पिछले दिनों राज्यसभा में पेश किए गए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में ई-चालान की राशि के मुकाबले सिर्फ 40 प्रतिशत ही वसूली हो सकी थी।
इन दिनों ट्रैफिक नियमों को लेकर लगातार सख्ती बरती जा रही है। गलत भी नहीं है, क्योंकि हर साल 5 लाख एक्सीडेंट होते हैं, जिसमें करीब 1.5 लाख लोगों की मौत होती है। ऐसे में खुद की और दूसरों की सुरक्षा के लिए ट्रैफिक नियमों (Traffic Rules) का पालन करना भी जरूरी है। इसीलिए ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जा रहा है। जुर्माने के रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। भले ही ई-चालान (E-Challan) की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन बड़ी संख्या में लोग ई-चालान का जुर्माना जमा करने की बजाए पेंडिंग कर दे रहे हैं। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 7563 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि के 4.72 करोड़ के ई-चालान किए गए, लेकिन केवल 2874 करोड़ रुपये की वसूली ही हो सकी यानी बमुश्किल 38 प्रतिशत। पिछले दिनों यूपी सरकार ने वाहन चालकों को बड़ी राहत देते हुए 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2021 के बीच जितने भी ट्रैफिक चालान काटे गए, सभी को निरस्त कर दिया था। साथ ही जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं, उन्हें भी राहत दी गई।
पिछले दिनों राज्यसभा (Rajya Sabha) में पेश किए गए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय (Union Ministry of Road Transport) के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में ई-चालान की राशि के मुकाबले सिर्फ 40 प्रतिशत ही वसूली हो सकी थी। वहीं, 2019 में नए मोटर व्हीकल एक्ट के लागू होने के बाद से चालान और चालान की राशि कई गुना बढ़ गई। ट्रैफिक पुलिस भारी भरकम चालान तो काट रही है, लेकिन लोगों का चालान भरना कम हो गया। इसकी एक बड़ी वजह चालान के मामले कोर्ट तक पहुंचना भी हैं, क्योंकि लोग ई-चालान को चुनौती दे रहे हैं। कई लोगों की शिकायत है कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं करने पर भी पुलिस चालान काट रही है। अगर कोई एक नियम का उल्लंघन करता है, तो उसके ऊपर कई नियमों के उल्लंघन का मामला बनाकर भारी भरकम चालान काटा जा रहा है।
लोगों में ई-चालान का डर
दरअसल, लोगों में ऑन स्पॉट चालान से कहीं ज्यादा डर ई-चालान का है। क्योंकि इसमें वाहन चालक को चालान कटने का तुरंत पता नहीं चलता है। ई-चालान के वक्त पुलिस वाले गाड़ीया चालाक का कोई पेपर जब्त नहीं करते हैं। यही वजह है कि लोग ई-चालान का जुर्माना जमा करने की बजाए पेंडिंग कर दे रहे हैं। दूसरी सबसे बड़ी वजह आरटीओ ऑफिस में आज तक एड्रेस और मोबाइल का अपडेट न होना भी है। ट्रैफिक डिपार्टमेंट के जानकारों की मानें तो ई-चालान की प्रक्रिया से पहले जो पेपर जब्त कर चालान होता है। उस पेपर को छुडवाने के लिए लोग जल्दी चालान राशि मौके पर ही जमा कर देते थे, लेकिन ई-चालान में ऐसा नहीं है। यही वजह है कि ट्रैफिक डिपार्टमेंट एक समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद कोर्ट भेज रहा है। अब लोगों कोर्ट के चक्कर काटने पड़ सकते हैं।
किस नियम को तोड़ने पर कितने का कटता है चालान?
बिना हेलमेट बाइक चलाने पर 1000 रुपये रुपये का जुर्माना लगेगा.
बिना सीट बेल्ट लगाए गाड़ी चलाने पर 1000 रुपये का जुर्माना है.
परमिट से अधिक लोगों की सवारी होने पर 1000 रुपये प्रत्येक आदमी का देना होगा.
बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने पर 2 हजार का जुर्माना लग सकता है.
ओवरस्पीडिंग करने पर 2000 रुपये तक का फ़ाइन है.
बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर 5000 रुपये का जुर्माना.
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट न होने पर 5 हजार का जुर्माना.
बिना इंश्योरेंस गाड़ी चलाने पर 5 हज़ार रुपये का जुर्माना और तीन महीने की जेल.
वाहन की ओवसाइजिंग पर 5000 रुपये का जुर्माना है.
बिना परमिट के गाड़ी चलाने और एंबुलेंस को रास्ता न देने पर 10,000 रुपये का फ़ाइन है.
जुवेनाइल के गाड़ी चलाते पड़ने जाने पर अभिभावकों पर 25000 रुपये का जुर्माना.
बिना आरसी के गाड़ी चलाने पर पहली बार 2 हजार दूसरी बार 5 हजार और फिर 10,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है.
नंबर प्लेट पर जातिसूचक शब्द लिखे होने पर 1 हजार का जुर्माना. साथ ही सही नंबर प्लेट न लगी होने पर भी 1 हजार का चालान.
नशे में गाड़ी चलाने पर 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ 6 महीने तक की जेल, दूसरी बार नशे में गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर 15 हजार रुपये का जुर्माना और दो साल की जेल भी हो सकती है.
नहीं लगाया जा सकता दो बार जुर्माना
मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति पर एक ही नियम को तोड़ने के लिए दो बार जुर्माना नहीं लगाया जा सकता है, जब तक कि विचाराधीन अपराध ओवरस्पीडिंग वाला न हो। हालांकि अगर आपने काटे गए जुर्माने की रसीद खो दी है और आपका वाहन एक राज्य की सीमा पार कर दूसरे राज्य में प्रवेश कर गया है, तो वहां आपको उसी नियम को तोड़ने पर दोबारा जुर्माना भरना पड़ सकता है। केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के तहत 90 दिनों के भीतर एक चालान का निपटारा हो जाना चाहिए। अगर तब तक जुर्माना नहीं भरा जाता है, तो भुगतान के लिए एक अतिरिक्त नोटिस भेजा जा सकता है। अगर चालान की अवधि 90 दिन से ज्यादा है, तो कोर्ट के मामलों को छोड़कर लाइसेंस और वाहनों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित आवेदनों का निपटारा नहीं किया जाएगा। क्योंकि मोटर वाहन कानून के प्राविधानों पर अमल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए चालान के उद्देश्य को उन्हें ही सही मायने में पूरा करने के लिए अपनी एजेंसियों के कामकाज में सुधार करना होगा।
पुलिस का ध्यान केवल वसूली में है। टारगेट पूरा करने के बहाने लोगों को नियम कायदे सिखाना भूल गई है। इससे अवेयरनेस नहीं आ रही है। पिछले तीन साल के वसूली के आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की संख्या बढ़ रही है।
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