एक्ट्रेस माला सिन्हा (Actress Mala Sinha) ने बेहतरीन फिल्मों में काम कर खूब नाम कमाया। ज्यादा निजी जिंदगी के लिए भी चर्चा में रहीं।
'हम आपकी आंखों में
ये दिल बसा लें तो
हम मूंद के पलकों को
इस दिल को सजा दें तो... '
ये गाना है… साल 1957 की फिल्म 'प्यासा' का। गुरुदत्त, फिल्म के डायरेक्टर भी थे और हीरो भी थे। फिल्म में दो लीड हीरोइन के रोल थे। इसके लिए गुरुदत्त एक्ट्रेस वहीदा रहमान और मधुबाला को लेना चाहते थे। फिल्म में काम करने के लिए वहीदा रहमान तो मान गईं पर मधुबाला ने ऑफर को ठुकरा दिया।
मधुबाला ने मना किया तो मिली 'प्यासा'
फिर मधुबाला का रोल मिला, उस हीरोइन को जो बंगाली फिल्में तो कर रही थीं पर बॉलीवुड में खास नाम नहीं था। 'प्यासा' फिल्म हिट हुई तो उनका करियर भी चल निकला। साल दर साल एक से एक बेहतरीन फिल्में की। खूब नाम कमाया, सबसे ज्यादा फीस लेती और टॉप की एक्ट्रेस में शुमार हुईं।
कहानी माला सिन्हा की
ये फिल्मों से ज्यादा अपनी निजी जिंदगी के लिए भी चर्चा में रहीं। अपने पति से एक नहीं बल्कि तीन-तीन बार शादी की। एक बार घर में 12 लाख रुपये मिले, तो कह दिया की ये मैंने वेश्यावृत्ति से कमाये हैं। ये अपने घर का सारा काम खुद ही करती। इसलिए लोग इन्हें कंजूस भी कहते। आज कहानी अपने दौर की फेमस एक्ट्रेस माला सिन्हा की। जिन्होंने अचानक एक दिन फिल्मों से नाता तोड़ दिया। इनकी बेटी के बारे में बताएंगे जिसे आपने कई फिल्मों में देखा होगा पर शायद आप उन्हें उनके नाम से न जानते हो।
दोस्त 'डालडा' कहकर चिढ़ाते
मूल रूप से नेपाल के रहने वाले, अल्बर्ट सिन्हा, जो एक ईसाई थे और कोलकाता में रहते थे। उन्ही के घर 11 नवंबर, साल 1936 को एक बेटी का जन्म हुआ। नाम रखा आल्डा सिन्हा। आल्डा जब स्कूल जाती तो उनके दोस्त उन्हें आल्डा की डालडा कहकर चिढ़ाते। फिर माता-पिता ने नाम बदलकर माला सिन्हा रख दिया।
बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट पहली बार किया काम
डांस और म्यूजिक का शौक था तो स्कूल के फंक्शन में भाग लेतीं। एक फंक्शन को एक बंगाली फिल्म डायरेक्टर भी देखने आए। उन्होंने 10 साल की माला सिन्हा को देखा तो साल 1946 की बंगाली फिल्म 'जय वैष्णो देवी' में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम दिया।
16 साल की उम्र में बनीं हीरोइन
16 साल की उम्र में साल 1952 की बंगाली फिल्म 'रोशनारा' में बतौर हीरोइन पहली बार काम किया। माला सिन्हा ने साल 2000 तक करीब 30 बंगाली फिल्मों में काम किया।
'रंगीन रातें' से किया बॉलीवुड में डेब्यू
करियर के शुरुआत में बंगाली भाषा के साथ वो हिन्दी फिल्मों में भी छोटे-मोटे रोल किया करती। एक दिन उनकी मुलाकात एक्ट्रेस गीता बाली से हुई। गीता बाली माला सिन्हा को फिल्म डायरेक्टर केदार शर्मा से मिलवाया और केदार शर्मा ने साल 1956 की फिल्म 'रंगीन रातें' में बतौर हीरोइन कास्ट किया। पर कुछ खास कमाल नहीं कर पाईं।
ऑल इंडिया रेडियो में गाती थीं गाना
