Nithari Kand का गुनहगार सुरेंद्र कोली की पूरी कुंडली !

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साल 2006 दिसंबर की सर्द सुबह, दिल्ली से सटे नोएडा के निठारी ने जब अपने अंदर से एक के बाद एक करके बच्चों के कंकाल उगलने शुरू किए तो पूरा देश सन्न रह गया, आजाद हिंदुस्तान में किसी आदमखोर की वहशियत की ये दिल दहला देने वाली पहली कहानी थी. जहां एक साथ कई नर कंकाल मिले थे. जिसे आजतक न किसी ने सुना था और न जाना था. आज कहानी उसी D-5 कोठी की, जहां नरपिशाच ने एक नहीं दो नहीं बल्कि पूरे 19 बच्चों का कत्लेआम किया था. जिसे यादकर आज भी लोग सिहर जाते है.

निठारीवासियों को आज भी वो मंजर याद आता है, जब पूरे देश ने आदमखोरों की करतूतों पर थूका था. नोएडा के नाम पर निठारी एक ऐसा धब्बा बन गया, जिसे शायद ही कभी धोया जा सके. इस कांड में दो किरदार सामने आये, पहला मोनिंदर सिंह पुंढेर और दूसरा सुरेंद्र कोली, लेकिन हम आपको कहानी बताने जा रहे है सुरेंद्र कोली की. जो असल मायने में एक नरपिशाच था. वो कहां से आया, क्या करता था आज सब आपको बताते है.

सर्दी का मौसम था, एक बच्चा अपनी मां से कहता है कि मां मैं दोस्तों के साथ खेलने जा रहा हूं. मां मना करती है कहती है गली में खेलना ज्यादा दूर मत जाना क्योंकि टंकी पर भूत रहता है जो बच्चों को ले जाता है. जैसे कई बच्चे गायब हुए है वैसे ही तुम्हें भी गायब कर देगा, लेकिन बच्चों का क्या वो तो नटखट शरारती होते है. वो मैदान में खेलने चले जाते है. बच्चे क्रिकेट खेल रहे होते है तभी बल्ले पर गेंद लगती है और वो नाले में चली जाती है जिसे ढूंढता हुआ बच्चा वहां पहुंचता है. उस गेंद को उठाने चलता था तभी बच्चे की चीख निकल जाती है क्योंकि उसी नाले में काले रंग की पन्नी के अंदर से एक हाथ झांक रहा था. मौके पर मौजूद लोग इकट्ठा हो जाते है. पुलिस आती है. कॉली पॉलीथीन को निकालती है और ले जाती है. बहुत सारे सवाल थे, लेकिन पुलिस बिना कोई जवाब दिए वहां से चली जाती है. कुछ दिन बीतने के बाद उसी जगह से 19 कंकाल और मिलते हैं जिसने पूरे देश-दुनिया को हिला कर रख दिया था. ये सच्ची घटना थी गौतम बुद्ध नगर के नोएडा सेक्टर 31 की, जो पहले निठारी के नाम से था.

