Actor AK Hangal : जब काम नहीं मिला पर किसी के सामने झुके नहीं

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जवाहर लाल नेहरू के रिश्ते में भाई, स्वतंत्रता सेनानी, पाकिस्तान में जेल हुई। पाकिस्तानी होने के आरोप लगे पर पर डरे नहीं। एक दमदार एक्टर, जिन्होंने 29 साल तक थियेटर किया। 52 की उम्र में बॉलीवुड में कदम रखा।

 

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के रिश्ते में भाई थे। ये एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो 18 साल तक आजादी के लिए लड़े। पाकिस्तान के आगे नहीं झुके तो तीन साल जेल हुई। तड़ी पार किए गएसिर्फ 30 रुपये लेकर मुंबई पहुंचे। मुंबई में पाकिस्तानी होने के आरोप लगे इनका खूब विरोध हुआ, पर डरे नहीं।

एक दमदार एक्टर थेजिन्होंने 29 साल थियेटर करने के बाद 52 साल की उम्र में फिल्मों में कदम रखा। पांच दशक में 250 से ज्यादा फिल्में कीं। हर किरदार में जान फूंकी। उनका निजी किरदार विद्रोही थाइस वजह से फिल्में बैन हुई। किसी ने काम नहीं दिया पर झुके नहीं। इतना सब कुछ होने के बाद भी ये शख्स हमें सिर्फ साल 1975 की फिल्म शोले में एक डायलॉग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई..’ बोलने वाले एक बूढ़े किरदार रहीम चाचा के तौर पर याद है।

आज कहानी एके हंगल कीजिसकी जवानी दमदार थी पर भुला दी गई। बुढ़ापे में भी ऐसा वक्त आया जब ये पाई-पाई को मोहताज हुए। इलाज के पैसे नहीं थेतब 98 साल की उम्र में भी काम करना पड़ा।

पाकिस्तान के सियालकोट में कश्मीरी पंडित हरिकिशन हंगल पत्नी रागिया हुंडू के साथ रहते थे। इन्हीं के घर 01 फरवरी साल 1914 को अवतार किशन हंगल यानी एके हंगल का जन्म हुआ। इनकी दो बहनें थीं बिशन और किशन।

साल 1929, देश गुलाम था तो 15 साल के एके हंगल आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। आंदोलन में भाग लिया। इसी बीच इन्हें एक्टिंग का शौक भी जागा।

अपनी ऑटोबायोग्राफी 'लाइफ ऐंड टाइम्स ऑफ ए.के. हंगलमें वो लिखते हैं कि, ‘मैं पढ़ा और पला पेशावर में था। एक्टिंग का मन था तो साल 1936 में ‘संगीत प्रिया मंडल’ थियेटर ग्रुप ज्वाइन किया। फैमिली पेशावर से कराची शिफ्ट हो गई। इसी बीच मेरी आगरा की रहने वालीं मनोरमा डार से शादी हुई और एक बेटा विजय हुआ।’

साल 1947 वो आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। थियेटर कर रहे थे और परिवार की रोजी रोटी के लिए टेलरिंग का काम कर रहे थे।

सब कुछ ठीक था। इसी बीच इन्हें तीन साल जेल हुई। इन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि 

‘साल 1947 के बंटवारे में देश के टुकड़े हो गए। सियालकोटपेशावर और कराची में मेरा बचपन बीता थाये जगहें पाकिस्तान का हिस्सा बनींयहां मेरी यादें थीं। मैं पाकिस्तान में रुका। पाकिस्तान सरकार को मेरे विचार पसंद नहीं आएक्योंकि मैं सेक्युलर और कम्युनिस्ट था। 1947 से 1949 तक जेल हुई। मैं झुका नहीं तो पाकिस्तान से तड़ीपार कर दिया।’

साल 1949 में मैं पूरे परिवार के साथ मुंबई आ गया। जेब में सिर्फ 30 रुपये। हुनर था टेलरिंग का तो एक कपड़े की दुकान में काम करने लगा। शौक था एंक्टिग का तो पारसी थियेटर से जुड़ा।

