अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को आज की तारीख में कौन नहीं जानता है. हालांकि एक ऐसा गैंगस्टर भी है जिसे दिल्ली का दाऊद कहा जाता है. जिसके खौफ के किस्से दिल्ली के जर्रे-जर्रे में गूंजते हैं. जिसको जरायम की दुनिया में जुर्म का खलीफा लोग कहते है. आज बात उसी गैंगस्टर जो देश की सबसे सुरक्षित जेल में रहकर भी अपने साम्राज्य को ऑपरेट कर रहा है. जिसने जुर्म की दुनिया में ऐसा तहलका मचा रखा है कि आए दिन उसके चर्चे सुनने को मिलते है. जिसकी क्राइम कुंडली का कच्चा चिट्ठा जान आप भी हैरान हो जाएंगे. बताते हैं कि 17 साल पहले कैसे एक नौजवान ने क्राइम की ABCD सीखी और जुर्म की दुनिया की मास्टर डिग्री हासिल कर ली.
वैसे तो दिल्ली के गैंगस्टरों की लिस्ट बड़ी लंबी है, लेकिन एक नाम हमेशा सुर्खियों में छाया रहता है. वो नाम है नीरज बवाना का, जो आज भी जेल के अंदर रहकर अपने गैंग को चला रहा है. इसी बदमाश को ही दिल्ली का दाऊद कहा जाता है. नीरज बवाला का असली नाम नीरज सेहरावत है. लेकिन नीरज सेहरावत से बवाना कैसे बना ये जानते हैं.
कैसे बना नीरज सेहरावत से नीरज बवाना ?
दरअसल दिल्ली में एक जिला है आउटर. इसी जिले में स्थित है गांव बवाना. बवाना के ही रहने वाले प्रेम सिंह सेहरावत के घर में 5 अगस्त, 1988 को नीरज का जन्म हुआ. नीरज ने 16 साल की उम्र में किताबें छोड़ कर बंदूकें थाम लीं और जुर्म की दुनिया का साम्राज्य खड़ा करने लगा. गुंडों और गैंगस्टर की दुनिया में इसे हर कोई नीरज बवाना उर्फ बवानिया के ही नाम से जानते हैं. नामी गिरामी गुंडों का शगल होता है कि वे जब बदमाश में कोई बड़ा मुकाम हासिल कर लेते हैं. तो अपने गांव का नाम भी इस खुराफाती दुनिया में बदनाम कराने के लिए अपने नाम के बाद सरनेम की जगह गांव का ही नाम लिखने लगते हैं. इसीलिए नीरज ने भी अपना सरनेम सहराव हटाकर उसकी जगह अंत में बवाना लगा लिया. कुछ लोग इसे नीरज बवानिया भी पढ़ते, बोलते हैं.
हालांकि पिता प्रेम सिंह सेहरावत DTC में बस कंडक्टर थे. वो चाहते थे कि नीरज बड़ा हो कर कोई बिजनैस करे, लेकिन नीरज ने जैसे अपराध के बिजनैस को करने की बचपन से ही ठान ली थी. पहले लोगों से झगड़ा करना, झगड़ा खरीदना, दुश्मनी मोल लेना और फिर घर आकर पिता से मार खाना, ये तो जैसे उस की हर रोज की बात हो गई थी. क्राइम की दुनिया में आना नीरज के लिए कोई रिस्क नहीं था, बल्कि उसे दिख रहा था बेशुमार पैसा, पॉवर और पॉलिटिक्स. इसलिए उस ने क्राइम की दुनिया में कदम रखा.
नीरज ने वही किया, जो उस के दिल ने चाहा. नीरज का बड़ा भाई पंकज सेहरावत सबसे पहले क्राइम की दुनिया में कूदा. साल 2004 में उस ने लूट, डकैती और हत्या जैसे संगीन मामलों को अंजाम दिया. उस का छोटा भाई नीरज ठीक उस के पीछे-पीछे चलते हुए क्राइम की दुनिया में कूद पड़ा. नीरज ने साल 2004 में तब पहला कत्ल किया था, जब वो नाबालिग था. इसके बाद नीरज ने कुख्यात अमित भूरा को ना सिर्फ भरी अदालत से जबरदस्त फायरिंग कर भगा लिया. कुछ समय बाद साल 2005 में उसने सुरेंद्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा गैंग से हाथ मिला लिया. कहा जाता है उस समय तक नीतू दाबोदा गैंग ने जुर्म की दुनिया में अच्छा-खासा मुकाम हासिल कर लिया था. नीतू दाबोदा गैंग का मुख्य काम होता था, लूट डकैती और हत्या जैसी वारदातों को अंजाम देना.
