भारत की जेल में बंद अलगाववादी नेता और आतंकी यासीन मलिक (Yasin Malik) की बेगम मुशाल हुसैन (Mushal Hussain) अब पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार का हिस्सा हैं। मुशाल को पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवर उल हक ककार (pakistan caretaker pm anwar ul haq kakar) ने मानवाधिकार और महिलाओं से जुड़े मामले का विशेष सलाहकार नियुक्त किया है। मुशाल हमेशा से कश्मीर पर जहर उगलती आई हैं। विडंबना ये है कि आतंकवादी की पत्नी होने के बावजूद, जिसके हाथ सैकड़ों लोगों के खून से रंगे हैं उसकी बेगम मुशाल पाकिस्तान (Pakistan) में मानवाधिकार पर ज्ञान देंगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान को मुशाल हुसैन मलिक से योग्य कोई और नहीं मिला, जिसे वो मानवाधिकार मामलों के विशेष सलाहकार के तौर पर नियुक्त कर सके। जाहिर है कि इस नियुक्ति के पीछे पाकिस्तान का छिपा हुआ एजेंडा है।
मुशाल पेशे से एक आर्टिस्ट हैं और पाकिस्तानी नागरिक हैं। पाकिस्तान में बड़े-बड़े नेताओं और नौकरशाहों के साथ उनके कनेक्शन हैं। लेकिन, मुशाल और यासीन मलिक की पहली मुलाकात किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। बात 2005 की है। यासीन मलिक किसी अलगाववादी कार्यक्रम के सिलसिले में इस्लामाबाद गया था। मुशाल भी इस कार्यक्रम में पहुंची थीं। कार्यक्रम के बीच में यासीन ने फैज अहमद फैज की लोकप्रिय नज्म ‘हम देखेंगे’ सुनाया। इस नज्म से प्रभावित होकर मुशाल ने यासीन से कहा था कि मुझे आपका भाषण पसंद आया। फिर दोनों ने हाथ मिलाया और मुशाल ने यासीन का ऑटोग्राफ भी लिया। यहीं से दोनों के रिश्ते की शुरुआत हुई। 22 फरवरी 2009 को 43 साल के यासीन मलिक ने 24 साल की मुशाल से पाकिस्तान में निकाह कर लिया। मुशाल यासीन मलिक से 20 साल छोटी हैं। दोनों की एक 11 साल की बेटी रजिया है। अपनी शादी की पहली सालगिरह पर मिशाल अपने पूरे परिवार के साथ पहली बार कश्मीर आई थी। फिलहाल वो 2015 के बाद से भारत नहीं आई।
कौन हैं मुशाल हुसैन ?
मुशाल पाकिस्तान के एक बेहद अमीर परिवार से आती हैं। उसके पिता प्रोफेसर एमए हुसैन मलिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री थे। वो एक समय में जर्मनी की बॉन यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के एचओडी थे। साथ ही वो नोबेल पुरस्कार की ज्यूरी में शामिल होने वाले पहले पाकिस्तानी थे, जबकि मां रेहाना हुसैन मलिक पाकिस्तान मुस्लिम लीग की महिला विंग की पूर्व महासचिव रह चुकी हैं। मुशाल के भाई हैदर अली मलिक वाशिंगटन में विदेश नीति के एक्सपर्ट और अमेरिका में प्रोफेसर हैं। मुशाल ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन किया है। मुशाल को पेंटिंग का बहुत शौक हैं। उन्होंने छह साल की उम्र में ही पेंटिंग करनी शुरू कर दी थी। वो सेमी-न्यूड पेंटिंग्स के लिए बहुत लोकप्रिय हैं। उन्होंने कश्मीर के लोगों की व्यथित दशा को दर्शाते हुए कई पेंटिंग्स बनाई हैं। वो पाकिस्तान में पीस एंड कल्चर ऑर्गेनाइजेशन की चेयरपर्सन भी हैं। ऐसा माना जाता है कि ये संगठन वैश्विक शांति और सौहार्द के लिए काम करता है।
कौन है यासीन मालिक?
जबकि यासीन मलिक एक साधारण फैमिली से आते हैं। यासीन उन पांच आतंकवादियों में से एक था जो 1980 के दशक में कश्मीर से सीमा पार करके पाकिस्तान गए थे। इन्हीं आतंकियों की वजह से घाटी में आतंकवाद पनपा था। साल 1990 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उसे जेल से रिहा कर दिया गया था। तब से वो कश्मीर की आजादी का समर्थन करता हुआ अलगाववाद को हवा दे रहा था, लेकिन मोदी सरकार आने के बाद इस पर शिकंजा कसने लगा। जब कश्मीर से धारा 370 हटी उसके बाद से ये शिकंजा और भी ज्यादा कस गया। यासीन मलिक टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
मुशाल न तो पाकिस्तानी राजनीतिक में बड़ा चेहरा हैं और न ही आगामी चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के लिए वोट बटोर सकती हैं। ऐसे में मुशाल की नियुक्ति पाकिस्तान ने कश्मीर एजेंडे को जिंदा रखने के लिए पाकिस्तानी सेना के इशारे पर किया है। मुशाल हुसैन मलिक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से ताल्लुकात रखती हैं और कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी एजेंडें में फिट बैठती हैं। वो कश्मीर को लेकर शुरू से ही भारत के खिलाफ जहर उगलती रही है।
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