फिल्मों का ऐसा जुनून घर छोड़कर मुंबई आ गए। जो काम मिला, पूजा समझकर लिया। तंगी बढ़ी, तो ब्रेड बेची। ड्रैस मैन बने फिर प्रोडक्शन की जिम्मेदारी संभाली। एक्टिंग की शुरुआत टीवी सीरियल से की। कहा गया कि 'उनकी एक्टिंग वो बात नहीं है।' लेकिन, जिन दो पहली फिल्मों में बतौर हीरो काम किया। उन दोनों ही फिल्मों को 'नेशनल अवार्ड' मिला। आज कहानी एक्टर पवन मल्होत्रा की, जिनकी पहचान उनके किरदार हैं। इसी एक किरदार की वजह से एक बार डॉन दाऊद ने इन्हें मिलने बुलाया था।
पाकिस्तान के लाहौर में त्रिलोक नाथ मल्होत्रा अपनी पत्नी आशा रानी के साथ रहते थे। 47 में जब देश का बंटवारा हुआ, तो वो दिल्ली में बस गए। यहां पर मशीनरी टूल्स का बिजनेस शुरू किया। 02 जुलाई साल 1958 को उन्हीं के घर पवन का जन्म हुआ। पवन अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। इसलिए सभी के लाडले भी। पवन दिल्ली के उसी राजेंद्र नगर में बड़े हुए। जहां शाहरुख खान रहा करते थे। शुरुआती पढ़ाई के बाद दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। लेकिन, इसके पहले ही वो एक्टिंग की दुनिया से वाकिफ हो चुके थे। वो एक बार अपने दोस्त के साथ थियेटर गए और एक नाटक में भाग लिया। तुगलक नाम के इस नाटक में उन्होंने अलग-अलग तरह के छह रोल किए। यहीं से पवन के लिए एक्टिंग जुनून बन गई। लेकिन, पिता ने उनको बिजनेस में हाथ बंटाने के लिए कहा। पवन ऑफिस में झाड़ू लगाते। उनके पिता मानते थे कि ‘किसी ने अगर झाड़ू लगाना नहीं सीखा। तो वो जिंदगी में कुछ नहीं सीख पाएगा।’
इस दौरान वो थियेटर भी करते। अखबारों में उनकी एक्टिंग की तारीफ भी होती। उम्र लगभग 24 साल की थी। तभी उनके पास साल 1982 में रिलीज हुई फिल्म ‘गांधी’ में काम करने का ऑफर आया। लेकिन, एक्टिंग नहीं, फिल्म की प्रोडक्शन टीम में बतौर ड्रेस मैन काम करना था। इस तरह का काम उन्होंने पहले कभी नहीं किया था। फिर भी वो मुंबई गए। और अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद साल 1983 की ‘जाने भी दो यारो’ और 1986 की फिल्म ‘खामोश’ और साल 1984 के टीवी सीरियल, 'ये जो है जिंदगी' में प्रोडक्शन टीम का हिस्सा रहे।
पवन फिल्मी दुनिया से रूबरू हो रहे थे। लेकिन, पैसे इतने कम थे कि इनका गुजारा होना मुश्किल था। हालात तंग थे। ऐसे में पिता की सीख काम आई। घर-घर जा कर ब्रेड बेची, संघर्षों से जूझते हुए आगे बढ़े। फिर मौका मिला एक्टिंग का। साल 1986 के टीवी सीरियल ‘नुक्कड़’ में। दूरदर्शन में आने वाले इस शो के बाद लोग उन्हें जानने लगे।
इस दौरान ग्रेट फिल्म डायरेक्टर सईद अख्तर मिर्जा साल 1989 में रिलीज हुई फिल्म ‘सलीम लंगड़े पे मत रो’ बना रहे थे। वो इस फिल्म में एक्टर नसीरुद्दीन को लेना चाहते थे। लेकिन, नसीर साहब ने मना कर दिया। तो इस फिल्म में पवन को बतौर हीरो काम मिला। इस साल एक और फिल्म आई थी।
डायरेक्टर बुद्धदेव दासगुप्ता की ‘बाग बहादुर’। इस फिल्म में भी पवन लीड रोल में थे। इन दोनों ही फिल्मों को नेशनल अवार्ड मिला। पवन ने साबित कर दिया कि वो दमदार एक्टर हैं। साल दर साल तर्पण, परदेश, अर्थ, डॉन, जब वी मेट, दिल्ली – 6, एक थी डायन, बैंग-बैंग, रुस्तम, फ्लाइट जैसी फिल्मों में काम किया।
साल 2004 में रिलीज हुई डायरेक्टर अनुराग कश्यप की फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ में पवन को टाइगर मेमन के किरदार के लिए चुना। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पवन ने इस किरदार में ऐसी जान फूंकी कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी इनकी एक्टिंग के दीवाने हो गए। पवन को मिलने के लिए इनवाइट किया। लेकिन, पवन ने मना कर दिया।
हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, कन्नड़, तेलुगू भाषाओं की करीब 50 से ज्यादा फिल्मों में पवन काम कर चुके है। कई सारे टीवी सीरियल किए। थिएटर में भी जाना पहचाना नाम हैं। किरदार एक जैसा भी हो पवन उसमें अलग तरह की कलाकारी डाल ही देते हैं। ‘भिंडी बाजार’, ‘ब्लैक फ्राइडे’ और ‘सलीम लंगड़े पे मत रो’ इन तीनों ही फिल्मों में अंडरवर्ल्ड के किरदार हैं और तीनों अलग। वहीं वेब सीरीज ‘ग्रहण’ और ‘टब्बर’ दोनों में सरदार बने हैं। लेकिन, दोनों में काफी अंतर।
एक इंटरव्यू में इन्होंने कहा था कि ‘मेरा रोल फिल्म में छोटा हो या बड़ा ये महत्वपूर्ण नहीं है। मेरे लिए किरदार अहम है। क्योंकि, वही है जो मुझे दर्शकों के दिल में जगह देता है।’
पवन ने अर्पाणा मल्होत्रा से शादी की है। जो पेशे से राइटर हैं। पवन इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म '72 हूरें' के लिए चर्चा में बने हैं।
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