दाबोदा गैंग में बनाई बादशाहत
साल 2010 तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा. तब तक नीरज बवाना जुर्म की दुनिया में एक फ्रैशर की तरह था. लेकिन साल 2011 आते-आते सूरत बदल गई. 2011 में नीरज के दोस्त सोनू पंडित की दाबोदा गैंग में एंट्री हुई. गैंग में सोनू पंडित के आने के बाद नीतू दाबोदा और नीरज बवाना के बीच दूरियां बढ़ती गईं. नीतू को ये लगने लगा था कि सोनू नीरज को उस के खिलाफ भड़का रहा है और दोनों मिल कर उस की हत्या कर सकते हैं. इसी असुरक्षा की भावना के चलते नीतू दाबोदा ने सोनू पंडित की हत्या करवा दी. यहीं से नीतू दाबोदा और नीरज बवाना के रास्ते अलगअलग हो गए और देखते ही देखते ये रंजिश खूनी रंजिश में बदल गई. कहते हैं जितनी गहरी दोस्ती होती है, कभी-कभी उस से कहीं ज्यादा गहरी दुश्मनी हो जाती है. जैसे ही नीतू दाबोदा गैंग और नीरज बवाना के बीच रंजिश शुरू हुई, वैसे ही नीरज ने नीतू दाबोदा गैंग के लोगों को चुनचुन के मारना शुरू कर दिया और देखते ही देखते उस ने पूरे गैंग का सफाया कर दिया. इसी बीच नीतू दाबोदा पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया. यानी नीरज बवाना के रास्ते का पत्थर खुदबखुद हट चुका था. नीतू दाबोदा गैंग का मुख्य था सुरेंद्र. सुरेंद्र जैसे ही मारा गया, नीरज बवाना का एकछत्र राज हो गया. उस के बाद नीरज बवाना और उस का गैंग दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता चला गया.
दाऊद के आदमी ने बनाया जुर्म की दुनिया का एक्सटॉर्शन किंग
कहा जाता है नीरज की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट तब आया जब उसकी मुलाकात फजलुर्रहमान से हुई. फजलुर्रहमान पर आरोप था कि वो अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का आदमी है. नीरज बवाना फजलुर्रहमान को अपना गुरु मान चुका था. फजलुर्रहमान ने इस बात का भरोसा दिलाया था कि वो उसे जुर्म की दुनिया का एक्सटॉर्शन किंग बना देगा. जो आगे चलकर सच हुआ. नीरज एक्सटॉर्शन के फील्ड में भी उतर चुका था. साल 2012 के मई महीने में दिल्ली के नरेला से ही तत्कालीन विधायक सत्येंद्र राणा को फोन पर धमकी दी गई. फोन करने वाले ने अपना नाम नीरज बवाना बताया और 50 लाख रुपए की डिमांड की. जिसकी शिकायत विधायक राणा ने थाने में दर्ज करवाई थी. इस बीच दिल्ली पुलिस ने दूसरे राज्यों की पुलिस के साथ मिल कई सर्च ऑपरेशन चलाए, जिसमें पुलिस ने नीरज बवाना के 35 साथियों को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन एक नीरज बवाना था जो पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था. इस समय तक नीरज बवाना मोस्टवांटेड अपराधी बन चुका था. आखिर 7 अप्रैल, 2015 को सुबह 4 बजे नीरज बवाना को उस के एक साथी मोहम्मद राशिद के साथ दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जेल में नीरज ने नवीन बाली, राहुल काला, सुनील राठी और अमित भूरा से दोस्ती की, जोकि बाद में उस के गिरोह का हिस्सा बन गए. नवीन बाली तो नीरज का दाहिना हाथ बन गया था.
