चक्रवाती तूफानों का केंद्र क्यों बनता जा रहा अरब सागर? वजह जानिए

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अरब सागर में उठा चक्रवात तूफान बिपरजॉय अब खतरनाक रूप ले चुका है। बिपरजॉय भारत की ओर बढ़ रहा है, जो जल्द ही भारतीय तट से टकराएगा। उससे पहले मुंबई, गुजरात से लेकर केरल के तट तक समंदर में तूफानी लहरें उठ रही हैं...जिसका वीडियो भी सामने आया है। अरब सागर में बिपरजॉय इस साल का बना पहला चक्रवाती तूफान है। जानकारों के मुताबिक बिपरजॉय का असर केरल की ओर से आने वाले मानसून पर पड़ सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि इस तरह के तूफान आने वाले समय में मानसून को धीमा कर सकते हैं।

पिछले कुछ दशकों के रिकॉर्ड पर अगर नजर डालें तो ये देखा गया है कि अरब सागर में काफी खतरनाक तूफान बनने लगे हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं था। पहले बंगाल की खाड़ी को विनाशकारी तूफानों के लिए अधिक जिम्मेदार माना जाता था, लेकिन अब अरब सागर में भी भीषण तूफान बनने लगे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1982 से बाद से अरब सागर में चक्रवात तूफानों की संख्या में 52 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अब सवाल उठता है कि इसके पीछे की वजह क्या है...तो वो भी आपको बता देते हैं।

अरब सागर में चक्रवात तूफानों में लगातार बढ़ने के पीछे की वजह ग्लोबल वार्मिंग को माना जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तूफानों के बनने में आई तेजी का रिश्ता समुद्र के पानी के तापमान में हो रही बढ़ोतरी और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ती नमी के चलते हो रहा है। पहले अरब सागर आमतौर पर ठंडा रहता था लेकिन अब ये गरम पानी के पूल में बदल चुका है। क्लायमेट चेंज के कारण समुद्र पहले ही गर्म हो चुके हैं। ताजा स्टडी बताती है कि मार्च के बाद अरब सागर 1.2 डिग्री गरम हो चुका है और ये स्थिति किसी भी तूफान के बनने और उसे ताकतवर बनाने में बहुत सहायक होती है।

पुणे की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के वैज्ञानिकों की इस स्टडी में ये भी बात सामने आई है कि अरब सागर में जो तूफान बन रहे हैं, मानसून से पहले उनके बनने की गति, समय और तीव्रता...सभी में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि 20 फीसदी बढ़ोतरी मानसून के बाद ऐसे तूफानों के बनने में आई है। पहले यहां उतने खतरनाक तूफान नहीं बनते थे, जितने अब बनने लगे हैं।

अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में ज्यादा तूफान बनने से मानसून पर कितना असर पड़ेगा वो भी जान लिजिए। अगर ज्यादा तूफान बनने लगेंगे तो ये मानसूनी हवाओं पर बुरी तरह असर डालेंगे और उसे तितर बितर कर देंगे। उससे भारत में हर साल आने वाले मानसून की लय और सेहत दोनों पर खराब असर पड़ेगा। ये भी हो सकता है कि मानसून का समय ही अनिश्चित हो जाए। इन दोनों स्थितियों में ना केवल हमारी कृषि पर असर पड़ेगा बल्कि बरसात से हमें नदियों, जलाशयों में जो पानी मिलता है, उस पर भी बुरा असर पड़ेगा।

चक्रवात तूफान मुख्य तौर पर दो प्रकार के होते हैं...पहला ट्रॉपिकल और एक्सट्रा ट्रॉपिकल। हवा की रफ्तार के अनुसार इनकी 5 कैटेगरी हैं...पहली कैटेगरी में तूफान की गति 119 किलोमीटर से 153 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। दूसरी कैटेगरी में साइक्लोन 154 से 177 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ता है। तीसरा तूफान 178 से 208 किलोमीटर प्रति घंटा तेजी से आगे बढ़ता है। चौथे साइक्लोन की स्पीड 209 से 251 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। वहीं पांचवे और सबसे तेज तूफान की रफ्तार होती है...252 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे भी ज्यादा।

 

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