जिस तेजी से चीन की नेवी अपना विस्तार कर रही है । ऐसे में इंडियन नेवी भी अब अपने तीसरे इंडीजिनस एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है।
आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत इंडियन नेवी ने अपने दूसरे इंडीजिनस एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। ये कैरियर विक्रांत क्लाॅस का ही होने वाला है। जोकि 45 हजार टन की क्षमता वाला होगा। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड में होगा। इसी के पास इंडिजिनस एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की विशेषज्ञता भी है।
निर्माण शुरू होने के 8 से 10 साल के अंदर यह कैरियर बन कर तैयार हो जाएगा। जिसके बाद इंडियन नेवी के पास भी चीन के बराबर ही तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे। हालांकि नेवी की ताकत के मामले में चीन के दबदबे को कम करने के लिए भारत को काफी कुछ करना होगा। क्योंकि चीन जिस तेजी से अपने युद्धक पोत तैयार कर रहा है उस हिसाब से अगले 5 से 6 सालों में उसके युद्धपोतों की संख्या 550 के पार हो जाएगी। जबकि 2035 तक इंडियन नेवी के पास कुल 175 वाॅरशिप ही होंगे। ऐसे में चीनी दबदबे को काउंटर करने के लिए इंडियन नेवी को भी बड़ी ताकत की जररूत है। इसके लिए नेवी और सरकार क्या कुछ कर रही है जानते हैं।
इंडियन नेवी विश्व की चार सबसे ताकतवर नेवी में शामिल है। हिंद महासागर,अरब सागर हो या फिर बंगाल की खाड़ी यहां इंडियन नेवी का ही दबदबा रहता है,लेकिन भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान लगातार चालें चलते हैं और अपनी साजिशों को अंजाम देने की कोशिशों में लगे रहते हैं। इन सबसे सुरक्षा के लिए इंडियन नेवी की ताकत को लगातार बढाने की जरूरत है। मोदी सरकार इस दिशा में काम कर भी रही है। फिर चाहें वो नए शिप का निर्माण हो या फिर सबमरीन बनाना हो।
मौजूदा वक्त में इंडियन नेवी के 68 शिप आर्डर में हैं। इस आर्डर की कुल कीमत 2 लाख करोड़ से ज्यादा हैं। इंडियन नेवी के लिए स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन का निर्माण भी जारी है। तो वहीं एडवांस युद्धपोत भी बन रहे हैं।
पिछले साल इंडियन नेवी को उसका पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत मिला। जिसके लिए 26 फाइटर जेट खरीदने की प्रक्रिया भी चल रही है। वहीं अब इंडियन नेवी ने अपने बेड़े में तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर को शामिल करने के लिए मोदी सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। ये तीसरा एयरक्राफ्ट करियर विक्रांत क्लास का ही होगा। हालाकि नेवी इससे बड़े 65 हजार टन क्षमता के एयरक्राफ्ट कैरियर को चाहती थी,लेकिन बजट को देखते हुए उसने विक्रांत क्लास के एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण को लेकर ही प्रस्ताव भेजा है।
आईएसी-2 नाम का ये कैरियर 45 हजार टन वजनी होगा। जिसकी लागत 40 हजार करोड़ से ज्यादा हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि आईएनएस विक्रांत से ज्यादा टिवन इंजन फाइटर जेट और हैलीकाप्टर तैनात किए जा सकेंगे।
भारत को आईएनएस विक्रांत बनाने में 13 साल का वक्त लगा था,लेकिन आईएसी-2 के निर्माण में इससे कम वक्त लग सकता है। हालाकि सरकार की ओर से अभी आईएसी-2 के निर्माण के लिए अनुमति नहीं मिली है।
नेवी हमेशा से तीन विमान वाहक पोत होने की अपनी जरूरत पर जोर देता आया है। जिससे हर समय कम से कम दो विमान वाहक पोत तैनात रहें।
भारत के दो पड़ोसी देश लगातार अपनी नेवी की ताकत को बढाने पर ध्यान दे रहे हैं। खासकर चीन जिस तेजी से अपनी नेवी का विस्तार कर रहा है और हिंद महासागर में भारत को चुनौती दे रहा है। ऐसे में इंडियन नेवी में ज्यादा संख्या में और भी ताकतवर शिप्स की जरूरत है। इन जररूतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार लगातार काम कर रही है,लेकिन इन प्रोजेक्ट को पूरा करने की गति बेहद धीमी है।
इंडियन नेवी के कौन कौन से प्रोजेक्ट पर काम अभी चल रहा है।
प्रोजेक्ट-15 बी- इसके तहत 3 गाइडेड मिसाइल डिस्ट्राॅयर का निर्माण हो रहा है। इस प्रोजेक्ट की कुल काॅस्ट 35]800 करोड़ है।
प्रोजेक्ट-17ए- इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 7 नीलगिरि क्लाॅस फ्रिगेटस का निर्माण हो रहा है जिसकी कुल काॅस्ट 45]000 करोड है।
प्रोजेक्ट-1135- तलवार क्लाॅस स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेडस निर्माण
एटीवी प्रोजेक्ट- ये एक बेहद सीक्रेट प्रोजेक्ट है। जिसके तहत भारत 4 एसएसबीएन सबमरीन का निर्माण कर रहा है। आईएनएस अरिहंत इसी प्रोजेक्ट के तहत बनी है। इस प्रोजेक्ट की लागत 90 हजार करोड़ के करीब बताई जा रही है।
कलवरी क्लाॅस सबमरीन प्रोजेक्ट- इसके तहत 3 डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन का निर्माण होगा। इस क्लाॅस की 6 सबमरीन पहले ही नेवी में शामिल हो चुकी हैं।
पी-75आई- इस प्रोजेक्ट के तहत इंडिपेंडेंट प्राॅपल्शन सिस्टम वाली सबमरीन का निर्माण होना है। जिसके लिए फाॅरेन पार्टनर की तलाश अभी चल रही है। इस प्रोजेक्ट की काॅस्ट 45 हजार करोड़ के करीब बताई जा रही है।
इन प्रोजेक्टस के लिहाज से देखें तो आने वाले 10 से 15 सालों में इंडियन नेवी की ताकत में काफी इजाफा होगा,लेकिन चीन के मुकाबले के लिए ये काफी होगा। अभी इस पर सवाल है।
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