कोठी नंबर डी-5 का सच सामने आने की शुरुआत एक युवती की गुमशुदगी के साथ हुई थी. दरअसल 7 मई 2006 की ये बात है. पायल नाम की एक लड़की निठारी की पानी की टंकी के पास से लापता हो गई थी. ये वही जगह थी, जहां दो साल के अंदर कई बच्चे गायब हुए, लेकिन पुलिस के कान पर जूं नहीं रेंगी थी. हालांकि पायल के पिता अपनी बेटी के दिन दर-दर भटकते रहे अधिकारियों के पास गुहार लगाते रहे लेकिन पुलिस ने एक न सुनी. थक हार कर पिता नंदलाल ने एक वकील से बात की और उसको पूरी कहानी बताई, वकील ने कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद कोर्ट ने मामला संज्ञान लेते हुए पुलिस को जांच करने को कहा. कोर्ट का आदेश था तो जांच तो होनी ही नहीं, पुलिस ने FIR दर्ज की. जांच आगे बढ़ी, फिर पिता नंदलाल ने पुलिस को एक सच्ची घटना से रूबरू कराया, पिता ने पुलिस को बताया की उसकी बेटी का 7 मई को एक इंटरव्यू था. जिसके लिए वो ऑटो रिक्शा में बैठकर कोठी नंबर 5 में गई, जहां पायल उतरती है और बिना पैसे दिए ऑटो वाले को वहीं रुकने को कहती है और अंदर चली जाती है. समय काफी बीतता है. ऑटो वाला बेल बजाता है अंदर से सुरेंद्र कोली नाम का एक शख्स आता है, ऑटो वाला पूछता है कि एक लड़की को यहां उतारा वो अंदर गई अभी तक नहीं आई, सुरेंद्र कोली जवाब देता है कि वो चली गई है. लेकिन वहां से जाते हुए किसी ने उसे नहीं देखा था. पिता की बात सुन पुलिस उस कोठी तक पहुंचती है और सुरेंद्र कोली से पूछताछ करती है. फिर वो सच सामने आते है जिसे सुनकर पुलिस के अधिकारियों का भी दिमाग चकरा जाता है.
पता लगता है कि सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है. वो साल 2000 में  दिल्‍ली आया था. जहां कोली एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था. ऐसा बताया जाता है कि कोली काफी स्‍वादिष्‍ट खाना बनाता है. फिर साल 2003 में मोनिंदर सिंह पंढेर के संपर्क में सुरेंद्र कोली आया. उसके कहने पर नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा. साल 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया. इसके बाद वो और कोली साथ में कोठी में रहने लगे थे. पुलिस की पूछताछ खत्म होती है लेकिन कोई सफलता अभी तक हाथ नहीं लगती है. हालांकि इस बीच पुलिस ने पायल के नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया था. जैसे ही नंबर चालू हो जाता है, पुलिस चेन बनाते-बनाते आखिर तक उस सुरेंद्र सिंह कोली तक पहुंचती है जो कोठी नंबर-5 का नौकर था. अब सुरेंद्र कोली पुलिस के पास था पुलिस अपने तरीके से पूछताछ करती है. तब वो स्याह सच सामने आता है जो अभी तक छिपा हुआ था.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पुलिस बताती है पायल अक्सर कोठी नंबर 5 में आती थी, वो मोनिंदर सिंह पंढेर से मिलती थी और दोनों के बीच एक रिश्ता था, दरअसल ऐसा दावा किया जाता है कि पंढेर सेक्स एडिक्टेड था, जिसके लिए वो कोठी में अक्सर कॉल गर्ल को बुलाया करता था. लेकिन उस दिन पायल को कॉल सुरेंद्र कोली ने किया था. पायल जब आती है तो सुरेंद्र की नियत खराब हो जाती है. पायल विरोध करती है लेकिन सुरेंद्र कोली के अंदर का शैतान जाग जाता है फिर वो ऐसा काम करता है जिसके बारे में सोचकर रुंह कांप उठती है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक सुरेंद्र कोली पायल को मार डालाता है. लेकिन उसके अंदर का वहशीपन शांत नहीं हुआ था इसलिए उसने लाश के साथ रेप किया था. दावा तो ये भी है उसने पायल के ब्रेस्ट और हाथ को काटकर उबाल कर खाया था. ये सुनकर पुलिस भी हैरान हो जाती है. जांच जारी रहती है मोनिंदर सिंह पंढेर पर भी शिकंजा कसा जाता है. जो आए दिन कभी ऑस्ट्रेलिया, कभी अमेरिका समेत कई देशों में जाया करता था. इसके पीछे की भी एक कहानी है वो बताते है लेकिन उससे पहले कोठी नंबर-5 के बारे में पहले जान लिजिए, जांच में पुलिस को कोठी के अंदर काली पन्नी में कई नरकंकाल मिलते है. ऐसा कहा जाता है कोठी से गुजरने वाले बच्चों को टॉफी चॉकलेट की लालच देकर सुरेंद्र कोली कोठी के अंदर बुलाता था. फिर दोनों मिलकर कुकुर्म करते थे और फिर उनकी हत्या कर देते.
