भारत ने यूएन में 26/11 हमले में वांटेड लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर का ऑडियो जारी किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रकाश गुप्ता ने यूएन में भारत का पक्ष रखा और ऑडियो सुनाया। इस ऑडियो में वो आतंकियों को हमले के निर्देश दे रहा है, लेकिन इसके बावजूद 20 जून को चीन ने साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया।
यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति की बैठक में अमेरिका ने आतंकी साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था। भारत इसका सह प्रस्तावक था, लेकिन चीन ने साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के प्रस्ताव को रोक दिया। ये पहली बार नहीं था जब चीन ने किसी पाकिस्तानी आतंकवादी को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने में अड़ंगा लगाया हो। पिछले साल सितंबर में भी चीन ने साजिद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के प्रस्ताव पर रोक लगाई थी। पिछले साल चीन ने अमेरिका और भारत के पाकिस्तानी आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर के भाई अबुल रऊफ असगर उर्फ अब्दुल रऊफ अजहर को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल कराने के लिए लाए गए प्रस्ताव का विरोध किया था। इसी तरह पिछले साल अक्टूबर में लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद के बेटे तालहा सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए लाया गया प्रस्ताव भी चीन ने रोक दिया था।
साजिद पर 50 लाख डॉलर का इनाम
21 अप्रैल 2011 को मीर पर यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने चार्ज लगाए थे। उस पर विदेशी सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने, आतंकवादियों की मदद करने, अमेरिका के बाहर एक नागरिक की हत्या करने और सार्वजनिक स्थानों पर बमबारी का आरोप लगाया गया था। अमेरिका ने 22 अप्रैल 2011 को मीर के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था। साजिद पर अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। पाकिस्तान के लाहौर में जन्मे साजिद मीर को पाकिस्तान सरकार ने साल 2016 में मरा हुआ घोषित कर दिया था, लेकिन जब जून 2022 में पाकिस्तान की एक अदालत ने उसे आतंकवादियों को पैसे देने के आरोप में 15 साल कैद की सजा सुनाई थी तो हर कोई हैरान रह गया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो डेविड कोलमैन हेडली का हैंडलर रहे साजिद मीर ने आतंकी सदस्यों को मुंबई हमले के लिए तैयार किया था। हेडली फिलहाल अमेरिका की जेल में बंद है।
26/ 11 हमले का मास्टरमाइंड
बता दें 26 नवंबर 2008 की रात लश्कर-ए-तैयबा के 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में चार जगहों पर हमला किया था। भारत इस हमले को 4 दिनों में कंट्रोल करने में सफल रहा था। इस हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 26 विदेशी थे। मुंबई पुलिस ने अजमल कसाब नाम के आतंकी को गिरफ्तार किया था। बाकी 9 आतंकी मारे गए थे। कसाब को 11 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी। यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल 1267 समिति का गठन साल 1999 के प्रस्ताव 1267 के अनुसार किया गया था। इसे अलकायदा और तालिबान प्रतिबंध समिति के रूप में भी जाना जाता है। शुरू में समिति का गठन तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान पर लगाए गए प्रतिबंधों की निगरानी के लिए किया गया था। बाद में इसे और ताकतवार बनाते हुए प्रतिबंधात्कम गतिविधियों के संचालन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया। अगर कोई व्यक्ति या आतंकवादी संगठन को इस लिस्ट में शामिल किया जाता है, तो ये उसकी गतिविधियों को रोकने, जुर्माना लगाने और संपत्ति जब्त करने में मदद करती है।
चीन कैसे रोक लेता है प्रस्ताव?
यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में 15 सदस्य देश हैं, जिनमें से चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव के पास होने के लिए सभी पांच स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी है। अगर एक भी देश ने किसी प्रस्ताव पर असहमति जता दी तो वो पास नहीं हो पाता है। स्थायी सदस्य देशों के इसी शक्ति को वीटो पावर कहा जाता है। चीन ने इसी वीटो पावर का इस्तेमाल कर साजिद मीर को ब्लैकलिस्ट करने के प्रस्ताव को रोक दिया है।
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