SU-30MKI का निर्माण भारत में लाइसेंस के आधार पर HAL करती है। असल में इसे रूस के सुखोई कॉर्पाेरेशन ने 1995 में बनाना शुरू किया था ।
इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) के पास एक खतरनाक फाइटर जेट है, जिसका नाम है सुखोई-30 MKI, लेकिन अब 4 अरब डॉलर से इंडियन एयरफोर्स सुखोई बेड़े को अपग्रेड करने जा रहा है। एयरफोर्स के पास 260 सुखोई-30MKI (Sukhoi-30 MKI) फाइटर जेट्स हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) करीब 150 फाइटर जेट को 4.5 जनरेशन तक के लिए फाइटर जेट के अनुकूल सुपर सुखोई के रूप में अपग्रेड करेगी, जिसके बाद इंडियन एयरफोर्स की लड़ाकू क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। दिलचस्प बात ये है कि चीनी एयरफोर्स भी सुखोई-30 के चाइनीज वर्जन जे 16 को बड़ी संख्या में इस्तेमाल करती है, लेकिन SU 30MKI के नए अपग्रेड के बाद चीनी J-16 के मुकाबले खासा ताकतवर हो जाएगा। आइए आपको बताते हैं दोनों फाइटर जेट की ताकत के बारे में साथ ही अपग्रेड के बाद इंडिया के SU30 की कितनी ताकत बढ़ेगी...
SU-30MKI का निर्माण भारत में लाइसेंस के आधार पर HAL करती है। असल में इसे रूस के सुखोई कॉर्पाेरेशन ने 1995 में बनाना शुरू किया था, जिसे 1997 में HAL ने लाइसेंस लेकर इंडियन एयरफोर्स के हिसाब से बदलना शुरू कर दिया था। असल में सुखोई-30MKI फाइटर जेट सुखोई SU-27 का अपग्रेडेड वर्जन है। विश्व के कई देश SU30 के अलग-अलग वर्जन का इस्तेमाल करते है। इंडिया में जो SU30 का वर्जन है वो MKI के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इसमें भारत की जरूरतों के हिसाब से कई बदलाव किए गए हैं। समझौते के बाद आखिरी SU30 फाइटर जेट की डिलिवरी 2018 में हुई थी। मौजूदा समय में 250 से ज्यादा फाइटर जेट का इस्तेमाल IAF कर रही है।SU-30MKI भारतीय वायु सेना का सबसे अधिक लड़ाकू विमान बना हुआ है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और इंडियन एयरफोर्स मिलकर सुखोई-30MKI के लिए डिवाइस और सिस्टम को अंतिम रूप देंगे, जिसके बाद 150 विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। सुपर सुखोई प्रोग्राम को रूस ने मंजूरी भी दे दी है, क्योंकि सुखोई-30MKI भारत और रूस का ज्वाइंट प्रोडेक्ट है। सुखोई को अपग्रेड करने के लिए कई कंपोनेंट और पार्ट्स रूस से आने हैं। सुपर सुखोई में एक आधुनिक कॉकपिट शामिल होगा। इसके अलावा DRDO की ओर से डवलप की गई कई टेक्नोलॉजी को सुखोई अपग्रेड प्रोग्राम में लगाया जाएगा। अपग्रेड के प्रमुख हिस्से में एवियोनिक्स और सेंसर भी शामिल हैं, जिससे 150 लड़ाकू विमानों को तकनीकी तौर पर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के अनुकूल बनाया जाना है। इसके मुकाबले चीन के पास J-16 फाइटर जेट है, जो कि SU 30 का ही चाइनीज वर्जन है, लेकिन इस फाइटर जेट के चीनी वर्जन और इंडियन वर्जन में अलग-अलग खूबियां हैं। चीन ने अपने इस फाइटर जेट को पहले ही अपग्रेड कर लिया है, लेकिन भारत अब SU30 को अपग्रेड करेगा तो इंडियन SU30 चीनी J-16 से कई गुना ज्यादा पावरफुल हो जाएगा। चीन के J-16 फाइटर जेट करीब 150 बताए जाते हैं। हालांकि उसने कभी भी इनकी संख्या को स्पष्ट नहीं किया है।
Su 30MKI और चीन के J-16 फाइटर जेट में अंतर
सुखोई SU 30MKI में 38,800 किलोग्राम टेक ऑफ वेट है, जबकि चीन के J-16 में 33,000 किलोग्राम है। वहीं SU30 में थ्रस्ट वेट 12,500 KGF और J-16 में 13,000 KGF है। जहां सुखोई की टॉप स्पीड 2,120 किमी प्रति घंटे है तो J- 16 की स्पीड 2450 किमी प्रति घंटा है। सुखोई और J-16 की रेंज ऊंचाई पर 1900 मील और सर्विस सीलिंग 56,800 फीट है। इसके अलावा रडार सिस्टम सुखोई में PESA है तो J- 16 में AESI है। वहीं हार्डपाइंट दोनों में 12 है। इसी तरह दोनों में इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मीजर सिस्टम भी है।
सुपर सुखोई का अपडेट प्रोग्राम
Upgraded Cockpit Design
Artificial Intelligence-infused cockpit
Multi-function display system
Voice Activated Controller System
Advanced Self Protection Jammer pod
Scaled Uttam AESA Radar 400 km range
New IRST system
Digital Flight Control Computer
सुखोई-30MKI को अपग्रेड करना जरूरी
SU30 में जितनी तरह की मिसाइलों को लगाया जा सकता है। उतनी मिसाइलें किसी भी दूसरे देश के पास मौजूद SU30 फाइटर जेट में इस्तेमाल नहीं होती हैं। इंडिया ने पहली बार 700 किमी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल की इसटेंर्ड वर्जन को SU30 के साथ इंटिग्रेट किया है, जिससे इस फाइटर जेट की दूर तक सटीक हमला करने की ताकत और भी बढ़ गई है। भविष्य में हवाई युद्ध के लिए एयरफोर्स के सुखोई-30MKI को अपग्रेड करना जरूरी हो गया है क्योंकि इसका सॉफ्टवेयर तेजी से खराब हो रहा है। सुखोई 30 दुनिया के सबसे ज्यादा हथियारों से लैस फाइटर प्लेन में शुमार है।
30 MM गन
ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज मिसाइल
अस्त्र MK 1
अस्त्र MK 2
लेजर गाइडेड मिसाइल
BVR और विजुअल रेंज मिसाइल
एयर टू सरफेस मिसाइल
एयर टू एयर मिसाइल
इजराइली डर्बी मिसाइल लगाई जा सकेगी।
वायुसेना को उम्मीद है कि पहला सुपर सुखोई विमान की डिलिवरी 2025 तक मिलनी शुरू हो जाएगी।
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