चीन और पाकिस्तान (China-Pakistan) के दोहरे खतरे से निपटने के लिए मोदी सरकार रॉकेट फोर्स का गठन कर रही है। इस रॉकेट फोर्स (Rocket Force) के पास भारत की सबसे अहम बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें होंगी। हाल ही में DRDO ने 1,500 किलोमीटर तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रॉकेट फोर्स में शामिल करने को लेकर कदम बढ़ाए हैं। रक्षा मंत्रालय पहले ही प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों (Ballistic Missiles) की खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुका है और अब मीडियम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए DRDO ने प्रलय मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया है। फिलहाल प्रलय की रेंज बढ़ाने पर भी काम चल रहा है। इस मिसाइल को पहले इंडियन एयरफोर्स और फिर इंडियन आर्मी में शामिल किया जाएगा। जबकि चीन के पास पहले से ही रॉकेट फोर्स है।
रॉकेट फोर्स क्या है ?
जब हम युद्ध या सैन्य कार्रवाई के बारे में सोचते हैं तो हमारे जहन में जो छवि बनती है वो सैनिकों, टैंकों और लड़ाकू विमानों की होती है। लेकिन युद्ध के लिए ये दृष्टिकोण अब पुराना होता जा रहा है। भविष्य के युद्धों में, जमीन पर सैनिकों को तैनात किए बिना दुश्मन की रणनीति और सैन्य ठिकानों को जल्दी और निर्णायक रूप से जबरदस्त चोट पहुंचाने के लिए मिसाइलें बहुत जरूरी हो गई हैं। ये मिसाइलें भारत के परमाणु हथियारों से लेकर पारंपरिक वॉर हेड को सटीकता से निशाना साधने में सक्षम हैं। यही वजह है कि दुनिया भर के ताकतवर देश अब सेना के अलग-अलग रॉकेट फोर्स बना रहे हैं। रॉकेट फोर्स देश की मिसाइलों को ऑपरेट करती है। इनका काम सेना, वायुसेना और नौसेना के साथ मिलकर दुश्मन के ठिकानों पर हमला करना होता है। अभी तक भारत में रॉकेट फोर्स का काम कोर ऑफ आर्टिलरी करती है। इसमें टैंक, तोप और मिसाइलें भी शामिल हैं।
भारत रॉकेट फोर्स क्यों बनाना चाहता है?
3400 किलोमीटर लंबी एलएसी पर भारत के लिए दोहरी चुनौती है। पहली भारत को भारी पारंपरिक ताकतों के इस्तेमाल के बिना चीनी सेना के खिलाफ युद्ध के विकल्प तैयार करना और दूसरी पर्याप्त लंबी दूरी की मारक क्षमता बनाए रखना। जिसका किसी भी स्थिति में तुरंत इस्तेमाल किया जा सके। ऐसे में एक इंट्रीग्रेटेज रॉकेट फोर्स इन दोनों उद्देश्यों को पूरा करता है। भारत के दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने 2021 में रॉकेट फोर्स को चालू करने का सुझाव दिया था। इस फोर्स की कमान और नियंत्रण शुरुआत में एक ही सर्विस के हाथों में हो सकती है। बाद में जरूरत पड़ने पर नेवी और एयरफोर्स के लिए भी अलग-अलग रॉकेट फोर्स बनाई जा सकती है। इससे चीन और पाकिस्तान से युद्ध के समय तुरंत जवाबी कार्रवाई की जा सकेगी। ये कार्रवाई इतनी सटीक और प्रभावी होगी कि दुश्मन को जवाबी हमला करने का मौका भी नहीं मिलेगा।
रॉकेट फोर्स से क्या फायदा ?
दरअसल, रॉकेट फोर्स बनने से भारतीय सेना के कोर ऑफ आर्टिलरी पर दबाव खत्म हो जाएगा। ये फोर्स न सिर्फ भारत के स्ट्रैटजिक हथियारों को कंट्रोल करेगी, बल्कि मौका पड़ने पर तुरंत जवाबी कार्रवाई के लिए भी तैयार रहेगी। रॉकेट फोर्स स्पेशलाइज्ड यूनिट से लैस होगी जिससे हमलों में ज्यादा तेजी आएगी। आपको बता दें भारत दो तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है, जहां का नेचुरल इंटवायरमेंट काफी कठिन है। चीन की तरफ की एलएसी पर दुर्गम हिमालय की चोटियां हैं, जहां सेना और भारी हथियार आसानी से तैनात नहीं किए जा सकते। वहीं, पाकिस्तान की सीमा पर सैनिकों की संख्या कम करके रॉकेट फोर्स को जवाबी कार्रवाई के तौर पर तैनात किया जा सकता है।
प्रलय मिसाइल गेम चेंजर कैसे साबित होगी ?
मिसाइल गाइडेंस सिस्टम में अत्याधुनिक नेविगेशन और इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स शामिल हैं। प्रलय सतह से सतह पर मार करने वाली अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे इंटरसेप्टर मिसाइलों को चकमा देने में सक्षम बनाने के लिए विकसित किया गया है। ये हवा में एक निश्चित दूरी तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता भी रखती है। प्रलय मिसाइल की रेंज 150 से 500 किलोमीटर है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के अलावा, ये भारत द्वारा तैनात एकमात्र पारंपरिक सामरिक युद्धक्षेत्र मिसाइल है। प्रलय मिसाइल सॉलिड-प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर और दूसरी नई टेक्नोलॉजी के जरिए संचालित होती हैं।
भारत के पास कौन-कौन सी मिसाइलें हैं ?
प्रलय, अग्नि मिसाइल के कुल 7 वैरियंट हैं। जिसमें मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल से लेकर इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल और इंटरकाटीनेटल बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि प्राइम और अग्नि 6 अभी टायल पर है, जिन्हें जल्द ही सेना में शामिल किया जाएगा। शौर्य मिसाइल हाईपर सोनिक मिसाइल है। जिसका अभी टायल चल रहा है। इसके अलावा के-5 के-15 सबमरिन से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जिन्हें जल्द नेवी में शामिल किया जाएगा। इसके अलवा निर्भय और ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें हैं। जो कि दुश्मन पर बिल्कुल सटीक हमला कर सकती हैं। पृथ्वी-1, पृथ्वी-2 ये शॉर्ट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल हैं इनकी रेंज 350 से 700 के बीच है। धनुष मिसाइल पृथ्वी मिसाइल का नेवल वर्जन है।
ऐसे में चीन के खिलाफ भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के लिए प्रलय मिसाइल एक विकल्प बन सकती है। प्रलय मिसाइल अपने साथ 350 से 700 किलोग्राम तक हाई एक्सप्लोसिव पेनेट्रेशन-कम-ब्लास्ट (पीसीबी) और रनवे डेनियल पेनेट्रेशन सबम्यूनिशन (आरडीपीएस) ले जा सकती है। इस मिसाइल के जरिए 500 किलोमीटर के दायरे में दुश्मन के बंकर, कम्यूनिकेशन सेंटर और रनवे जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। ये मिसाइल अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में चीनी सेना के खिलाफ सबसे ज्यादा फायदा पहुंचा सकती है। केंद्र की मोदी सरकार भारतीय सेना को हर द्रष्टिकोण से मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही है।
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