शराब और अफीम का शौकीन है नीरज बवाना
कई नाकामियों के बाद नीरज बवाना के लिए पहली कामयाबी का मौका आ चुका था. तारीख थी 25 अगस्त, 2015. पुलिस पेशी के बाद कोर्ट परिसर से नीरज बवाना को ले कर जा रही थी और उस जेल वैन में 2 बदमाश पहले से मौजूद थे, नीतू दाबोदा गैंग के प्रदीप भोला और पारस गोल्डी. नीरज बवाना ने अपने शूटर्स को पहले से ही इत्तिला कर दी थी कि वैन में प्रदीप और पारस भी होंगे. नीरज ने अपने साथी राहुल काला के साथ मिल कर प्रदीप भोला और पारस गोल्डी को मौत की नींद सुला दिया. नीरज बवाना के लिए दूसरा मौका अप्रैल, 2017 में आया, जब रोहिणी जेल के बाहर नीतू दाबोदा के खास को भी नीरज बवाना ने मरवा दिया. अप्रैल 2017 में रोहिणी जेल के बाहर हुई इस घटना से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह नीरज बवाना के शूटर्स काम कर रहे थे. क्योंकि नीरज बवाना 2015 से ही जेल में बंद था. जबकि शूटर्स बाहर अपराध की दुनिया में लगातार जबरदस्त तरीके से उस का नाम फैला रहे थे. नीरज बवाना एक के बाद एक अपने घोर दुश्मनों को अपने रास्ते से हटाता जा रहा था. कहा जाता है क्राइम के अलावा नीरज बवाना को 2 और चीजों का बहुत शौक है. पहली शराब और दूसरी अफीम. नीरज बवाना ने अपने दाहिने हाथ पर राधास्वामी का टैटू भी गुदवा रखा है. नीरज कभी भी वेजिटेरियन खाना पसंद नहीं करता और सारी सुविधाएं उसे जेल के अंदर मिल जाती हैं यानी अफीम, शराब और नौन वेजिटेरियन खाना. नीरज जितनी अच्छी हरियाणवी बोलता है, उतनी अच्छी हिंदी भी बोलता है और उतनी ही अच्छी वह अंग्रेजी भी बोल लेता है.
गैंगस्टर नीरज बवाना का खास था सिद्धू मूसेवाला
नीरज बवाना इन दिनों देश की सब से सुरक्षित तिहाड़ जेल में बैठा हुआ है. वो तिहाड़ से ही अपने साम्राज्य को औपरेट कर रहा है. वह जब जहां, जैसा चाहता है, वैसा करता है. क्योंकि उस के गुर्गे बाहर एक्टिव हैं और मोर्चे पर हैं. नीरज बवाना गैंग का खौफ दिल्ली के साथ-साथ इससे सटे हरियाणा, उत्तर-प्रदेश और पंजाब में भी है. कहा जाता है कि डी कंपनी ने छोटा राजन को मारने के लिए नीरज बवाना को सुपारी दी थी. जेल अधिकारियों ने इस की भनक लगते ही जेल की सुरक्षा बढ़ा दी थी और छोटा राजन को जेल के दूसरे बैरक में शिफ्ट कर दिया था. चर्चा ये भी होती है वर्तमान में नीरज बवाना का दुश्मन नंबर एक है लारेंस बिश्नोई. दोनों पर मकोका लगा हुआ है. दोनों को ही तिहाड़ जेल के 2 अलग-अलग हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है. लारेंस बिश्नोई और उस के साथ कालेज में छात्र राजनीति से अब तक साथ निभाने वाले दोस्त गोल्डी बराड़ का सिद्धू मूसेवाला की हत्या कराने में भी नाम आ रहा है. मूसेवाला नीरज बवाना का खास था. मूसेवाला की हत्या की खबर मिली तो नीरज बवाना बिफर पड़ा. उस ने 2 दिन में मूसेवाला के हत्यारों को मारने की धमकी दे डाली थी. इस धमकी से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया था. पंजाब और दिल्ली में गैंगवार की आंशका जताई जाने लगी थी, फिलहाल अब देखना है कि दिल्ली का सबसे बड़ा गैंगस्टर नीरज बवाना अपनी धमकी को कैसे अमल में लाता है और अपना बदला पूरा कर पाता है कि नहीं.
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