Hamas से कितना ताकतवर है Hezbollah Group ? Explainer

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इजराइल और हमास के बीच पिछले काफी दिनों से जंग जारी है. इस जंग के बाद पूरा अरब वर्ल्ड इजराइल के खिलाफ हो चुका है. हालांकि इस बीच गाजा के अस्पताल में हुए बड़े हमले के बाद मामला और बिगड़ता नजर आ रहा है. इस हमले के बाद से तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा मंडराने लगा है. लेकिन इस बार हमास और हिजबुल्लाह आतंकी संगठन इजराइल का सर्वनाश करने में पूरी तरह से लगे हुए है. आखिर ऐसी क्या ताकत है जो आतंकी संगठन हमास और हिजबुल्लाह के पास जिसके चलते वो पीछे हटने को तैयार नहीं है. 

इजरायल के खिलाफ अब हमास और हिजबुल्लाह एक हैं. हमास के हमलों के बाद हिजबुल्लाह ने भी इजरायल पर हमले शुरू कर दिए हैं. हमास फिलिस्तीन का तो हिजबुल्लाह लेबनान का आतंकी संगठन है. जो कि बेहद ताकतवर माना जाता है.मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 1987 में हमास का गठन हुआ था जो पिछले हफ्ते से पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. फिलिस्तीन के इसी संगठन ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में एक इजरायल को ऐसा जख्म दिया, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी. हमास ने इजरायल पर हजारों रॉकेट दागे. इसके लड़ाकों ने इजरायली शहरों-गांवों में घुसकर कत्लेआम मचाया, इसे इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट और अरबी में  हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया के नाम से भी जाना जाता है. ये कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है. इसकी स्थापना 1987 में पहले इंतिफादा के दौरान फिलिस्तीनी शरणार्थी शेख अहमद यासीन ने की थी.


हमास ने इजरायल को खत्म करने की कसम खाई है, ऐसे में यह संगठन इजरायली नागरिकों और सैनिकों के खिलाफ कई आत्मघाती बम विस्फोटों में शामिल रहा. हमास अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल समेत कई देशों में एक नामित आतंकवादी संगठन है. हालांकि कुछ देशों ने इसके मिलिट्री विंग को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया है. ईरान हमास को वित्तीय सहायता प्रदान करता है. वहीं, तुर्की और कतर कथित तौर पर इसके शीर्ष नेताओं को शरण देता रहा है.


हमास के दो मुख्य आधार है - इस्लामिक जिहाद और इजरायल के खिलाफ युद्ध
जो इन दिनों पूरी दुनिया देख रही है. बता दें हमास के बाद हिजबुल्लाह ने भी इजरायल पर हमला बोल दिया है. जिसके बाद मध्य पूर्व में एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. जिस तरह से आतंकी संगठन हमास फिलिस्तीन पर अपना शासन चलाता है वैसे ही हिजबुल्लाह लेबनान के कुछ हिस्सों पर शासन करता है. हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह इस संगठन के प्रमुख नेता हैं और इजरायल को वो भी अपना दुश्मन मानते हैं. दरअसल इसके पीछे की एक वजह है ऐसा दावा किया जाता है कि साल 1967 के युद्ध के दौरान इजरायल ने सीरिया से शेबा फॉर्म्स पर कब्जा कर लिया था. हिजबुल्लाह इसे लेबनान का हिस्सा मानता है.


हिजबुल्लाह और हमास मध्य पूर्व के दो बड़े ताकतवर संगठन हैं, जो फिलिस्तीन की आजादी के लिए इजरायल से लड़ रहे हैं.
हमास एक सुन्नी संगठन है तो हिजबुल्लाह शिया है.
हिजबुल्लाह 1980 के दशक में उभरा था. जबकि, हमास का गठन 1987 में हुआ.
हमास और हिजबुल्ला
दोनों ही संगठनों का एक ही मकसद है और वो है- इजरायल का विनाश
हमास और हिजबुल्लाह
दोनों को ही अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है.
दोनों के मकसद भले ही एक हों
लेकिन जमीनी रणनीति और सैन्य क्षमताएं अलग-अलग हैं.

