लद्दाख का सियाचिन, लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई, जहां चलती है तेज बर्फीली हवाएं जो भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है. जहां दिन हो या रात, सर्दी हो या गर्मी, सरहद पर सेना के जवान 24x7 हमारी सुरक्षा में तैनात रहते हैं. उसी जगह ड्यूटी के दौरान एक अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण शहीद हो गया. लक्ष्मण की मृत्यु किस वजह से हुई इसका पता अभी नहीं लग पाया है लेकिन इन सबके बीच सियासी बवाल जरूर शुरू हो गया है. राहुल गांधी से लेकर तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने सवाल खड़े किए है. यहां तक की अब कांग्रेस अग्निवीर योजना को लेकर चुनावी पिच पर बैटिंग भी करने जा रही है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले गावते अक्षय लक्ष्मण की सियाचिन ग्लेशियर के खतरनाक इलाके में ड्यूटी पर रहते जान चली गई. जिसके बाद परिवार में मातम छा गया है. सेना ने ऊंचाई की परिस्थितियों से पैदा होने वाली हेल्थ कॉम्पलिकेशन यानी स्वास्थ्य जटिलताओं को मौत का जिम्मेदार ठहराया है.इंडियन आर्मी की फायर एंड फ्यूरी कोर ने लक्ष्मण को श्रद्धांजलि दी. बता दें गावते पहले अग्निवीर हैं जिनका ड्यूटी के दौरान बलिदान हुआ है. एक अन्य अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने 11 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी पर आत्महत्या कर ली थी. जिस कारण उन्हें सैन्य सम्मान नहीं दिया गया था.
वहीं अग्निवीर के बलिदान के बाद विपक्ष ने फिर से इसका मुद्दा बनाया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अग्निवीर गावते की मृत्यु पर दुख जताया और अग्निपथ योजना को भारत के वीरों के अपमान की योजना करार दिया. उन्होंने कहा कि इसमें न तो सेवा के समय ग्रेच्युटी है, न अन्य सुविधाएं और न ही परिवार के लिए पेंशन है. राहुल की पोस्ट के बाद ऐसा माना जाने लगा है कि कांग्रेस अब इसे 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में अपना प्रमुख हथियार बनाना चाहेगी. जिसके लिए राजस्थान में 29 अक्टूबर को पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ ने अग्निपथ और अग्निवीर योजना के खिलाफ एक बड़ी रैली की तैयारी की है, इसके अलावा Say No To Agniveer कैंपेन भी लांच किए जाने की रणनीति तैयार की गई है. माना ये जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में ये मुद्दा प्रभावी हो सकता है, ऐसा हुआ तो 2024 विधानसभा चुनावों तक कांग्रेस इसे जनता के बीच लेकर जाएगी. राजस्थान के झूंझनू में होने वाली रैली में अग्निवीर योजना को उनके अपमान के तौर पर कांग्रेस पेश करेगी.
सोशल मीडिया पर जब राहुल ने इस मुद्दे को उठाया तो सेना की ओर से उसका जवाब दिया गया है. शहीद के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे को लेकर आर्मी ने पोस्ट करते हुए X पर लिखा है कि
शहीद लक्ष्मण के परिजनों को अंशदायी बीमा के रूप में 48 लाख रुपये मिलेंगे.
इसके साथ ही शहीद के परिवार को 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि भी मिलेगी.
इतना ही नहीं, शहीद के परिजनों को अग्निवीर द्वारा योगदान की गई सेवा निधि (30 प्रतिशत) से एक राशि भी मिलेगी, जिसमें सरकार द्वारा समान योगदान और उस पर ब्याज भी शामिल होगा.
साथ ही परिजनों को मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल का भी पैसा मिलेगा और यह राशि 13 लाख से अधिक होगी.
इसके अलावा सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से शहीद जवान के परिजनों को 8 लाख रुपये का योगदान दिया जाएगा.
आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (AWWA) की ओर से तत्काल 30 हजार रुपये की आर्थिक सहायता.
यानि कुल मिलाकर यह धनराशि 1 करोड़, 13 लाख से कहीं अधिक होगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय सेना के तीनों अंगों में 46 हजार अग्निवीर अपनी सेवा दे रहे है. इनमें आर्मी में सर्वाधिक 40 हजार अग्निवीर हैं जबकि एयरफोर्स में 2415 और नेवी में 2585 सैनिक है. खास बात ये है के नेवी में शामिल सैनिकों में 272 महिला सैनिक शामिल है. आपको बता दें अग्निवीर योजना के तहत अग्निवीर चार सालों के लिए सेना का हिस्सा बनते हैं. चार सालों के बाद अग्निवीर आम जीवन में वापसी करते हैं. खास बात है कि इन चार सालों के बाद अग्निवीरों को डिफेंस फोर्सेज में आने का मौका दिया जाता है. अब 4 साल पूरे कर चुके बैच के 25 फीसदी सैनिकों को भारतीय सुरक्षा बल में शामिल किया जाता है.
मिलती है ये सुविधाएं
अग्निवीरों को शुरुआती साल में 30 हजार रुपये प्रति महीना मिलता है.
इनमें से 21 हजार रुपये उनके हाथों में आता है
30 फीसदी यानी करीब 9 हजार रुपये कॉर्पस फंड में जाता है.
सरकार भी हर महीना 9 हजार रुपये का योगदान इस फंड में देती है.
दूसरे साल से अग्निवीर की सैलरी में इजाफा होता है और ये 33 हजार पर पहुंच जाता है
यहां हर महीने उन्हें 23 हजार 100 रुपये मिलते हैं और 9 हजार 900 कॉर्पस फंड में जाते है
तीसरे साल सैलरी हर महीने 36 हजार 500 हो जाती है और 10 हजार 950 कॉर्पस फंड में जाता है.
उनके हाथ में 25 हजार 550 रुपये आते हैं.
आखिरी साल में सैलरी 40 हजार रुपये और कॉर्पस फंड 12 हजार रुपये होता है. अग्निवीर 28 हजार रुपये पाते हैं.
इसके साथ ही लाइफ इंश्योरेंस कवर अग्निवीर के तौर पर 48 लाख रुपये का लाइफ इंश्योरेंस कवर दिया जाता है.
वहीं अगर कोई अग्निवीर ड्यूटी के दौरान शहीद हो जाता है, तो उन्हें 48 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर, 44 लाख रुपये अनुग्रह राशि, चार सालों की सेवा निधि और कॉर्पस फंड मिलता है.
अगर किसी अग्निवीर की मौत ऐसे समय पर होती है, जब वो ड्यूटी पर नहीं थे, तो उन्हें 48 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर और मृत्यु की तारीख तक जोड़ी हुई सेवा निधि और कॉर्पस फंड भी दिया जाता है.
हालांकि गावते की मौत के मामले में सेना ने बताया है कि वो नियमों के तहत उनके परिजनों को धनराशि देगी. अब कांग्रेस ने तो इस मुद्दे को सियासी हथियार बनाने की ठान ली है. इसका असर आगे आगने वाले चुनाव में कितना देखने को मिलेगा ये तो वक्त बताएगा. इस पर आपकी क्या राय है कमेंट्स करके बताएं और वीडियो को लाइक और शेयर जरूर करें
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