विचार कम्यूनिस्ट थे। उस वक्त कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हुए फिल्मकार पृथ्वीराज कपूरबलराज साहनीसाहिर लुधियानवीकैफी आज़मीख्वाजा अहमद अब्बास इंडियन पीपल्स थियेटर एसोसिएशन यानी इप्टा के सदस्य थे तो इप्टा ज्वाइन कर ली।

देखते ही देखते 17 सालों का लंबा वक्त बीत गया।उम्र 52 साल की हो गई। सर से आधे बाल गायब थे। और जो बचे थे उसमें कई सफेद थे। तभी उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया।

साल 1966फिल्म ‘तीसरी कसम’ में ये राज कपूर के बड़े भाई बने। इनकी एक्टिंग की सराहना हुई। पर उम्र की वजह से फिल्मों में बड़े-बुजुर्गों के ही रोल मिलते। पिताचाचा तो कभी दादा बने। कभी दोस्त बने तो कभी नौकर तो कभी निगेटिव रोल भी किए। ये किरदार कुछ मिनटों के नहीं थेबल्कि फिल्म के अहम रोल हुआ करते थे। इन किरदारों को इन्होंने अपनी एक्टिंग से जीवंत बना दिया। पर बढ़ती उम्र के चलते वो हर फिल्म के बाद और बूढ़े कमजोर नजर आने लगे।

72 साल की उम्र जब लोग सोचते की अब तो जिंदगी जी ली पर इन्होंने साल 1986 से टीवी में भी काम करना शुरू किया।

79 साल की उम्र में इनकी फिल्में बैन हुई। बाल ठाकरे ने इन्हें देशद्रोही कहा।

दरअसल एक वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक 1993 में पाकिस्तान से एके हंगल को पाकिस्तान दिवस समारोह में शरीक होने के लिए इनवाइट किया गया। इन्होंने वहां जाने लिए वीजा अप्लाई किया, तो शिवसेना ने विरोध किया इनके पुतले जलाए।

एक इंटरव्यू में एके हंगल ने बताया था कि

मुझे गुस्सा तो बड़ा आया। पर मैं डरता नहीं हूंजवाब देता हूं। मैं अंग्रेजों से भी नहीं डरा था। उनके सामने भी सिर ऊंचा करके चलता था।

एके हंगल का भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू रिश्ते में उनके भाई थे। लेकिन उन्होंने इस रिश्ते को कभी भुनाने की कोशिश नहीं की। 

साल 2005 की फिल्म ‘पहेली’ में आखिरी बार काम करने वाले एके हंगल ने मुफलिसी और गरीबी भी देखी।

उन्होंने बॉलीवुड में नाम तो कमाया पर पैसा नहीं। किडनी और अस्थमा की बीमारियों से जूझे। 90 साल के एके हंगल की दवाएं बहुत महंगी थीं।

उस वक्त करीब 74 साल के हो चुके उनके बेटे विजय का मीडिया के सामने दर्द उभरा। उन्होंने कहा कि – ‘मैं अपनी 15 हजार रुपये महीने की पगार से ये सब पूरा नहीं कर पा रहा हूं।’

एके हंगल ने साल 2012 में 98 साल की उम्र में टीवी सीरियल ‘मधुबाला’ और फिल्म ‘कृष्ण और कंस’ में वाइस ओवर किया। वील चेयर पर बैठकर एक रैंप शो पर भी चले। तब उन्होंने कहा था कि ‘काम करने के लिए उम्र को बाधा नहीं बनाना चाहिए।

जिंदगी के आखिरी वक्त तक अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने का संघर्ष करते-करते 26 अगस्त, साल 2012 को वो दुनिया छोड़कर चले गए।

साल 2006 में पद्म भूषण से सम्मानित एके हंगल ने सालों बॉलीवुड को अपनी एक्टिंग से गुलजार किया।

पर न जाने क्यों उनकी अंतिम यात्रा में बॉलीवुड के बड़े नामों की मौजूदगी का सन्नाटा था...।

 

सुनता सब की हूं लेकिन दिल से लिखता हूं, मेरे विचार व्यक्तिगत हैं।

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