साल 1952, डायरेक्टर नजम नकवी की फिल्म ‘रंगीली’ रिलीज हुई। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फेल साबित हुई। पर इस फिल्म से करियर शुरू करने वाले एक्टर की जमकर तारीफ हुई। इस वजह से उनके पास कई फिल्मों के ऑफर आए। लेकिन एक्टर ने एक शर्त रख दी। काम तभी करेंगे जब फीस पिछली फीस से बढ़कर एक लाख रुपये ज्यादा मिलेगी।
डायरेक्टर और प्रोड्यूसर ने कहा कि 'आपकी पहली फिल्म तो फ्लॉप हुई है, फिर भी आप फीस बढ़ा रहे हैं।' तो उस एक्टर ने जवाब दिया कि ‘दोस्त फिल्म फ्लॉप हुई। तो क्या हुआ। मैं तो हिट हो गया हूं न।’
अपने शुरुआती दौर में ये शर्त रखने वाले ये वो एक्टर थे जो अपनी ठसक और बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे। बेहद मुंहफट इंसान। चाहे उनके सामने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन हो, ही मैन धर्मेंद्र हो या फिर म्यूजिक किंग बप्पी लहरी, जो दिल में आता कह देते । चाहे बुरा लगे या अच्छा। आज कहानी बॉलीवुड के बेताज बादशाह कहे जाने वाले एक्टर राजकुमार की। ये शानदार एक्टर तो थे ही इनके किस्से भी खूब हैं। लेकिन, जिंदगी के आखिरी दो साल बेहद दर्दनाक गुजरे और सभी से दूर हो गए। इनकी मौत की खबर भी सभी से छुपाई गई।
देश आजाद होने से पहले बलूचिस्तान में जगदीश्वर नाश पंडित और धनराज रानी रहते थे। इसके घर 08 अक्टूबर, साल 1926 को एक बेटे का जन्म हुआ। नाम रखा कुलभूषण पंडित। ये आठ भाई बहनों में एक थे। जब देश का बंटवारा हुआ तो पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे कुलभूषण की 24-25 साल उम्र में मुंबई पुलिस में नौकरी लग गई। फिल्मों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं। कभी सोचा तक नहीं की फिल्मों में काम करेंगे। लेकिन किस्मत। बतौर सब इंस्पेक्टर जिस थाने में उनकी पहली ज्वाइन हुई । वहां अक्सर फिल्म से जुड़े लोगों का आना-जाना था। एक बार फिल्म प्रोड्यूसर बलदेव दुबे उनसे मिले और वो कुलभूषण के अंदाज से इतने प्रभावित हुए कि फिल्म में काम करने का ऑफर दे दिया। कुलभूषण बिना कुछ सोचे समझे नौकरी छोड़ कर फिल्मों में काम करने लगे। नाम बदला कर रखा राजकुमार, और साल 1952 में रिलीज हुई 'रंगीली' से फिल्मी करियर की शुरुआत की। शुरुआत में इनकी फिल्में नहीं चली। पर इनके अंदाज की तारीफ होती। चाहे फिल्में मिले या नहीं। कभी उन्होंने अपनी फीस कम नहीं की।सबसे पहले पहचान साल 1957 में रिलीज हुई फिल्म 'मदर इंडिया' से मिली। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
फिल्में में तो इनके अंदाज बड़े ही बेबाक रहे। लेकिन, निजी जिंदगी में भी इनकी ठसक कम नहीं है।
एक बार जब म्यूजिक डायरेक्टर बप्पी लहरी को सोने चांदी के गहनों से लदे देखा तो कह दिया कि 'वाह, शानदार! एक से एक गहने पहने हो, सिर्फ मंगलसूत्र की कमी रह गई है, वो भी पहन लेते।'
ये सुनते ही बप्पी दा का मुंह खुला का खुला ही रह गया।
एक बार एक्टर गोविंदा से राजकुमार ने कहा कि 'यार तुम्हारी शर्ट बहुत शानदार है।' ये सुनकर गोविंदा खुश हो गए बोले 'सर, आपको ये शर्ट पसंद आ रही है तो आप रख लीजिए', राजकुमार ने शर्ट ले ली।
