भारत का मिशन समुद्रयान और मत्स्य 6000 सबमर्सिबल समुद्र की गहराइयों की खोज के लिए तैयार हैं
चांद पर फतेह के बाद अब इंडिया के साइंटिस्टों ने समुद्र की गहराई मापने की तैयारी कर ली है. भारत अब अपने पहले मानवयुक्त गहरे समुद्र मिशन 'समुद्रयान' की तैयारियों में जुटा है जिसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी. मिशन समुद्रयान में तीन लोगों को एक स्वदेशी सबमर्सिबल में बिठाकर 6,000 मीटर की गहराई तक भेजा जाएगा. भारत सरकार इस मिशन के जरिए समुद्र तल से मोबाइल-लैपटॉप जैसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाने के लिए कोबाल्ट, निकल और सल्फाइड जैसी Metals and Minerals निकालने का प्रयास कर रही है.
चांद के छिपे रहस्यों के बाद अब भारत जल्द ही समुद्र के रहस्यों का भी पता लगाएगा. जिसके लिए समुद्रयान मिशन का ट्रायल शुरू करने जा रहा है. इस मिशन के तहत भारत स्वदेशी सबमर्सिबल जिसका नाम Matsya 6000 है. इसके जरिए तीन लोगों को 6000 मीटर की गहराई तक भेजेगा. Matsya 6000 को बनाने में करीब दो साल लगे हैं. भारत छठवां देश है जिसने मानव सबमर्सिबल बनाई है. इसके पहले अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन ने मानवयुक्त सबमर्सिबल बना चुके हैं.
2024 की शुरुआत में चेन्नई तट से इसे बंगाल की खाड़ी में छोड़ा जाएगा. समुद्र में इतनी गहराई तक जाना बेहद चुनौतीपूर्ण है.
इंडियन साइंटिस्टों ने जून 2023 में हुई टाइटन दुर्घटना का भी ध्यान रखा है. नॉर्थ अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक के मलबे तक टूरिस्ट्स को ले जाने वाला ये सबमर्सिबल फट गया था. जिसकी औसत गहराई 3,646 मीटर है. उस हादसे के मद्देनजर भारतीय वैज्ञानिक मत्स्य 6000 के डिजाइन को बार-बार परख रहे हैं.
इस सबमर्सिबल को तो 6 किलोमीटर तक भेजा जाएगा लेकिन समंदर की गहराई इससे भी कई ज्यादा होती है. वुड्स होल ओशनग्राफिक के अनुसार समंदर की औसत गहराई करीब 12 हजार फीट है. वहीं इसके सबसे गहरे हिस्से को चैलेंजर डीप कहते हैं. ये जगह प्रशांत महासागर के नीचे मारियाना ट्रेंच के दक्षिणी छोर पर है. ये लगभग 36 हजार फीट गहरा है
500 मीटर की गहराई पर ट्रायल
टाइटेनियम एलॉय से बनी Matsya 6000 को NIOT के वैज्ञानिक डिवेलप कर रहे हैं. टाइटन हादसे के बाद उन्होंने मत्स्य 6000 के डिजाइन, मैटीरियल्स, टेस्टिंग, सर्टिफिकेशन और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स की समीक्षा की है.
क्यों खास है मत्स्य 6000 ?
NIOT के डायरेक्टर जी.ए. रामदास ने ‘मत्स्य 6000’ सबमर्सिबल की खासियत बताते हुए कहा ये 12-16 घंटे तक बिना रुके चल सकती है. इसमें 96 घंटे तक ऑक्सीजन सप्लाई रहेगी. इसका व्यास 2.1 मीटर है. इसमें तीन लोग बैठ सकते हैं. ये 80mm के टाइटेनियम एलॉय से बनी है. ये 6000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल के दबाव से 600 गुना ज्यादा यानी 600 बार (दबाव मापने की इकाई) प्रेशर झेल सकती है.
क्या-क्या खोजेगी मत्स्य 6000 ?
निकल, कोबाल्ट, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स की तलाश के अलावा, मत्स्य 6000 हाइड्रोथर्मल वेंट और समुद्र में कम तापमान वाले मीथेन रिसने में कीमोसिंथेटिक जैव विविधता की जांच करेगा.
निकल, कोबाल्ट, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स की तलाश के अलावा, मत्स्य 6000 हाइड्रोथर्मल वेंट और समुद्र में कम तापमान वाले मीथेन रिसने में कीमोसिंथेटिक जैव विविधता की जांच करेगा.
कब तक शुरू होगा समुद्रयान मिशन ?
समुद्रयान मिशन के 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है. अब तक केवल अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन ने ही इंसानों को ले जाने वाली सबमर्सिबल विकसित की हैं.
बता दें किरेन रिजिजू ने हाल ही में चेन्नई स्थित National Institute of Ocean Technology पहुंचे जहां उन्होंने 'MATSYA 6000' submersible का इंस्पेक्शन किया. जिसके बाद सोशल मीडिया साइट X पर लिखा कि "अगला समुद्रयान है". इस मिशन से इंडियन साइंटिस्टों को बहुत उम्मीदें हैं.
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