100 LCA Tejas विमान खरीदेगी Indian Air Force: जानें लड़ाकू विमान की शक्ति और उन्नति की कहानी | | Manchh न्यूज़

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2001 में फ्लाइट फेल होने वाले तेजस से लेकर आज के मूल संस्करण तक, तेजस ने सर्वाेच्च शक्ति और तकनीकी विकास की कहानी केवल मंच न्यूज के मध्यम से अपडेट प्राप्त करें |

साल था 2001 और तारीख 4 जनवरी जब पहली बार स्वदेशी लड़ाकू विमान LCA ने उड़ान भरी थी, बाद में इसी LCA का नामकरण तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने तेजस नाम से किया, लेकिन इन 22 सालों में तेजस (Tejas Fighter Jet) बड़े बदलावों से गुजरा है और मौजूदा दौर में जो तेजस है उसमें DRDO ने इतनी सारे बदलाव और अपग्रेडेशन किए हैं कि वो किसी भी विदेशी फोर्थ जेनरेशन वाले लाइट फाइटर जेट से आगे निकल गया है। आज बात कुछ ऐसे ही बदलावों की जिसने तेजस को बेहद ताकतवर और काफी हद तक दुश्मनों के लिए मायावी भी बना दिया है। नया तेजस अपने साथ कई ब्रम्हास्त्र (Brahmastra Weapon) भी लेकर उड़ान भरता है। जिसका जवाब दुश्मन देश के पास कम ही है।

रामायण में जब मेघनाथ और लक्ष्मण के बीच युद्ध हो रहा होता है तो मेघनाथ अपनी मायावी शक्ति से अपने जैसे कई रुप सामने ले आता है। जिससे असल मेघनाथ कौन है ये पहचानने में लक्ष्मण को काफी परेशानी होती है और मेघनाथ इसी का फायदा उठाकर लक्ष्मण पर हमला कर देता है, लेकिन हम आपको रामायण की कहानी क्यों सुना रहे है? तो जवाब है कि एक ऐसी ही मायावी शक्ति DRDO ने डेवलप की है। जोकि तेजस को दुश्मन को चकमा देने में मदद करती है। दरअसल हम बात कर रहे हैं इंडिजीनियसीली डेवलप किए गए एडवांस सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर सूट की। जिसकी टेस्टिंग तेजस पर की जा रही है और आने वाले समय में इसका इस्तेमाल तेजस के MK-1 और MK-2 वैरियेंट में भी किया जाएगा। दरअसल ये एडवांस सेल्फ प्रोटेक्शन सूट दुश्मन के राडार और उसके फाइटर जेट के राडार सिस्टम को बेहद मायावी तरीके से चकमा देने की क्षमता होती है। जिससे दुश्मन ये जान ही नहीं पाता कि उसके सामने आखिर कितने तेजस विमान हैं और उनमें से असली तेजस कौन है। जितनी देर में दुश्मन कुछ समझ पाता है तब तक तेजस हमला कर दुश्मन को खत्म कर देता है। ऐसा इसी सेल्फ प्रोटेक्शन पॉड के जरिए होता है। जिसे फाइटर जेट में ही एक साइड पर फिट किया जाता है।

अस्त्र मिसाइल

भारत में बने स्वदेशी हल्के फाइटर प्लेन तेजस में एक और घातक हथियार जोड़ा गया है। पिछले दिनों इस हथियार का सफल परीक्षण भी किया गया। अस्त्र मिसाइल एक स्वदेशी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। जो बेयॉन्ड विजुअल रेंज अटैक करने में सक्षम है यानी जहां तक किसी फाइटर जेट या अटैक हेलिकॉप्टर का पायलट देख सकता है, उसके आगे जाकर भी वो टारगेट पर सटीक निशाना लगाने में माहिर है। अस्त्र मिसाइल फिलहाल ट्रायल फेज में हैं। जिसे एयरफोर्स में SU 30 और राफेल के साथ भी इंटीग्रेट किया है। वहीं अब तेजस में भी इसका सफल ट्रायल हुआ है।

 आइए जानते हैं इसकी खासियतें

अस्त्र मिसाइल का वजन 154 किलो है। लंबाई 12.6 फीट है। व्यास 7 इंच है। अस्त्र मिसाइल की रेंज 160 किलोमीटर है। ये मिसाइल अपने साथ 15 किलो तक का पेलोड ले जा सकती है। इसमें हाई-एक्सप्लोसिव या प्री-फ्रैगमेंटेड एचएमएक्स लगाए जा सकते हैं। इसमें ऑप्टिकल प्रॉक्सीमिटी फ्यूज लगा है। यानी ये मिसाइल टारगेट पर नजर रखती है। चाहे वो कितनी भी दूर दाएं या बाएं हो, उससे टकराकर फट जाती है।

