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ISRO की चांद फतेह करने की तैयारी, जानिए क्या है India का Chandrayaan 3 Mission

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साल 2019 में चंद्रमा पर एक सफल लैंडिंग से चूकने के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो एक और प्रयास करेगा। जुलाई में चंद्रमा पर भारत के मिशन चंद्रयान -3 के third edition को भेजने की तैयारी है। Indian Space Agency इसरो चंद्रयान-3 को 12 जुलाई के बाद कभी भी लॉन्च कर सकता है हालांकि पहले ये मिशन 3 जुलाई की लॉन्च विंडो में भेजने की तैयारी थी। लेकिन उस दौरान रूस के भी मून लैंडर मिशन की लॉन्च डेट टकराने की वजह से भारत ने इसे अब इसे थोड़ा लेट कर दिया है। चंद्रयान-3 से पहले भी भारत ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 लॉन्च किए थे। आइए समझते हैं कि क्या है चंद्रयान प्रोग्राम और चंद्रयान-3 मिशन में क्या खास है.

चंद्रयान प्रोग्राम इसरो की lunar space exploration initiatives की चल रही एक सीरीज है। साल 2008 में चंद्रयान -1 प्रोग्राम के साथ ही इसरो ने इसकी शुरूआत की थी। इस प्रोग्राम ने चंद्रमा पर पानी का पता लगाकर महत्वपूर्ण प्रगति भी की थी। जिसकी तस्वीरें बाद में नासा के साथ भी शेयर की गईं थीं, और फिर साल 2019, जुलाई में चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया, लॉन्च सफल रहा हालांकि लैंडिंग फेज के दौरान लैंडर को communication related दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उस दौर की कुछ तस्वीरें तो आपको भी याद होंगी, जिनमें इतने करीब पहुंचकर असफल होने की टीस साइंटिस्ट के चेहरों पर साफ नज़र आ रही थी और वो वीडियो भी जिसमें प्रधानमंत्री तत्कालीन इसरो अध्यक्ष डॉ. के सिवन की पीठ थपथपाते और हौसला बढ़ाते नज़र आ रहे हैं। 

इसरो की मानें तो, चंद्रयान-3 को भी उसी रास्ते से चांद पर भेजा जा रहा है, जो चंद्रयान-2 का था। लैंडिंग साइट भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पुरानी ही रखी गई है। लेकिन इस बार ऑर्बिटर नहीं होने से क्रैश होने का खतरा कम है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चांद का चक्कर लगा रहा है, इसलिए चंद्रयान-3 को उसी से कनेक्ट किया जाएगा। इसरो चीफ सोमनाथ का कहना है कि चंद्रयान-2 मिशन असफल रहा था, लेकिन हमने उससे सीख ली है और आगे बढ़े हैं। फिलहाल चंद्रयान-3 के प्रणोदक मॉड्यूल और रोवर के साथ लैंडर की जांच की जा रही है। इस जांच के खत्म होते ही चंद्रयान-3 और एलवीएम-3 का इंटीग्रेशन शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद मिशन लॉन्च किया जाएगा।

भारत चंद्रयान को चंद्रमा पर उतारने में सफल रहा तो वो इतिहास रच देगा। ऐसा करने पर वो दुनिया का महज चौथा देश होगा, जिसने चंद्रयान को सफलतापूर्वक चांद पर लैंड किया है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने ऐसा किया है। भारत ने इससे पहले 22 जुलाई, 2019 को भी चंद्रयान-2 के जरिए ये कोशिश की थी, लेकिन तब चंद्रयान का लैंडर विक्रम लैंडिंग साइट से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूटने के कारण एक्सीडेंट का शिकार हो गया था और चंद्रयान का 47 दिन का सफर बेकार हो गया था।

Indian Space Research Organization ने अपने सबसे अहम और महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्च की पूरी तैयारी कर ली है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर चंद्रयान-3 पहुंच चुका है और अब उसके इंटिग्रेशन की प्रोसेस शुरू की जा रही है। इसे पहले के मुकाबले ज्यादा हैवी लॉन्च व्हीकल GSLV Mk-3 से लॉन्च किया जा रहा है, जिसे 'बाहुबली' भी कहा जाता है। ये देश का सबसे हैवी लॉन्च व्हीकल है। इसे भेजने का मकसद पृथ्वी से इतर किसी दूसरी जगह पर अपने यान की 'सॉफ्ट लैंडिंग' कराने की क्षमता हासिल करना है, जो अब तक तीन देशों के ही पास है। इससे भारत चंद्रमा के Climate में सेफ लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड कैपेबिल्टी का प्रदर्शन करेगा। ये मिशन अंतरिक्ष में पहली बार अपने दम पर किसी भारतीय इंसान को भेजने के मिशन की क्षमता को मजबूत करेगा। भारत ने साल 2024 में गगनयान मिशन के जरिए पहली बार अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की तैयारी की है। 

चंद्रयान-3 मिशन अपने साथ कई scientific instruments भी लेकर जाएगा, जो लैंडिंग साइट के आसपास के एरिया में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकंप और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की स्टडी करने में मदद करेंगे। इससे इंडियन साइंटिस्ट को आने वाले टाइम में चांद पर इंसानों को बसाने की तकनीक तैयार करने में मदद मिलेगी। 

वहीं दूसरी ओर चीन का लक्ष्य 2030 तक चंद्रमा पर चीन की पहली मानव लैंडिंग करवाना है। चीन का मानवयुक्त चंद्र अभियान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का लक्ष्य 2025 तक चंद्रमा पर दूसरा मानवयुक्त मिशन भेजने का है। ऐसे में भारत की तैयारी सबसे आगे चल रही है, क्योंकि भारत साल 2024  का लक्ष्य लेकर चल रहा है। 

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