सैन्य क्षमता में कौन ज्यादा ताकतवार ?
हिजबुल्लाह के पास ऐसे रॉकेट हैं, जो इजरायल के किसी भी हिस्से को टारगेट कर सकते हैं.
अगर हमास और हिजबुल्लाह एकसाथ हमला करते हैं तो इजरायल के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है.
हिजबुल्लाह इजरायल के उत्तर में है तो हमास गाजा पट्टी में एक्टिव है. इनके पास रॉकेट, मिसाइलों, एंटी-टैंक मिसाइलों और एयर डिफेंस सिस्टम जैसे हथियार हैं. हिजबुल्लाह के पास किसी देश की सेना के बराबर क्षमता है.
हिजुबल्ला के जखीरे में कत्यूषा रॉकेट, फतह-110 जैसी मध्यम दूरी और जलजल और स्कड-डी जैसी लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं.
हमास ने सुरंगों का ऐसा नेटवर्क बनाया है जो उसके लड़ाकों और हथियारों को गाजा के आसपास जाने देता है, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है.
हमास के पास रॉकेट, मिसाइल और मोर्टार का बड़ा जखीरा है. उसके बेड़े में कसम, ग्रैड और एम-75 रॉकेट शामिल हैं, जिनकी रेंज और पेलोड अलग-अलग हैं.
इजरायली टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को निशाना बनाने के लिए हमास एंटी-आर्मर वेपन और रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड्स का इस्तेमाल करता है. ड्रोन के जरिए निगरानी करता है.
अगर दोनों की तुलना की जाए तो हिजबुल्लाह, हमास से ज्यादा शक्तिशाली है. हिजबुल्लाह के पास बड़ी सेना है और उसके पास इजरायल से लड़ने का अनुभव भी ज्यादा है.


ग्लोबल फायर पॉवर की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल के पास कुल सैन्य बल 6.46 लाख है, जबकि उसके दुश्मन हमास-लेबनान-हिज्बुल्लाह मोर्चे के पास सिर्फ 2 लाख 55 हजार 465 सैनिक हैं. इनमें से इजरायल के पास 1.73 लाख एक्टिव मिलिट्री है, जबकि विपक्षी मोर्चे के पास 2.30 लाख एक्टिव मिलिट्री है. रिजर्व मिलिट्री के मामले में भी इजरायल आगे है. उसके पास 4.65 लाख रिजर्व सैन्य बल है, जबकि हमास और हिज्बुल्लाह के पास एक भी रिजर्व सैन्य बल नहीं है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायली सेना के पास कुल 2200 टैंक हैं, जबकि हमास-हिज्बुल्लाह के पास सिर्फ 757 टैंक हैं. इजरायल के पास 509 Infantary Fighting Vehicle हैं, जबकि हमास-हिज्बुल्लाह के पास आधे से भी कम मात्र 203 IFV हैं. हालांकि, Armoured personnel Carrier के मामले में हमास-हिज्बुल्लाह आगे है. उसके पास 2132 APC हैं, जबकि इजरायल के पास 835 है, इनमें से 531 सीमा पर तैनात किए जा चुके हैं.


काम करने का तरीका
अगर दोनों के काम करने के तरीके को देखें तो हिजबुल्लाह एक गुरिल्ला सेना है जो लेबनान से इजरायल के खिलाफ लड़ने में माहिर है. ये कई तरह की रणनीति का उपयोग करता है. हिजबुल्ला को आत्मघाती हमलों के लिए भी जाना जाता है. हिजबुल्लाह अपने लड़ाकों को इजरायली सेना से करीबी मुकाबले के लिए छोटे और हल्के हथियारों को उपयोग करने के लिए ट्रेन्ड किया जाता है. उन्हें एंटी-टैंक मिसाइलों का इस्तेमाल करने की भी ट्रेनिंग मिलती है. हमास की जमीनी रणनीति भी हिजबुल्लाह जैसी ही है, लेकिन वो उतनी प्रभावी नहीं है. हमास के लड़ाके हिजबुल्लाह के लड़ाकों की तरह ट्रेन्ड नहीं हैं और उनके पास अत्याधुनिक हथियार भी नहीं हैं
इस बीच इजराइल-हमास के बीच जंग के बीच सऊदी अरब की अध्यक्षता में OIC की आपात बैठक हुई. इसमें इस्लामिक देशों के संगठन OIC के 57 देश हिस्सा लिया. जेद्दा में हुई इस बैठक में सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने गाजा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की.  जबकि दूसरी ओर अमेरिका समेत कई देशों ने खुलकर इजराइल का समर्थन किया है. अब ये युद्ध कब तक चलता है ये देखना होगा.

कानपुर का हूं, 8 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं, पॉलिटिक्स एनालिसिस पर ज्यादा फोकस करता हूं, बेहतर कल की उम्मीद में खुद की तलाश करता हूं.

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