संजय कुमार मिश्रा ये नाम काफी चर्चा में है. संजय Enforcement Directorate यानी ED के डायरेक्टर है. जिनका कार्यकाल हाल फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर तक के लिए एक्सटेंड कर दिया है. केंद्र की मोदी सरकार ने एक्सटेंशन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और एक्सटेंशन के लिए FATF रिव्यू की दलील दी थी. हालांकि इस दौरान जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की पीठ ने कुछ सख्त कमेंट भी किए. ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर क्या है ये FATF, जिसके चलते ED डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल को बढ़ाया गया केंद्र सरकार संजय मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर तक पर बनाए रखना चाहती थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 15 सितंबर तक रहने की अनुमति दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि
'जनहित में हम मिश्रा को कुछ समय के लिए डायरेक्टर के रूप में बने रहने की अनुमति दे रहे हैं. 15-16 सितंबर की मध्यरात्रि को मिश्रा ईडी के डायरेक्टर नहीं रहेंगे और भविष्य में किसी भी परिस्थिति में उनके विस्तार के लिए कोई और आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा.
‘क्या हम यह छवि पेश नहीं कर रहे हैं कि और कोई नहीं है और पूरा विभाग अयोग्य लोगों से भरा पड़ा है. इससे ऐसा संदेश जाता है कि ED के बाकी अफसर नाकारा हैं. इससे बाकी अफसर हताश भी हो सकते हैं.’
जस्टिस गवई ने वजह पूछी तो सॉलीसिटर जनरल ने कहा
ED द्वारा अपने निर्देशों व सुझावों की पालना की FATF समीक्षा कर रही है. संजय 2020 से इस प्रक्रिया में शामिल हैं. जांच प्रणाली की समीक्षा 5 राउंड में होती है. भारत 4 राउंड पूरे कर चुका है. 5वें राउंड में FATF का प्रतिनिधिमंडल 3 हफ्ते के लिए भारत आने वाला है. मिश्रा के समय भारत ने सभी राउंड क्लियर किए हैं. नए अधिकारी के लिए ये प्रक्रिया और जानकारी समझ पाना आसान नहीं होगा. इसलिए उनका पद पर बने रहना जरूरी है.
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ा दिया. हालांकि एक्सटेंशन बढ़ाने के लिए केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने SC में याचिका दायर की थी. इसमें एक्सटेंशन बढ़ाने के पीछे FATF रिव्यू की दलील दी गई थी. अब आते है FATF पर
FATF क्या है ?
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल यानी Financial Action Task Force (FATF) एक इंटरगवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन है. जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में G-7 ग्रुप के देशों ने मिलकर 1989 में स्थापित किया. भारत FATF का 2010 से मेंबर है. FATF के वर्तमान अध्यक्ष टी. राजा कुमार हैं जिन्होंने जुलाई 2022 में पदभार संभाला था. इसे मनी लॉन्ड्रिंग और Terror Financing को रोकने के लिए बनाया गया. दूसरे शब्दों में कहें तो ये आतंकियों को पालने-पोसने के लिए पैसा मुहैया कराने वालों पर नजर रखने वाली एजेंसी है. FATF का निर्णय लेने वाला निकाय को FATF प्लेनरी कहा जाता है. इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है. इसमें भारत समेत दूसरे 39 देश शामिल हैं. हालांकि संस्था के पास 200 देशों में काम करने का अधिकार है. इसके साथ ही FATF विश्व स्तर पर अपनी सिफारिशों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा देता है.
FATF रिव्यू और ED का क्या कनेक्शन है?
इस पर सरकार की तरफ से बताया गया कि मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग सीधे तौर पर FATF रिव्यू से जुड़े हैं और इन दोनों की मामलों की जांच ED करता है.
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि फिलहाल FATF का पीयर रिव्यू चल रहा है. इसके लिए FATF की कमेटी भी तीन नवंबर को भारत आएगी. ऐसे में उनके सवालों के जवाब तैयार करने के लिए मिश्रा की जरूरत होगी क्यों कि वो पिछले कुछ सालों से ED को हेड कर रहे हैं.
भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के केस ज्यादा देखने को मिलते है. जिसे PMLA कानून के तहत देखा जाता है और इसे ED देखती है. ED को आरोपी को अरेस्ट करने, उसकी संपत्तियों को जब्त करने, गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलने की सख्त शर्तें और जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान को कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य होने जैसे नियम उसे ताकतवर बनाते हैं.
FATF की वेबसाइट के मुताबिक
मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस FATF को डील करती है. यानी जो भी डेलीगेशन आएगा उसे मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस डील करेगी
फिलहाल कोर्ट ने संजय मिश्रा को 15 सितंबर तक ईडी डायरेक्टर के पद पर रहने को कह दिया है. Live Law के मुताबिक कोर्ट ने ये फैसला 'राष्ट्र हित' में लिया है. अब 15 सितंबर के बाद कौन ED का नया डायरेक्टर बनता है ये देखने वाली बात होगी
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