पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला मर्डर के मास्टरमाइंड सचिन थापन बिश्नोई को भारत लाया गया है। पिछले साल अगस्त में उसे अजरबैजान में गिरफ्तार किया गया था। सचिन कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भांजा है। सचिन को प्रत्यर्पण के जरिए भारत लाने के लिए सुरक्षा एजेंसी की एक टीम अजरबैजान पहुंची थी। कुछ दिनों पहले NIA यानी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी भी लॉरेंस बिश्नोई के खास सहयोगी विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्रम बराड़ को संयुक्त अरब अमीरात से प्रत्यर्पण के जरिए भारत लाई थी। ऐसे में अब सवाल उठता है आखिर क्या है प्रत्यर्पण संधि और कैसे विदेश में बैठे अपराधी को पकड़ने में इससे मदद मिलती है?
मेहुल चौकसी, विजय माल्या, नीरव मोदी, दाऊद इब्राहिम ये कुछ ऐसे नाम हैं, जो भारत में अपराध करके विदेश भाग गए हैं। भारत सरकार इन भगोड़े अपराधियों को वापस लाने की कोशिश में जुटी है, हालांकि ऐसे लोगों को वापस भारत लाना आसान नहीं होता है। इन्हें वापस भारत लाने के लिए लंबे लिगल प्रॉसेस से गुजरना पड़ता है। हालांकि जिन देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है उन देशों से किसी अपराधी को लाना थोड़ा आसान जरूर होता है।
प्रत्यर्पण संधि जिसे एक्सट्राडिशन ट्रीटी भी कहा जाता है। एक्सट्राडिशन ट्रीटी को लेकर कोई इंटरनेशनल लॉ नहीं है। ये दो देशों के बीच होने वाला वो समझौता है, जिसके जरिए जब किसी एक देश का कोई व्यक्ति अपराध करने के बाद दूसरे देश भाग जाता है तो दूसरा देश उस व्यक्ति को पकड़कर वापस उस देश को सौंप देता है, जहां से वो आया था।
मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स के मुताबिक, मौजूदा समय भारत की अफगानिस्तान, सऊदी अरब समेत 48 देशों के साथ एक्सट्राडिशन ट्रीटी है, लेकिन दुनिया के बाकी दूसरे देशों के साथ भारत इस तरह की संधि करने की कोशिश में हमेशा लगा रहता है। ताकि जो अपराधी देश छोड़कर उनके देश से भागे हैं, उनका किसी तरह जल्द से जल्द प्रत्यर्पण किया जा सके। हालांकि नए देश के साथ एक्सट्राडिशन ट्रीटी करते समय सरकार को संसद में मंजूरी दिलवानी होती है।
18 मई 2023 को इंडियन एक्सप्रेस में छपे आर्टिकल के मुताबिक, फरवरी 2002 से दिसंबर 2015 के बीच 60 भगोड़े अपराधियों को एक्सट्राडिशन ट्रीटी मदद से भारत लाया गया है। वहीं भारत ने 45 अपराधियों को दूसरे देश को सौंपा है।
लोगों के मन में सबसे ज्यादा सवाल भारत और ब्रिटेन के बीच एक्सट्राडिशन ट्रीटी को लेकर रहता है। ब्रिटेन में प्रत्यर्पण की कार्यवाही धीमी है, यही वजह है भारतीय उद्योगपति विजय माल्या और नीरव मोदी ब्रिटेन में ही छिपे बैठे हैं। भारत और ब्रिटेन के बीच 22 सितंबर 1992 को एक्सट्राडिशन ट्रीटी पर साइन हुए थे, हालांकि एक्सट्राडिशन ट्रीटी को हुए भले ही इतने साल बीत चुके हैं, लेकिन भारत अब तक ब्रिटेन से सिर्फ एक ही अपराधी को वापस ला सका है। साल 2002 के गुजरात दंगों के मामले में समीर भाई वीनू भाई पटेल को 18 अक्तूबर 2016 को ब्रिटेन से भारत लाया गया था। कहा जाता है समीर भाई वीनू भाई पटेल को भारत सरकार तभी ला पाई थी जब उन्होंने विरोध के बजाय अपनी सहमति दे दी थी। वहीं भारत अब तक तीन लोगों को एक्सटर्नल ट्रीटी के तहत ब्रिटेन को सौंप चुका है।
दरअसल, ब्रिटेन भारत के अपराधियों की पसंदीदा जगह मानी जाती है। देश को करोड़ो का चूना लगाने वाले ललित मोदी, नीरव मोदी और विजय माल्या लंदन में हैं। कहते हैं अगर आप इंग्लैंड में करोड़ों का इंवेस्टमेंट करके घर खरीदते हैं या फिर रेस्टोरेंट या फैक्ट्री खोलते हैं, जिससे वहां के लोगों को रोजगार मिल सके तो ब्रिटेन आपको अपने देश में रहने की गारंटी देता है। चाहें फिर आप अपने देश में कितना भी बड़ा अपराध कर चुके हों।
फिलहाल सचिन बिश्नोई को सुरक्षा एजेंसियां एक्सट्राडिशन ट्रीटी के तहत अजरबैजान से भारत ले आई है। ऐसे में सचिन पुलिस इन्क्वायरी में सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड को लेकर कई बड़े खुलासे कर सकता है।
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