साल 1957 की फिल्म 'प्यासा' के बाद माला सिन्हा को पहचान मिली फिर साल दर साल अपनी मेहनत से उनका करियर टॉप में पहुंच गया। 'बादशाह', 'हेलमेट', 'प्यासा', 'नया जमाना', 'एक गांव की कहानी', 'चंदन', 'फिर सुबह होगी', 'परवरिश', 'धूल का फूल' 'आंखें' और 'माया' जैसी 250 से ज्यादा फिल्में की। अशोक कुमार, धर्मेंद्र, मनोज कुमार, संजय खान, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन तक हर बड़े हीरो के साथ काम किया। इन्होंने किसी फिल्म में तो नहीं गाया पर वो ऑल इंडिया रेडियो में बतौर सिंगर काम चुकी हैं।
घर का सारा काम खुद ही करतीं
एक वो दौर आया जब माला सिन्हा की कामयाबी चरम पर थीं, फिल्मों के लिए वो सबसे ज्यादा फीस लेतीं। पर दूसरी तरफ उनके कंजूसी के किस्से भी छाए रहते। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने घर पर नौकर नहीं रखे थे। पैसे बचाने के लिए सारा काम खुद ही करतीं।
बाथरुम की दीवार से 12 लाख रुपये कैश मिले
साल 1978 में इनके घर में इनकम टैक्स ने छापा मारा, जिसमें उनके घर की बाथरुम की दीवार से 12 लाख रुपये कैश मिले। मामला कोर्ट में चला। पैसे बचाने के लिए उनके पिता अल्बर्ट सिन्हा के वकील ने सलाह दी – 'इन पैसों को पाने का एक ही तरीका है। माला सिन्हा को कहना होगा कि ये रुपये उन्होंने फिजिकल रिलेशन बनाकर कमाए हैं।' माला सिन्हा के लिए ये आसान नहीं था फिर भी उन्होंने ये बात कोर्ट में कही कि - 'ये पैसे मैंने वेश्यावृत्ति करके कमाए हैं।' जिसके बाद कोर्ट ने आयकर विभाग को माला सिन्हा का सारा पैसा लौटाने का फैसला दिया।
नेपाली हीरो पर आया दिल
माला सिन्हा के लिए प्यार में बॉलीवुड के बहुत से हीरो पड़े पर माला सिन्हा का दिल एक नेपाली हीरो चिदंबर प्रसाद लोहानी पर आया। जब साल 1966 में उन्होंने एक मात्र नेपाली फिल्म 'माटी घर' में काम उनके साथ काम किया। शूटिंग के दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आए। शादी के लिए दोनों के परिवार वालों ने शर्त रख दी की शादी रीति-रिवाजों से होगी। इस कारण सबसे पहले ईसाई और फिर हिंदू धर्म की रीति रिवाजों से शादी हुई बाद में दोनों ने कोर्ट मैरिज भी की। इस तरह से माला सिन्हा ने अपने पति से एक नहीं तीन बार शादी की। दोनों की एक बेटी नाम प्रतिभा सिन्हा हैं।
माला की प्रतिभा का नहीं चला करियर
प्रतिभा सिन्हा ने साल 1992 की फिल्म ‘महबूब मेरे महबूब’ से बॉलीवुड में बतौर हीरोइन डेब्यू किया। वो करीब सात-आठ फिल्मों में छोटे मोटे रोल में नजर भी आई। साल 1996 की फिल्म 'राजा हिंदुस्तानी' के 'परदेसी-परदेसी' गाने में डांस करने के लिए पहचान भी मिली। अफसोस वो अपनी मां के जैसे वो मुकाम नहीं बना पाई और गुमनामी के अंधेरे में खो गई। बेटी असफल हुई तो माला सिन्हा काफी टूट गईं।
उन्होंने भी बॉलीवुड से दूरी बना ली। आज माला सिन्हा 87 साल की उम्र में अपनी बेटी और पति के साथ लाइमलाइट से कोसों दूर रहना पसंद करती हैं।
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