कर्नाटक (Karnataka) के तुमकुरु जिले में एक शख्स ने जून, 2015 में 21 साल की लड़की की पहले हत्या कर दी। फिर उसके शव के साथ रेप किया। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपी ने कर्नाटक हाइकोर्ट (High Court) में अपील की। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि रेप जीवित व्यक्ति के साथ हो सकता है, शव के साथ नहीं। इस वजह से आरोपी की हत्या की सजा को बरकरार रखा गया, लेकिन उसे बलात्कार (Rape) के आरोप से बरी कर दिया गया। इस फैसले से एक अलग कानून की जरूरत को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।
वन इंडिया हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने कहा कि आईपीसी के सेक्शन 375 और 377 को ध्यान से पढ़ने पर ये साफ होता है कि डेड बॉडी को ह्यूमन या पर्सन नहीं कहा जा सकता यानी जीवित व्यक्ति के अंदर भावना होती हैं, जबकि मृतकों में नहीं और इस वजह से भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 375 या 377 लागू नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने हत्या करने के बाद विक्टिम का यौन उत्पीड़न किया। ये नेक्रोफिलिया है लेकिन भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 376 में इस अपराध की कोई सजा ही नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा, कई बार सुनने में आया है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में शवों की सुरक्षा में तैनात गार्ड महिलाओं के शव के साथ रेप करते हैं। इसलिए केंद्र सरकार को धारा-377 में संशोधन करके नेक्रोफिलिया पर कानून बनाना चाहिए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को छह महीने में शव की सुरक्षा के लिए निर्देश जारी करने के आदेश दिए हैं ताकि शव के साथ इस तरह की घटना न हो। साथ ही सरकारी और निजी अस्पतालों में शवों की देखरेख कैसे की जाए, इस पर भी जवाब मांगा है।
क्या होता है नेक्रोफिलिया?
शव का रेप करना या कोई सेक्शुअल एक्ट करने के लिए टर्म है नेक्रोफ़ीलिया। नेक्रो मतलब मृत शरीर और फिलिया मतलब आकर्षित होना या प्यार करना। नेक्रोफ़ीलिया के आदी व्यक्ति को कहते हैं नेक्रोफ़ाइल। दरअसल, नेक्रोफिलिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। इसमें इंसान सामान्य मानवीय व्यवहार खो बैठता है और कब्र से खोद कर महिला के शव के साथ रेप करने से भी बाज नहीं आता। देश में महिला की लाश के साथ रेप के कई केस सामने आ चुके हैं।
भारत में नेक्रोफिलिया के मामले
पिछले साल अगस्त में असम के उदलगुरी जिले में 23 साल के युवक ने नदी में नहा रही महिला को खींचकर उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद रेप किया था। जून 2020 में 32 साल के दुकानदार की महिला के साथ बहस हो गई थी। इसके बाद उसने गला रेतकर हत्या कर दी थी। फिर उसका रेप किया था। इसी तरह अक्टूबर 2015 में गाजियाबाद में तीन लोगों ने 26 साल की महिला की कब्र खोदकर लाश निकाली और सामूहिक बलात्कार किया था। सबसे फेमस केस साल 2006 में कुख्यात निठारी सीरीयल रेप और मर्डर केस में भी नेक्रोफिलिया का जिक्र हुआ था। मोनिंदर सिंह पंधेर के नोएडा स्थित आवास पर मदद करने वाले सुरिंदर कोहली ने नाबालिग की हत्या करने और उनके शवों के साथ रेप करने की बात कबूल की थी।
विदेशों में क्या हैं कानून?
यूनाइटेड किंगडम में यौन अपराध अधिनियम, 2003 की धारा 70 के तहत जानबूझकर या लापरवाही से शव के साथ संबंध बनाने पर आरोपी को 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है। वहीं, कनाडा की आपराधिक संहिता, 1985 की धारा 182 नेक्रोफिलिया को दंडनीय बनाती है। कनाडा में तो नेक्रोफीलिया शब्द का यूज किए बिना ये मेंशन है कि मृत शरीर की गरिमा व अधिकार को नुकसान पहुंचाने पर ज्यादा से ज्यादा 5 साल की सजा का प्रवाधान है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2007 की धारा 14 नेक्रोफिलिया पर रोक लगाती है। यहां इसे यौन अपराध से जुड़ा मामला माना जाता है। इसके अलावा, न्यूजीलैंड, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इस कानून को लेकर अधिकतम 2 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
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