उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था मैं मई और जून की गर्मी में भी शिमला बना देता हूं, लेकिन भगवान सूर्य की तपिश के आगे यूपी में शिमला जैसा कोई माहौल नहीं बना है। हालांकि सीएम योगी ने माफियाओं की गर्मी शांत किए जाने को लेकर ये बयान दिया गया था, लेकिन मौजूदा समय में प्रदेश के हालात ये हैं कि झुलसा देने वाली गर्मी में लोग घर से बाहर निकलने से बच रहे हैं। दूसरी ओर दिन हो या रात बिजली कटौती जारी है और इससे लोग परेशान हैं।
नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, बाराबंकी और प्रयागराज समेत कई जिलों में बिजली कटौती जारी है। ऐसे में बिजली कटौती का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। इसे लेकर सियासी घमासान भी मचा हुआ है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन में हैं। सीएम ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और यूपीपीसीएल केएम देवराज को तलब कर नाराजगी जताई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराज़गी के बाद तय किया गया है कि बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए अब गोरखपुर, प्रयागराज और झांसी में तीन आईएएस अधिकारी बिठाए जाएंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस संकट को देखते हुए आदेश जारी किया है कि जरूरत पड़ी तो अतिरिक्त बिजली खरीदी जाएगी, लेकिन सप्लाई बाधित नहीं होनी चाहिए। सीएम ने कहा कि गांव हो या शहर, ट्रांसफार्मर खराब हो तो तत्काल बदलें। सीएम योगी ने कहा कि हर जिले में कंट्रोल रूम बनाएं और डीएम खुद मॉनीटरिंग करें। बता दें कि बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए मौजूदा सरकार ने बिजली की दो यूनिट्स पर काम तेज कर दिया है। इनमें 660 मेगावाट की ओबरा सी और जवाहरपुर यूनिट्स अगले महीने तक शुरू हो जाने की उम्मीद है।
विपक्ष ने उठाया सवाल
वहीं, यूपी में बिजली कटौती को लेकर सियासत भी गरमा गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा है कि यह ' बिजली' आने वाले समय में सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों को उनके क्षेत्रों में सबक सिखाने का काम करेगी। जनता ' मंहगी बिजली' और ' बिजली आपूर्ति' के नाम पर अब और शोषण नहीं झेलेगी।
जिला मुख्यालयों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का आदेश
जिला मुख्यालय पर 24 घंटे, तहसील मुख्यालय पर 22 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली आपूर्ति का रोस्टर है। बावजूद इसके कई जगहों पर 8 से 12 घंटे तक की बिजली कटौती की शिकायतें आई हैं। विभाग के आंकड़ों की मानें तो यूपी में 3.52 करोड़ उपभोक्ता हैं, जिनका लोड 7 करोड़ 47 लाख किलोवाट का है, जबकि पावर कॉरपोरेशन की 132 केवी के सब स्टेशन की कुल क्षमता 5.55 करोड़ किलोवाट की है यानी 1.97 लाख करोड़ अतिरिक्त भार है। ऐसे में जब उपभोक्ता अतिरिक्त भार का इस्तेमाल करता है तो पावर कॉरपोरेशन का सिस्टम ठप हो जाता है।
कितनी बढ़ गई बिजली की खपत
बिजली संकट को लेकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने ट्वीट कर लिखा- पिछले साल जून के महीने में 26,369 मेगावाट बिजली की मांग के मुकाबले इस साल जून में 27,610 मेगावाट की खपत हो रही है। ये मांग अप्रत्याशित है। ऐतिहासिक रूप से ज्यादा है। पिछले कई सालों की अधिकतम मांग से भी ज्यादा इस समय की चल रही न्यूनतम मांग 18701 मेगावाट है। ऐसे में सभी बिजली कर्मचारियों से अनुरोध है कि जनता को निर्बाध बिजली देने के लिए तत्परता से सेवा में लगें रहे। सबका सहयोग और बिजली का संयमपूर्ण उपयोग प्रार्थनीय है। बता दें साल 2021 में अधिकतम मांग 22,395 मेगावाट रही जो साल 2022 में बढ़कर 26,589 मेगावाट तक पहुंची। बिजली महकमे के लोग इस साल अधिकतम मांग 28 हजार मेगावाट मानकर चल रहे हैं।
बिजली संकट के हालात कैसे बने
बिजली उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि आपूर्ति इतनी ज्यादा है कि व्यवस्था ही चरमरा गई है। जल्द ही यूपी 28 हजार मेगावाट की मांग को भी पार कर जाएगा। वो बताते हैं कि राज्य में लगे छोटे-बड़े ट्रांसफार्मर से लेकर ढीले-टूटे तार तक बदलने का काम दिसंबर से मार्च के बीच हो जाना चाहिए, लेकिन इस बार ये काम अप्रैल में बमुश्किल शुरू हो पाया। ऐसे में दिक्कत तो होनी ही है। जब मांग बढ़ती है तब तार खूब टूटते हैं। ट्रांसफार्मर भी खूब फुंकते हैं, फिर उन्हें ठीक करने की चुनौती होती है। इसके अलावा बिजली चोरी भी इस समस्या की एक वजह है। उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारियों ने हालात को लेकर उदासीनता दिखाई। विभाग को लगा कि मानसून जल्द आएगा तो हमें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी, लेकिन मानसून पिछड़ गया और विभाग की पोल खुल गई। अगर विभाग ने पहले से तैयारी की होती तो ये हालात न होते।
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