प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर फ्रांस पहुंचे हैं। पीएम मोदी इससे पहले 5 बार फ्रांस दौरे पर जा चुके हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इनविटेशन पर वो 14 जुलाई को होने वाली बैस्टिल डे परेड में एज़ अ चीफ गेस्ट शामिल होंगे। इससे पहले साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस कार्यक्रम में शिरकत की थी। फ्रांस रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिए अपनी इस यात्रा को कई मायनों में खास बताया है। तो आइए इस स्टोरी के जरिए जानते हैं पीएम का ये दौरा क्यों खास है।
भारत और फ्रांस की दोस्ती की शुरूआत 25 साल पहले हुई थी। साल 1998 की बात है...जब भारत पोखरण में परमाणु परीक्षण कर रहा था...तो अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों ने भारत पर कई पाबंदियां लगा दी थीं। तब फ्रांस पश्चिम का इकलौता ऐसा देश था, जिसने भारत का समर्थन किया। यही वो वक्त था जब दोनों देशों के बीच दोस्ती की शुरुआत हुई। 2023 में इसके 25 साल पूरे हो रहे हैं। शायद यही वजह है कि फ्रांस ने नेशनल डे परेड में पीएम मोदी को बुलाया है।
वैसे तो फ्रांस हर साल 14 जुलाई को बैस्टिल डे मनाता है। आमतौर पर ऐसा कम ही होता है जब वो इस समारोह में किसी विदेशी मेहमान को इनवाइट करता है। बैस्टिल डे समारोह में भारतीय सेना की तीनों अंगों की 269 सदस्यीय टुकड़ी भी पहुंची है...जो फ्रांस की सेना की टुकड़ी के साथ परेड में मार्च करते हुए दिखाई देगी।
प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 90,000 करोड़ रुपये में 26 राफेल M लड़ाकू विमान और 3 स्कॉर्पीन पनडुब्बी को लेकर समझौता हो सकता है। ये राफेल लड़ाकू विमान का ही नवल वर्जन है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सौदे में भारत को 4 ट्रेनिंग विमान और 22 सिंगल सीट विमान मिलेंगे। इन्हें इंडियन नेवी के INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। फ्रांसीसी फर्म SAFRAN के साथ लड़ाकू विमान के इंजन को विकसित करने पर भी समझौता हो सकता है। इसी बीच बताया जा रहा है कि फ्रांस और भारत के बीच UPI को लेकर भी डील पक्की हो सकती है।
भारत दुनिया की सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत की इकोनॉमी 3.75 ट्रिलियन डॉलर है। वहीं, फ्रांस एक विकसित अर्थव्यवस्था है। ऐसे में दोनों देशों को एक दूसरे के साथ की जरूरत है। फ्रांस इकोनॉमी, डिफेंस, क्लाइमेट चेंज और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है। फ्रांस और भारत एक-दूसरे से किसी एक मुद्दे पर सहयोग नहीं चाहते हैं। दोनों के बीच सालों से दुनिया के अलग-अलग इश्यूज को लेकर अच्छी साझेदारी रही है। इनमें से कुछ मुद्दे ये हैं…
UNSC में बदलाव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC में फ्रांस स्थाई सदस्य है। भारत लंबे समय से UNSC में बदलाव की मांग करता रहा है। भारत का मानना है कि UN के बनने के बाद से दुनिया काफी बदल चुकी है। ऐसे में दुनिया को चलाने वाली संस्था में भी बदलाव जरूरी है। UN को चंद देशों के इशारे पर चलना बंद करना चाहिए। फ्रांस भी भारत की इन मांगों का समर्थन करता है। वहीं, दूसरी ओर UNSC में भारत स्थाई सदस्यता की मांग करता है। इसे लेकर फ्रांस ने भारत का ही पक्ष लिया है।
मल्टी पोलर दुनिया की चाहत
भारत की तरह ही फ्रांस भी मल्टी पोलर वर्ल्ड का समर्थक है। इसका मतलब ये हुआ कि दोनों देश दुनिया में किसी एक देश का दबदबा कायम होने देना नहीं चाहते हैं। इसका ताजा उदाहरण चीन पर अमेरिका के खिलाफ फ्रांस का स्टैंड है। नाटो का मेंबर होने के बावजूद फ्रांस ने साफ कह दिया था कि वो चीन पर अमेरिका के इशारों पर नहीं चलेगा। फ्रांस ताइवान के मामले में भी अमेरिका की नीतियों का समर्थन नहीं करता है। वहीं, अगर भारत की बात करें, तो भारत शीत युद्ध के दौर से ही किसी एक खेमे का समर्थक होने की खिलाफत करता रहा है। इसके अलावा इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी दोनों देश साथ खड़े हैं।
डिफेंस में साझेदारी
यूक्रेन जंग के बाद से भारत हथियारों को लेकर रूस पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है। इसके लिए वो किसी एक देश पर निर्भर रहने की बजाय भारत अलग-अलग देशों के बेहतर हथियारों को सेना के लिए खरीद रहा है। अगर याद हो PM मोदी के अमेरिका दौरे पर भारत ने MQ-9 ड्रोन की डील की है। वहीं, जर्मनी के साथ 6 पनडुब्बियां बनाने का समझौता होना तय माना जा रहा है। फ्रांस से भारत ने 36 राफेल फाइटर जेट्स लिए हैं और अब PM मोदी की फ्रांस विजिट के दौरान भी 26 और राफेल की घोषणा हो सकती है।
दो दिनों के फ्रांस दौरे में पीएम मोदी वहां के प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बॉर्न, सीनेट के अध्यक्ष गरार्ड लार्चर और नेशनल असेंबली के अध्यक्षों सहित कई राजनीतिक लोगों से मिलेंगे। इसके अलावा पीएम मोदी वहां की कंपनियों के कार्यकारी निदेशकों के साथ एक संयुक्त बैठक भी करेंगे।
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