दो दिन बाद जो गोविंदा ने देखा उससे वो हैरान हो गए। राजकुमार गोविंदा की शर्ट का रुमाल बनाकर अपनी जेब में रखे हुए थे।
एक पार्टी में उन्हें अमिताभ बच्चन मिल गए। राजकुमार ने उनके सूट की तारीफ कर दी। अमिताभ कुछ कहते तभी राजकुमार फिर से बोल दिए, 'दरअसल, मुझे कुछ पर्दे सिलवाने थे।' ये सुनकर अमिताभ सिर्फ मुस्कुरा दिए।
राजकुमार अपने साथी कलाकार को कभी सही नाम से नहीं पुकारते। एक बार वो बॉलीवुड के हीमैन धर्मेंद्र को जितेंद्र कह गए।
धर्मेंद्र नाराज हुए तो राजकुमार गले लगा कर कहा 'राजेंद्र हो, धर्मेंद्र हो, जितेंद्र हो या बंदर क्या फर्क पड़ता है। जानी, राजकुमार के लिए सब बराबर हैं।'
साल 1971 में रिलीज हुई फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' से एक्ट्रेस जीनत अमान स्टार बन चुकी थी। इसके बाद एक पार्टी में उनकी मुलाकात राजकुमार से हो गई। जीनत को लगा कि राजकुमार उनकी कुछ तारीफ करेंगे। लेकिन राजकुमार ने जो कहा उससे बाद सभी चौंक गए।
राजकुमार बोले, 'जीनत तुम इतनी सुंदर हो। फिल्मों में कोशिश क्यों नहीं करती'।
साल 1973 में रिलीज हुई फिल्म 'जंजीर' से अमिताभ एंग्री यंग मैन कहलाए। ये फिल्म पहले राजकुमार को ऑफर हुई थी। लेकिन उन्होंने मना कर दिया था।
डायरेक्टर प्रकाश मेहरा वजह पूछी तो दो वजहें बताईं। पहली - कहा कि 'प्रकाश, मुझे तुम्हारी सूरत अच्छी नहीं लगी।' और दूसरी वजह ये कि 'तुम्हारे पास से बिजनौरी तेल की ऐसी बदबू आ रही है। हम फिल्म तो दूर तुम्हारे साथ एक मिनट और खड़ा रहना बर्दाश्त नहीं कर सकते।'
एक्टर डैनी को गोरखा कह दिया।
साल 1968 की हिट फिल्म 'आंखें' में काम नहीं करना था तो फिल्म रामानंद सागर से कहा दिया कि 'मुझे क्या मेरे कुत्ते को भी आपकी स्क्रिप्ट पसंद नहीं आई है'।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1968 में रिलीज हुई फिल्म 'नीलकमल' के शूट के दौरान राजकुमार अड़ गए कि वो नकली जेवर पहनकर काम नहीं करेंगे। फिर असली जेवर मंगाए गए और तब राजकुमार शॉट के लिए तैयार हुए।
राजकुमार के जितने किस्से फेमस हैं। शायद ही किसी एक्टर के होंगे। वो नाम के ही नहीं बल्कि सही में राजकुमार थे। दिल के बेहद साफ और नेक दिल। 60 के दशक में जब एक फ्लाइट में एयर होस्टेस Jennifer को देखा तो दिल दे बैठे। शादी की। बाद में जेनिफर ने अपना नाम गायत्री पंडित रख लिया। इनके तीन बच्चे हुए। बेटे पुरु राज कुमार ने कुछ फिल्मों में काम किया है। बेटी वास्तविक्ता पंडित भी 2006 की फिल्म 'फ्लाइट' से डेब्यू कर चुकी हैं।
जिंदगी के आखिरी दिनों में राजकुमार को गले में कैंसर हो गया। खाने पीने से लेकर सांस लेने तक में तकलीफ थी। तबीयत बिगड़ रही थी। एक राजा की तरह जीने वाले राजकुमार आखिरी दिनों में बेबस थे। वो नहीं चाहते थे कि किसी को भी उनकी बीमारी के बारे में पता चले। 3 जुलाई साल 1996 को राजकुमार ने दुनिया को अलविदा कह दिया। अंतिम संस्कार के बाद ही उनके फैंस को पता चला की 'बॉलीवुड का जानी' राजकुमार अब नहीं रहे।
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