‘उतार-चढ़ाव जिंदगी में आते रहते हैं। हो सकता है जिसे आप जिंदगी का उतार समझ रहे हों। वो चढ़ाव हो। और आप कुछ सीख रहे हों। परेशानी के बिना जिंदगी कैसी।उनको आने दीजिए। जिंदगी में टूटना बहुत जरूरी है। मैं तो टूटने को ही संभालना समझता हूं। क्योंकि, टूटने से आपको सीख मिलती है।’
ये लाइनें एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उस व्यक्ति ने कही थी जिसने बचपन में ही घर छोड़ दिया। बंजारों की तरह भटकते जिंदगी के कई साल गुजारे। जो करना चाहते उसके लिए शहर-शहर घूमे। अपने आप को गढ़ा। इसलिए वो अपनी एक्टिंग से किसी भी किरदार को जीवंत बना देते हैं।
आज कहानी एक्टर रघुबीर यादव की। जिनकी पूरी जिंदगी थिएटर, सिनेमा और म्यूजिक के इर्द-गिर्द है। इनकी कहानी सुनने के बाद लगेगा हालात कैसे भी हो अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है। इनकी प्रोफेशनल लाइफ तो बेहद शानदार है। लेकिन इनकी पर्सनल लाइफ बेहद विवादित। आखिर क्यों इनकी पत्नी को शादी के सिर्फ आठ सालों बाद तलाक मांगना पड़ा।
25 जून, साल 1957 मध्य प्रदेश के जबलपुर में रघुबीर यादव का जन्म एक किसान परिवार में हुआ। म्यूजिक का शौक था। पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता था। फिर भी घरवालों की जिद के कारण साइंस स्ट्रीम लेनी पड़ी। उन दिनों उनके शौक को कोई समझ नहीं पा रहा था तो वो घर से भाग गए।
उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि ‘रिजल्ट आने वाला था। मुझे लगा कि, मैं पास नहीं कर पाउंगा। घरवाले मुझसे नौकरी या बिजनेस करवाएंगे। शादी होगी, फिर बच्चे होंगे। यही चलता जाएगा। मुझे तो बचपन से ही गाने का शौक था। तो मैं घर से भाग आया।’
साल 1967 में वो भोपाल पहुंचे। यहां पर एक छोटे से पारसी थियेटर ग्रुप से जुड़े।
जो छोटे-छोटे शहरों और कस्बों में घूम-घूम कर नाटक किया करता था। रघुबीर लगभग छह सालों तक इन्ही के साथ बंजारों की तरह रहे। इस दौरान उन्होंने लगभग 70 नाटकों के 2500 से ज्यादा शो किए। साल 1973 में वो लखनऊ आ गए। यहां पर रंगोली कठपुतली थियेटर से जुड़कर करीब 100 से ज्यादा पपेट शो किए। इन सालों में रघुबीर यादव ने अपने आप को गढ़ा।
इसी दौरान उनको दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा यानी एनएसडी के बारे में पता लगा। साल 1974 में वहां एडमिशन ले लिया।
एक इंटरव्यू में रघुबीर यादव ने कहा था कि ‘मैं छोटे शहरों में घूमा करता था। ऐसे में जब मैं दिल्ली गया तो वहां के माहौल से डर गया। मैंने यहां पर एक्टिंग की बारीकियां सीखना शुरू की। साल 1977 में ग्रेजुएशन पूरा किया। मेरे ज्यादातर बैचमेट टीवी और फिल्मों में एक्टिंग करने के लिए मुंबई चले गए। लेकिन, मैं एनएसडी में ही रिपर्टरी ग्रुप का हिस्सा बन गया।’
इसकी वजह थी कि वो फिल्मों में काम नहीं करना चाहते थे। एनएसडी में इतने रम गए कि वो इसे ही अपनी दुनिया समझने लगे। अगले 08 सालों में 40 नाटकों के करीब 2000 से ज्यादा शो किए। वो इतने फेमस हो गए कि उन्हें लगातार फिल्मों के ऑफर मिलते रहे।
