दिल्ली की शराब नीति, जिसको दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने बनाया तो रेवेन्यू बढ़ाने और शराब की कालाबाजारी रोकने के लिए था लेकिन, ये पॉलिसी सरकार के ही गले की हड्डी बन गई. पहले सिसोदिया, फिर संजय सिंह और अब अरविंद केजरीवाल. ED ने तो केजरीवाल पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली थी. लेकिन एन वक्त पर केजरीवाल ने ED के सामने पेश होने से मना कर दिया. उनका कहना है कि ये नोटिस बीजेपी के कहने पर भेजा गया है और ये कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है, चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में मेरी रैलियां हैं. पहले से कार्यक्रम तय हैं. मुझे चुनाव प्रचार से रोकने के लिए ये नोटिस दिया गया है.
दरअसल इससे पहले खबर थी कि नोटिस मिलने के बाद केजरीवाल सुबह 11 बजे ईडी ऑफिस पहुंचेंगे. आशंका तो ये भी जताई जा रही थी कि पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. अब सवाल है कि अगर केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया जाता तो दिल्ली सरकार कैसे चलती और पार्टी का क्या होता?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर गिरफ्तारी हो भी जाती तो भी अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने रहते. दरअसल ऐसी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है कि कोई मुख्यमंत्री अगर गिरफ्तार हो जाए तो उसको पद छोड़ना पड़ता हो. हालांकि देश के इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया हो लेकिन अगर केजरीवाल गिरफ्तार हो जाते तो भी दिल्ली की सरकार जेल से चल सकती थी. केजरीवाल सरकार के मंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज से जब इस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने इस बात का इशारा करते हुए कहा था कि अगर सारे नेताओं को इस तरह से ही जेल में डाला जाएगा तो जाहिर है जेल से ही सरकार और पार्टी चलेगी'
बता दें अरविंद केजरीवाल ने सरकार में कोई विभाग अपने पास नहीं रखा हुआ है. ऐसे में रोजमर्रा के काम काज और फाइलों आदि पर दस्तखत करने की समस्या भी उनके साथ नहीं होती. अगर अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार होते तो ऐसे में सरकार और पार्टी की कमान मंत्री सीमा अतिशी और सौरभ भारद्वाज के कंधों पर आने की संभावना थी.
नियमों के मुताबिक
कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर की धारा 135 में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, लोकसभा और राज्यसभा सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट मिली है. हालांकि, ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में है जबकि क्रिमिनल मामलों पर ये लागू नहीं होती है. ऐसे में आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी हो सकती है.
हालांकि, क्रिमिनल केस में अरेस्ट करना है उसके लिए एक शर्त ये भी तय है कि पहले विधानसभा अध्यक्ष से मंजूरी लेनी होती है. ऐसे में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने से पहले दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष राम निवास गोयल की मंजूरी चाहिए होगी. इसके बाद ही उनकी गिरफ्तारी हो सकती है.
इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल को ED अगर गिरफ्तार करती तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का कोई प्रावधान नहीं है. शराब नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के अभी आरोप लगे हैं. आरोप जब तक तय नहीं हो जाते हैं तब तक वो अपने पद पर बने रह सकते हैं. बता दें इससे पहले CBI ने इसी मामले में दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल से अप्रैल में करीब 9 घंटे पूछताछ की थी. जिसके बाद आज ED के सामने पूछताछ के लिए पेश होना था लेकिन उन्होंने अभी पेश होने से मना कर दिया. दरअसल पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह की इस मामले में पहले ही गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. 26 फरवरी 2023 को CBI ने सिसोदिया को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था और 4 अक्टूबर 2023 को संजय सिंह को ईडी ने गिरफ्तार किया था. दोनों ही नेताओं की गिरफ्तारियां दिल्ली शराब नीति केस में की गईं और अभी तक जेल में है. अब आगे केजरीवाल कब पेश होते है ये देखने वाली बात होगी, इस पर आपकी क्या राय है कमेंट्स करके जरूरबताएं और वीडियो को लाइक और शेयर जरूर करें
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