देश की सियासत में सिंधिया राजपरिवार काफी रसूखदार रहा है. आजादी से पहले और आजादी के बाद भी उनका हमेशा दबदबा देखने को मिला है. हालांकि इस परिवार के लोग हिंदूत्व और बीजेपी की राजनीति ज्यादा करते रहे हैं. ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया ने सियासी करियर जनसंघ के साथ शुरू किया था. बाद में वो कांग्रेस में चले गए. बेटे ने भी कांग्रेस में काफी समय दिया लेकिन अब वो भी बीजेपी में है. फिलहाल इन दिनों सिंधिया परिवार फिर से सुर्खियों में है क्योंकि जैसे-जैसे एमपी, राजस्थान के चुनाव करीब आ रहे हैं वैसे-वैसे सिंधिया परिवार को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं सुनने को मिल रही है. राजस्थान में वसुंधरा राजे ने बीजेपी को टेंशन दे रखी है तो इधर एमपी में यशोधरा राजे सिंधिया ने एक दांव से सियासत में खलबली मच गई.
दरअसल एमपी की शिवराज सरकार में खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने इस बार का विधानसभा चुनाव न लड़ने की मंशा जैसे ही संगठन के सामने रखी, वैसे ही सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई. चर्चा है कि क्या अब मध्य प्रदेश में बुआ की जगह भतीजा यानी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ेंगे? ये चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि बीजेपी आला कमान ने अपने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनावी मैदान में उतार दिया है.
ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधानसभा चुनाव में उतारने की चर्चाओं ने सियासतदानों को एक अलग ही मुद्दा दे दिया है. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या भतीजे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतरने की हवाओं को देख बुआ यशोधरा राजे सिंधिया चुनावी मैदान में नहीं उतर रहीं या फिर शायद कुछ सीक्रेट प्लान स्टोरी तैयार हुई है जिसके तहत यशोधरा 2024 लोकसभा चुनाव में उतर सकती है. खबर है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिवपुरी या ग्वालियर पूर्व से विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है. ये सिर्फ दावा है इस बात को लेकर कोई भी पुष्टि नहीं है.
आपको बता दें सबसे ज्यादा सिंधिया पैलेस का दबदबा ग्वालियर-चंबल में है. क्योंकि ग्वालियर-चंबल में आने वाले 8 जिलों में 34 विधानसभा सीटें आती है. जिसमें से कांग्रेस ने साल 2018 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे पर 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन अब वो बीजेपी के साथ हो गए हैं, ऐसे में अब ग्वालियर जिले की 6 विधानसभा सीटों पर क्या समीकरण है.
ग्वालियर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें आती है. इसमें से 3 सीटें शहरी और 3 विधानसभा सीटें ग्रामीण क्षेत्रों में आती है. वर्तमान जिले में 6 विधानसभा सीटों पर 4 पर कांग्रेस और 2 पर बीजेपी का कब्जा है
अकेले चंबल क्षेत्र में कांग्रेस ने 13 में से 10 सीटें जीती थीं, लेकिन कांग्रेस ने ये कमाल तब किया था, जब सिंधिया ने पार्टी छोड़ी नहीं थी.
अब बात शिवपुरी की करें तो ये ग्वालियर अंचल का एक ऐसा जिला कहा जाता है जहां सिंधिया पैलेस की छाया में ही राजनीति अंगड़ाई लेती आई है. कई सीटों पर सिंधिया परिवार अकेले दम पर चुनाव जिताता आया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ और चार बार की विधायक यशोधरा राजे शिवपुरी इलाके में पार्टी का बड़ा चेहरा मानी जाती हैं. उनके चुनाव ना लड़ने के ऐलान के बाद कहा जा रहा है कि पार्टी यहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मौका दे सकती है. क्योंकि शिवपुरी विधानसभा वो सीट है, जहां पर न कोई मुद्दे मायने रखते हैं और न ही जाति समीकरण, यहां पर सिर्फ और सिर्फ महल का सिक्का चलता है. हालांकि अगर जातीय समीकरण पर नजर डालें तो
क्या है शिवपुरी का जातीय समीकरण ?
सबसे ज्यादा वैश्य वोटर्स हैं. दूसरे नंबर पर आदिवासी वोटर्स हैं.
वैश्य 50 हजार, आदिवासी 40 हजार, ब्राह्मण वोटर्स 20 हजार हैं.
कुल वोटर्स 2 लाख 22 हजार 539 हैं
1 लाख 24, हजार 771 पुरुष हैं
1 लाख 10 हजार 075 महिला वोटर्स हैं
माना जाता है कि शहरी वोटर्स जिसके पक्ष में जाता है, जीत उसी की होती है.
वहीं गुना में भी सिंधिया परिवार का दबदबा देखने को मिलता है.
गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभाएं आती हैं. जहां करीब 17 लाख वोटर्स है.
हालांकि गुना की कई सीटों पर कांग्रेस सेंधमारी में लगी हुई है. दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघोगढ़ के विधायक हैं. सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद ही उन्होंने लोगों के बीच जाना शुरू कर दिया. उन्होंने अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए पूरी ताक़त लगा दी है. जिसका असर अब होने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है.
एमपी चुनाव में सीटों को लेकर टाइम्स नाउ ने चौंकाने वाले ओपिनयिन पोल जारी किया है. इस ओपिनयिन पोल सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस ओवर ऑल 43.80 फीसदी वोट शेयर के साथ, 230 सीटों वाली विधानसभा में 118 से 128 सीटें मिलने की उम्मीद है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 114 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं ग्वालियर-चंबल में 8 जिले हैं, जहां कुल 34 विधानसभा सीटें हैं. यहां पर कांग्रेस 26 से 30 सीटों पर दर्ज कर सकती है,
अब बीजेपी ने जिस तरह केंद्रित मंत्रियों को एमपी विधानसभा चुनाव में उतारा है. उसे देखकर तो लग रहा है की अब बारी केंद्रिय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना -शिवपुरी सीट से ही सांसद रहें हैं. ऐसे में ये उनका ही इलाक़ा है. अगर सिंधिया यहां से चुनाव लड़ते हैं तो इसका फ़ायदा गुना -शिवपुरी अशोकनगर में होगा. यानी क़रीब 25-30 सीटों पर असर करेगा. अब आगे क्या होता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा
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