑफर लेटर के जरिए इन छात्रों को वीजा मिला था।

 

 

 

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