हालांकि, निठारी गांव के लोगों का कहना है कि पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्यापार होता था. उनका कहना है कि वे बच्चों को मारकर उनके अंग निकाल लेते थे. उसे विदेशों में बेंचा जाता था. जांच चल रही होती है. निठारिवासियों को इस बारे में पता लगता है तो गुस्सा बढ़ जाता है. मीडिया से लेकर पुलिस अधिकारियों का निठारी में जमघट लग जाता है. इधर जांच चल रही होती उधर सुरेंद्र कोली सारे राज धीरे-धीरे बताता है कोली ने पायल के साथ-साथ उन बच्चों की कहानी भी बताई थी, जिनका कत्ल किया गया था. सुरेंद्र और मोनिंदर से रात भर की पूछताछ के बाद अगली सुबह कोठी के पीछे खुदाई की गई और फिर सामने आए बच्चों के नर कंकाल जिसने सबके होश उड़ाकर रख दिए थे.
तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. निठारीवासियों में गुस्सा बढ़ता जा रहा था और फिर आखिरकार 11 जनवरी 2007 को उत्तर प्रदेश सरकार ने मामला CBI को हैंडओवर कर दिया.इसके बाद CBI ने आरोपियों से पूछताछ की और 28 फरवरी और 1 मार्च 2007 को इन्हें दिल्ली में ACMM की कोर्ट में अपना इकबालिया बयान दर्ज कराया. इसमें आरोपियों ने वारदात को कबूल किया था. CBI की जांच में पता चला कि आरोपियों ने मासूम बच्चों को कोठी में बुलाकर उनके साथ रेप किया, फिर गला घोंटकर हत्या की. यही नही, इन बच्चों के शवों के टुकड़े किए और भगौने में पकाकर खा भी गए थे.
डेढ़ साल तक ये खौफनाक सिलसिला चला. लोगों को शक था कि कोठी के पास स्थित पानी की टंकी में कोई भूत है, जो बच्चों को गायब कर रहा है. दरअसल ये सभी बच्चे कोठी के पास आते ही लापता हो रहे थे. लेकिन मामला तब सामने आया जब दिसंबर 2006 में लापता एक बच्ची के मामले की जांच की तो पता चला कि वो आखिरी बार कोठी के अंदर गई थी, जहां से वह बाहर नहीं निकली. इस प्रकार CBI ने सभी मामलों की कड़ियां जोड़ते हुए गाजियाबाद की अदालत में कुल 16 मामलों की चार्जशीट पेश की.
इनमें से रिंपा हलदार नामक एक लड़की की साल 2005 में हुई हत्या के मामले में दोनों आरोपियों को कोर्ट ने फांसी की पहली सजा सुनाई थी. इस मामले में आरोपी इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन उन्हें कहीं भी राहत नहीं मिली और ये सजा अभी भी बरकरार है. वहीं गाजियाबाद की कोर्ट ने सुरेंद्र कोली के मामले को सुनते हुए उसे सीरियल किलर करार दिया था. कहा था कि ऐसे अपराधी के प्रति दया नहीं दिखाई जा सकती. देश की नीची अदालत से ऊपर तक सारी अदालत ने सुरेंद्र कोली के मुकद्दर में मौत लिख दी थी. अब तक कोली को लोवर कोर्ट से 13 मामलों में और पंढेर को तीन मामलों में फांसी की सजा हो चुकी है. हालांकि इनमें से 12 मामलों में अब हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है.
सुरेंद्र कोली और मोहिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाने के बाद सितंबर 2014 में इनके खिलाफ डेथ वारंट जारी हो गया था. गाजियाबाद की डासना जेल में बंद इन नरपिशाचों को फांसी के लिए मेरठ जेल ले जाने की तैयारी हो रही थी. संयोग से जिस तिथि के लिए वारंट जारी हुआ था, उस दिन इतवार था. ऐसे में उस दिन फांसी टल गई और आज तक टलती ही जा रही है. जो अब फिर से टल चुकी है.
दरअसल पंढेर और सुरेंद्र कोली दोनों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने 14 में से 12 मामलों में दोनों को मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया है. इन्हें गाजियाबाद की CBI कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी. हाईकोर्ट में मामले की 134 दिनों तक चली सुनवाई के दौरान मुख्य बात निकल कर आई कि इन सभी मामलों में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था. ऐसे में हाईकोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए इन दोनों को बरी किया है. 

 
कानपुर का हूं, 8 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं, पॉलिटिक्स एनालिसिस पर ज्यादा फोकस करता हूं, बेहतर कल की उम्मीद में खुद की तलाश करता हूं.

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