युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए, ये बात सोशल मीडिया पर चर्चा बटोरे हुई है, यानी अगर आप 5 डे वर्किंग में हैं, तो 14 घंटे/डे काम और अगर 6 डे वर्किंग हैं तो 11 घंटे 40 मिनट/डे काम करना जरुरी है, ताकि इंडिया की ग्रोथ में मदद हो। भारत के युवाओं को ये फॉर्मूला देश के बड़े उद्योगपति और दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति ने बताया है, जिसके बाद वर्क लाइफ बैलेंस पर बहस छिड़ गई है।
नारायण मूर्ति ने कहा कि भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है, इसे बढ़ाने के लिए देश का युवा हर रोज करीब 12 घंटे काम करे। हालांकि उनके ऐसा कहने के पीछे की वजह आने वाले समय में भारत, अमेरिका से भी आगे निकल जाए, ये था। इसके लिए उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान के लोगों ने कैसे काम करने के इस फॉर्मूले को अपनाया था, इसका उदाहरण भी दिया है।
लेकिन नारायण मूर्ति की इस बात पर बहस छिड़ गई है, जिसमें कुछ उनके साथ और ज्यादातर उनके खिलाफ। इसमें फेमस नॉवलिस्ट चेतन भगत का नाम भी शामिल है। उन्होंने सोशल मीडया एक्स पर लिखा -मैंने कभी किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देखा जो अपने काम से प्यार करता हो और ये गिनता हो कि वो एक हफ्ते में कितने घंटे काम करता है? वहीं, फेवर में जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने कहा हमें भारत को 2047 में एक ऐसी आर्थिक महाशक्ति बनाना है, जिस पर हम सब गर्व कर सकें। हमारे जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को 5 डे वर्किंग कल्चर की जरूरत नहीं है। ओला कैब्स के सीईओ भाविश अग्रवाल ने भी नारायण मूर्ति का समर्थन किया है।
लेकिन ऐसी कई रिसर्च हैं कि जो बताती हैं कि ज्यादा घंटे काम करने से प्रोडक्टिविटी घटती है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर हफ्ते औसतन 55 घंटे या उससे ज्यादा काम करने से स्ट्रोक का खतरा 35 परसेंट और हृदय रोग का खतरा 17 परसेंट बढ़ जाता है। और आपको जानकर हैरानी होगी कि एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में पब्लिश डब्ल्यूएचओ और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय तक काम करने के कारण 2016 में स्ट्रोक और हृदय रोग से 7,45,000 मौतें हुईं, जिसमें साल 2000 के बाद से 29 परसेंट की बढ़ोत्तरी हुई है। विश्व के कई देशों के साथ ही चाइना जैसी कंट्री में 996 मॉडल यानी कि हफ्ते के 6 दिन 9 एम से 9 पीएम तक काम का विरोध कर रहे हैं। जहां ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी और आईसलैंड में 4 डे वर्क का कल्चर है और इंडिया में भी कई कंपनीज 4 डे वर्क देते हैं।
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