Shivraj Singh Chauhan को अब तक नहीं मिला BJP से टिकट, क्या इस बार नहीं बनेंगे मुख्यमंत्री ?

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कहते हैं राजनीति में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता और खास तौर बीजेपी कब क्या फैसला ले ले, कोई सोच भी नहीं सकता. हाल ही में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने 78 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर खलबली मचा दी है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश के चुनावी रण में अपने बड़े सेनापतियों को मैदान में उताकर कांग्रेस के रणनीतिकारों को भी मात दे दी है. साथ ही CM शिवराज सिंह चौहान की टेंशन को बढ़ा दिया है क्योंकि बीजेपी की दूसरी लिस्ट में कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो सीधे तौर पर मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है. पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई ऐसे संकेत भी मिले हैं जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवराज की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है.
दरअसल  बीजेपी की दूसरी लिस्ट में 3 केंद्रीय मंत्रियों- नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम है.

इसके अलावा संगठन महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी मैदान में हैं. विजयवर्गीय और तोमर को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाता है. विजयवर्गीय तो कई बार खुले तौर पर मुख्यमंत्री पद की इच्छा जाहिर कर भी चुके हैं. विधानसभा का टिकट मिलने पर उन्होंने आश्चर्य जताते हुए खुद को 'बड़ा नेता' बताया था.
25 सितंबर को भोपाल में जन आशीर्वाद यात्रा के समापन कार्यक्रम में PM मोदी ने मंच पर मौजूद शिवराज सिंह का पूरे भाषण में नाम तक नहीं लिया. अपने करीब एक घंटे के भाषण में महिला आरक्षण विधेयक सहित अपनी सरकार की महिलाओं से जुड़ी सभी योजनाओं पर विस्तार से बात की,

उधर, तमाम बाधाओं के बाद भी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में जुटे शिवराज सिंह ने अब बीजेपी हाईकमान के संकेत को समझ लिया है. शायद यही वजह होगी कि पीएम मोदी की रैली के अगले दिन यानी 26 सितंबर को ही शिवराज सिंह ने अपने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इस तरह का भाषण दिया जिसे उनके विदाई का संकेत माना जा रहा है.
इसे लेकर कांग्रेस ने भी बीजेपी पर निशाना साधा था. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा भी है कि शिवराज मोदी और अमित शाह की पहली पसंद नहीं हैं. पार्टी का आला नेतृत्व उन्हें अनदेखा करता आ रहा है. तीसरा संकेत देखें तो ये है कि बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी चेहरे का ऐलान नहीं किया है. पिछले महीने जब शाह से पूछा गया कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा तो उन्होंने शिवराज का नाम नहीं लिया.

शाह ने कहा, "यह हमारी पार्टी का काम है, हम तय करेंगे.
उम्मीदवारों की किसी भी लिस्ट में अभी तक शिवराज का नाम शामिल नहीं हैं. आमतौर पर पहली सूची में ही मुख्यमंत्री का नाम होता है. अगर सियासी पहलू से देखा जाए तो शिवराज सिंह चौहान चुनावी राजनीति में मोदी से बहुत वरिष्ठ हैं। वह 1990 में विधायक बन गए थे। जबकि मोदी करीब 11 साल बाद 2001 में विधानसभा पहुंचे थे
 
BJP ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट 25 सितंबर की शाम को जारी की थी. इसके बाद से ही कई वरिष्ठ नेताओं ने उम्मीदवारों को बधाई देना शुरू कर दिया था, लेकिन शिवराज ने बधाई नहीं दी. शिवराज ने अगले दिन सुबह करीब 13 घंटे बाद उम्मीदवारों को बधाई दी. राजनीतिक हलकों में कयास लगने शुरू हुए कि शिवराज लिस्ट के नामों से खुश नहीं हैं, इसीलिए बधाई देने में जानबूझकर देरी की.
अब देखा जाए तो बीजेपी ने एक तरीके से शिवराज सिंह चौहान का दायरा समेटने की कोशिश कर दी है. सूबे के नेता और दिल्ली के नेताओं के बीच का फासला खत्म करने का प्रयास किया गया है, जिसका सीधा असर शिवराज सिंह चौहान के पद और कद दोनों पर पड़ना स्वाभाविक है.  

अब सवाल है कि आखिर शिवराज सिंह चौहान क्या करेंगे ?
पॉलीटिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो बेशक शिवराज सिंह चौहान के सामने काफी बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है, लेकिन वो आसानी से हथियार डाल देंगे ऐसा भी नहीं लगता.
ऐसा दावा किया जा रहा है कि शिवराज राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जैसा तेवर अख्तियार कर सकते हैं.
क्योंकि 2018 में वसुंधरा राजे भी बीजेपी नेतृत्व की तमाम कोशिशों के बावजूद टस से मस नहीं हुईं थी, जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद दे दिया गया था.
अब अगर आने वाले खतरे को भांप कर शिवराज सिंह चौहान वसुंधरा राजे की तरह ताकत का एहसास कराने पर उतर आयें तो बीजेपी आलाकमान के लिए मुश्किल हो सकती है.
मोदी-शाह और उनकी टीम को शिवराज सिंह चौहान पसंद हों या नापसंद - मध्य प्रदेश की राजनीति में मामा को नजरअंदाज करना तो नामुमकिन ही है.

अब देखना ये है मध्य प्रदेश की बुधनी विधानसभा सीट से बीजेपी किसे टिकट देती है? और शिवराज सिंह चौहान को किसी और लिस्ट में जगह दी जाती है या नहीं - या फिर 2024 के लोक सभा चुनाव में उनके लिए कोई सीट सुरक्षित कर दी गयी है? 
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कानपुर का हूं, 8 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं, पॉलिटिक्स एनालिसिस पर ज्यादा फोकस करता हूं, बेहतर कल की उम्मीद में खुद की तलाश करता हूं.

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