बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती के परिवार को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। द इंडियन एक्सप्रेस ने सरकारी रिकॉर्ड की जांच कर ये पर्दाफाश किया है कि जब मायावती यूपी की सीएम थीं, तब उनके भाई और भाभी को रियल एस्टेट कंपनी लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड ने नोएडा में तकरीबन आधी कीमत पर 261 फ्लैट दिए थे। इन सौदों में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं और करोड़ों रुपए की घपलेबाजी हुई। मायावती के भाई-भाभी को फ्लैट आवंटित करने की प्रक्रिया धोखाधड़ी और अंडरवैल्यूएशन पर आधारित थी, तो आइए समझते है क्या है पूरा मामला
साल 2007 में बसपा ने उत्तर प्रदेश में चुनाव जीता और मायावती मुख्यमंत्री बनीं। तीन साल बाद मई 2010 में लॉजिक्स इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनी। इसके दो महीने बाद जुलाई 2010 में कंपनी ने मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता को नोएडा में बन रहे अपने प्रोजेक्ट ब्लोसम ग्रीन में दो लाख स्कवायर फुट जमीन बेचने का एग्रीमेंट किया। ये डील 2,300 और 2,350 रुपये पर स्कवायर फुट पर हुई। इस कीमत पर आनंद कुमार को 46.02 करोड़ और विचित्र लता को 46.93 करोड़ रुपये देने थे। इस एग्रीमेंट के तीन महीने बाद उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आने वाली नोएडा अथॉरिटी ने लॉजिक्स इंफ्राटेक को ब्लॉसम ग्रीन में 22 टावर बनाने के लिए 24.74 एकड़ की ज़मीन लीज़ पर दी। इसके बाद साल 2010 से 2022-23 तक कंपनी ने ब्लॉसम ग्रीन के 2,538 फ्लैटों में से 2,329 फ्लैट बेचे। 8 टावरों में बने 944 फ्लैट्स में से 848 लोग रहने लगे हैं, लेकिन 14 टावरों का काम पूरा होने के बावजूद भी ये अभी तक खाली पड़े है। इन्हें पजेशन लेटर नहीं मिल सका है। वास्तविक कीमत से बहुत कम पर (46 प्रतिशत डिस्काउंट) फ्लैट दिए गए।
पैसा चुकाने में असमर्थ
अप्रैल 2016 तक आनंद कुमार को 135 अपार्टमेंट और विचित्र लता को 126 अपार्टमेंट मिले, जिसके लिए उन्होंने 28.24 करोड़ और 28.19 करोड़ रुपये का एडवांस पेमेंट कंपनी को किया था। 15 फरवरी 2020 को लॉजिक्स इंफ्राटेक को 7.72 करोड़ रुपये की बकाया राशि का पहला नोटिस मिला। ये नोटिस अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड की ओर से भेजा गया था। इस कंपनी को लॉजिक्स इंफ्राटेक ने सिविल और स्ट्रक्चरल वर्क के लिए 259.80 करोड़ रुपए का ठेका दिया था। इसी साल अक्टूबर में लॉजिक्स ने नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि साल 2019 में कोरोना महामारी की वजह से अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स को वो ये पैसा चुकाने में असमर्थ थी। इसके दो साल बाद सितंबर 2022 में एनसीएलटी ने लॉजिक्स को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया ताकि उसके देनदारों के लिए वसूली की जा सके।
फ्लैटों के आवंटन में धोखाधड़ी हुई!
मई 2023 में आई लेटेस्ट ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए, द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि कंपनी ने धोखाधड़ी कर आनंद कुमार और विचित्र लता को 46 प्रतिशत कम रेट पर ब्लॉसम ग्रीन की यूनिट्स बेचीं। ऑडिट में कहा गया कि दोनों ने बैंकरप्सी फ्रॉड के तहत 96.64 करोड़ रुपये चुकाए। आनंद कुमार ने 2,300 रुपये पर स्कवायर फुट पर यूनिट्स खरीदीं, जबकि दूसरे खरीदारों के लिए रेट 4,350.85 रुपये था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनजोलवेंसी एंड बैंकरप्सी एक्ट 2016 के सेक्शन 45 के तहत ये लेनदेन अंडरवैल्यूड है। रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि आनंद कुमार को आवंटित फ्लैटों में से 36 का पहले ही दूसरे खरीदारों को पजेशन दिया जा चुका था। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, इससे ये पता चलता है कि फ्लैटों के आवंटन में या तो ग़लती हुई है या फिर धोखाधड़ी हुई है।
ऑडिट में ट्रांजैक्शन को बताया फ्रॉड
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, आनंद कुमार द्वारा किए गए 28.24 करोड़ रुपये के पेमेंट को इनवेस्टमेंट के बजाय एडवांस फ्रोम कस्टमर टाइटल के तहत दिखाया गया है। वहीं, बैंक की रसीदों और स्टेटमेंट्स में सिर्फ 27.60 करोड़ रुपये का ही पेमेंट है। ऑडिट में कहा गया कि हमारे विश्लेषण के अनुसार कंपनी को जो पेमेंट मिली उसे संबंधित पार्टी को लौटा दिया गया। इसी तरह विचित्र लता के नाम पर आवंटित 125 फ्लैटों में से 24 में दूसरे लोग रह रहे हैं। इसके अलावा, उनकी ओर से किए गए 28.85 करोड़ रुपये के भुगतान को लॉजिक्स की ओर से बिना कोई वजह बताए संबंधित पक्षों को ट्रांसफर कर दिया गया था। ऑडिट में इस ट्रांजैक्शन को फ्रॉड बताया गया है।
1997 में अस्तित्व में आए लॉजिक्स ग्रुप के तहत कई कंपनियां काम करती हैं। साल 2021 में आई कैग की एक रिपोर्ट से पता चला है कि नोएडा अथॉरिटी ने 2005-18 के बीच लॉजिक्स ग्रुप को आवंटित की गई सभी कमर्शिल जमीनों का 22 प्रतिशत दिया और 31 मार्च, 2020 तक ऑथोरिटी के 5,839.96 करोड़ रुपये इस कंपनी पर बकाया हैं।
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