इस मिसाइल में ड्यूल थ्रस्ट पल्स्ड रॉकेट मोटर है, जो इसे तेज स्पीड देता है। ये अधिकतम 66 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकती है। इस मिसाइल की सबसे खतरनाक बात इसकी स्पीड है। ये 5556.6 किमी/घंटा की रफ्तार से दुश्मन की ओर जाती है। अस्त्र मिसाइल की खासियत ये है कि इसे टारगेट की ओर छोड़ने के बाद हवा में ही इसकी दिशा बदली जा सकती है। क्योंकि ये फाइबर ऑप्टिक गाइरो बेस्ट इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम पर चलती है यानी इसमें हम डेटा लिंक के जरिए निर्देश देकर मिड-कोर्स अपडेट कर सकते हैं।

अभी इस मिसाइल के पहले वेरिएंट को MIG-29UPG/MIG-29K, सुखोई SU-30MKI, तेजस MK.1/1 A में लगाया गया है। भविष्य में इस मिसाइल को तेजस MK 2, AMCA, टेडबीएफ फाइटर जेट्स में भी लगाया जाएगा। अस्त्र मिसाइल को DRDO ने डिजाइन किया है। इस मिसाइल के बाद अस्त्र MK 3 बनाई जाएगी, जिसकी रेंज 350 किलोमीटर होगी। अस्त्र की स्पीड इसे किसी भी रडार की पकड़ में आने से रोकती है। इसके अलावा तेजस में तीन और मिसाइलें भी लगाई गई हैं। पहली डर्बी-BVR, दूसरी R-73  ARSAAM और पायथन-5 CCM  

डर्बी बियॉन्ड

डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल पर 23 किलोग्राम वजन के हथियार लगाए जा सकते है। इसकी रेंज 50 किलोमीटर है। ये साउंड की गति से चार गुना ज्यादा स्पीड से उड़ सकती है यानी 4939 किलोमीटर प्रतिघंटा।

 R-73 ARSAAM

इसके बाद तेजस फाइटर जेट में R-73 ARSAAM लगी है। ये शॉर्ट रेंज की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। ये 3087 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमला करती है। इसकी रेंज 30 से 40 किलोमीटर है। इसे मिग और सुखोई जैसे फाइटर जेट्स में भी लगाया गया है।

पाइथन-5 

पाइथन-5 की लंबाई 10.17 फीट है। इसका व्यास 6.29 इंच है। वजन 105 किलोग्राम है। ये इंफ्रारेड और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इमेजिंग के जरिए गाइड होती है। इसमें 11 किलोग्राम का पेलोड लगाया जा सकता है। इसकी रेंज 20 किलोमीटर है। पाइथन-5 मिसाइल की खासियत है इसकी स्पीड। ये मैक-2 यानी साउंड की स्पीड से दोगुना स्पीड में उड़ती है। यानी 2469 किलोमीटर प्रतिघंटा। पाइथन-5 मिसाइल एक बार अगर दुश्मन के टारगेट पर लॉक हो जाती है, तो बिना खत्म किए चैन नहीं लेती। इस मिसाइल को इजरायल ने बनाया था।

DRDO ब्रह्मोस मिसाइल का नया मिनी वर्जन बना रहा है। इस मिसाइल का नाम  है ब्रह्मोस NG यानी ब्रह्मोस नेक्सट जेनरेशन। इस मिसाइल की रेंज 290 किमी होगी, लेकिन इतनी दूरी ये 4321 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से कवर करेगी। इसका वजन 1.5 टन होगा ओर लंबाई 6 मीटर। ये पहली वाली ब्रह्मोस मिसाइल से 50 फीसदी हल्की और तीन मीटर छोटी होगी। इंडियन एयरफोर्स ने कहा है कि उन्हें 400 ब्रह्मोस NG मिसाइलों की जरुरत है।

पिछले 10 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं। वैश्विक और राजनीतिक के साथ-साथ ऐसी खबरें लिखने का शौक है जो व्यक्ति के जीवन पर सीधा असर डाल सकती हैं। वहीं लोगों को ‘ज्ञान’ देने से बचता हूं।

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