साल 1985 में डारेक्टर प्रदीप कृष्ण की एक छोटी सी लेकिन बेहद पॉप्युलर फिल्म 'मैसी साहब' रिलीज हुई। इस सोशल कॉमिडी ड्रामा फिल्म में रघुबीर यादव लीड रोल में थे। इनके रोल को काफी पसंद किया। इस तरह से इनकी बॉलीवुड में एंट्री हुई। इसके बाद से रघुबीर को फिल्मों में कैरेक्टर रोल ऑफर होने लगे।
रघुवीर यादव के नाम एक अनूठा रिकॉर्ड दर्ज है। ये अकेले ऐसे एक्टर हैं जिनकी आठ फिल्मों को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया जा चुका है। ये आठ फिल्में हैं 1985 की 'सलाम बॉम्बे', 1993 की 'रुदाली' और 'बैंडिट क्वीन', 1999 की 'अर्थ', 2001 की 'लगान', 2005 की 'वॉटर', 2010 की 'पीपली लाइव' और साल 2017 की 'न्यूटन' जिसमें रघुबीर यादव ने दमदार कैरेक्टर रोल किए हैं। इनकी एक्टिंग के स्तर को इस बात से समझ सकते हैं कि बॉलीवुड के ये पहले एक्टर हैं जिन्हें साल 1987 में इंटरनेशनल अवार्ड 'सिल्वर पीकॉक' से नावाजा गया।
साल 1990 के सीरियल 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' वाला मुंगेरी हो या फिर बच्चों के दिलों पर छा जाने वाले 'चाचा चौधरी' का किरदार, 'लगान' का 'भूरा' हो या फिर वेब सीरीज 'पंचायत' के 'प्रधान-पति'.. हर किरदार में जान डाल देने वाले रघुबीर यादव ने कई फिल्मों में गाने भी गाए है। इनकी आवाज से सजा सबसे पॉपुलर गाना साल 2010 में रिलीज हुई फिल्म 'पीपली लाइव' का ‘मंहगाई डायन खाय जात’ है।
रघुबीर यादव का थिएटर और फिल्मी करियर बेहद शानदार रहा हो। लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ काफी विवादित रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रघुबीर की शादी साल 1988 में पूर्णिमा से हुई थी। लेकिन, उनका अपनी पत्नी से रिश्ता कुछ खास अच्छा नहीं रहा। शादी के आठ साल बाद ही साल 1996 में तलाक हो गया। पूर्णिमा ने आरोप लगाया था। रघुबीर का अफेयर एक्ट्रेस नंदिता दास से रहा। कहा जाता है कि रघुबीर एक बार नंदिता को अपने घरवालों से मिलवाने भी गए। रघुबीर तो शादी करना चाहते थे। लेकिन बाद में नंदिता ने शादी करने से इनकार कर दिया। इसी इंटरव्यू में पूर्णिमा ने ये भी बताया था कि किस तरह रघुबीर और एक्टर संजय मिश्रा की पहली पत्नी रोशनी अचरेजा के बीच एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर था। रघुबीर और रोशनी पिछले कई सालों से लिव-इन में रहते हैं। रघुबीर यादव के दो बेटे भी हैं।
एक वेबसाइट में छपे इंटरव्यू के रघुबीर यादव मुताबिक रघुबीर यादव कहते हैं कि ‘मैं कभी भी एक तरह का काम नहीं करना चाहता। मैं बस काम करता रहना चाहता हूं। आप अपने चारों तरफ देखें तो इतना काम है कि कई जन्म लेने पड़ेंगे। तब भी मैं इतना काम नहीं कर पाऊंगा।आप कितने भी अच्छे कलाकार हों, इंसान हों। उतार-चढ़ाव हर किसी की जिंदगी में आता है।’
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