Actress Suraiya : कई दीवाने पर जिंदगी तन्हा गुजरी

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आंखें बहुत खूबसूरत थीं। वो बड़ी एक्ट्रेस और सिंगर थीं। हां, मैंने उनसे प्यार किया था। इसे मैं, अपने जीवन का पहला मासूम प्यार कहना चाहूंगा।’

ये बातें अपने दौर के दिग्गज एक्टर देव आनंद ने सुरैया के लिए अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में लिखी है।

देव आनंद लिखते हैं कि 'साल 1947 की फिल्म ‘विद्या’ के सेट पर गाना चला, कैमरा रोल हुआ। सुरैया ने मुझको गले लगाया। मैंने उनके हाथों को चूमा और फिर उनकी तरफ एक फ्लाइंग किस उछाला। डायरेक्टर ने चिल्ला कर कहा, ''ग्रेट शॉट''। सीन तो खत्म हो गया। लेकिन, हमारे प्यार का सिलसिला शुरू हो गया।’

40 से 50 के दशक में सुरैया को सबसे ज्यादा फीस मिलती थीं। उनकी  पॉपुलैरिटी  का आलम ये था कि एक झलक पाने के लिए फैंस उनके घर के सामने घंटों खड़े रहते। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी उनकी आवाज को पसंद करते। अशोक कुमार से लेकर ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार तक और बॉलीवुड के हीमैन धर्मेंद्र तक सभी उनके दीवाने थे। लेकिन सुरैया ने जिंदगी के 54 साल तनहा गुजार दिए। साथ थी बस वो तीन साल की यादें। जो उन्होंने देव आनंद के साथ बिताए थे। आज कहानी एक्ट्रेस सुरैया की। जो देव आनंद को प्यार तो खूब करती थीं पर शादी नहीं की।

15 जून साल 1929 पंजाब के गुजरांवाला में सुरैया जमाल शेख का जन्म हुआ। वो अपने माता पिता की इकलौती संतान थीं। सुरैया के चाचा थे जहूरजी। जो फिल्मों में काम करते थे। उन्हीं की वजह से सुरैया ने आठ साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट बॉलीवुड में काम किया।

पहली बार साल 1936 की फिल्म ‘मैडम फैशन’ की। फिर साल 1937 की ‘उसने क्या सोचा’ और साल 1941 की ‘ताजमहल’ फिल्म करने के बाद उनकी गाड़ी चल पड़ी।

सुरैया की आवाज भी सुरीली थी। म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद ने जब पहली बार सुरैया को सुना तो साल 1943 की फिल्म ‘शारदा’ में गाने का मौका दिया। 1943 की ‘तदबीर’, 1945 की ‘फूल’ और 1946 की ‘अनमोल घड़ी’ जैसी फिल्में करने के बाद बॉलीवुड में अपने कदम जमा चुकी थी। साल 1947 के बंटवारे में एक्ट्रेस नूरजहां और खुर्शीद बानो के पाकिस्तान चले जाने के बाद सुरैया के आगे फिल्म प्रोड्यूसर की लाइन लग गई। साल 1949 की ‘दिललगी’, 1950 की ‘दुनिया’ और 1953 की ‘मिर्जा गालिब’ के बाद सुरैया रातोंरात स्टार बन गई।

वो उस पीढ़ी की आखिरी कड़ी में से एक थीं जो एक्टिंग के साथ सिंगिंग में भी माहिर थीं। धर्मेंद्र सुरैया के इतने जबरदस्त दीवाने थे कि उन्होंने उनकी फिल्म 'दर्द' को 40 बार देखा। दिलीप कुमार का भी सपना था कि उन्हें सुरैया के साथ काम करने का मौका मिले। उस दौर का हर एक्टर उनके साथ काम करना चाहता था। लेकिन, सुरैया देव आनंद को चाहती थीं।

फिल्म 'विद्या' के सेट पर देव आनंद सुरैया से पहली बार मिले उन्होंने सुरैया से कहा कि - ‘सब लोग, मुझे देव कहते हैं। आप, मुझे किस नाम से पुकारना पसंद करेंगी?’ सुरैया ने कहा- ‘देव’। दोनों को पहली नजर में ही प्यार हो गया था। एक दूसरे के प्यार के नाम भी रख दिए। सुरैया ने अपने एक मनपसंद नॉवेल के हीरो के नाम पर देव आनंद का नाम ‘Steve’ रखा। देव आनंद को सुरैया की नाक जरा लंबी लगती थी, तो उन्होंने सुरैया का नाम रख दिया ‘Nosey’

ये वो वक्त था जब देव आनंद का फिल्मी करियर उठ ही रहा था और सुरैया एक स्थापित नाम था।

एक इंटरव्यू में देव आनंद ने बताया था कि – सुरैया एक बहुत बड़ी स्टार थीं। मैं, तो ट्रेन में जाता था, वो लिमोजीन जैसी बड़ी गाड़ियों में घूमती थीं। लेकिन, उन्हें मुझमें कुछ खास दिखा और वो अपना दिल मुझे दे बैठीं। मैंने, अपने प्यार की निशानी के तौर पर तीन हजार रुपये की एक हीरे की अंगूठी दी थी।’

सुरैया और देव आनंद के इश्क के चर्चे होने लगे थे। सुरैया की मां देव आनंद को पसंद करती थीं। लेकिन, सुरैया की नानी को इस रिश्ते पर एतराज था। वो दूसरे धर्म के लड़के के साथ सुरैया का रिश्ता करना नहीं चाहती थीं। उन्होंने सुरैया पर पाबंदी लगाई। सुरैया को शूटिंग के अलावा देव से मिलने तक की इजाजत नहीं थी।

एक इंटरव्यू में सुरैया ने बताया था कि – एक दिन शूटिंग के दौरान मैंने देव की दी हुई अंगूठी पहन ली। लेकिन, नानी ने मेरे हाथ से वो अंगूठी निकाल ली। मुझे पता था कि, देव ने दोस्तों से उधार लेकर मेरे लिए वो कीमती अंगूठी खरीदी है। मैं उस रात बहुत रोई।’ सुरैया की नानी जो चाहती। वैसा हुआ भी दोनों एक नहीं हो पाए। साल 1947 से शुरू इनकी मोहब्बत का सफर सिर्फ चार साल चला। साल 1951 में दोनों अलग हो गए।

देव आनंद ने भी एक इंटरव्यू में बताया था कि - मैं और सुरैया शादी करना चाहते थे। लेकिन, सुरैया के घर वालों को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। जब ये रिश्ता टूटा था। उस दिन मैं, अपने भाई के कंधे पर सिर रख कर खूब रोया।’ वक्त गुजरा देव आनंद ने साल 1954 में एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक से शादी कर ली। लेकिन, सुरैया ने ताउम्र शादी नहीं की।

साल 1963 की फिल्म 'रुस्तम सोहराब' के बाद सुरैया ने फिल्मी दुनिया से भी खुद को अलग कर लिया। मुंबई के मरीन लाइन में बने अपने फ्लैट में अकेले रहतीं। उस वक्त सिर्फ उनके पास देव आनंद की यादें थीं। तीन दशक तक अपनी जादुई आवाज और एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने वाली सुरैया 31 जनवरी साल 2004 को 74 साल की उम्र में दुनिया छोड़कर चली गईं।

हर किसी को उम्मीद थी उस दिन देव आनंद उन्हें आखिरी विदाई देने के लिए जरूर आएंगे। लेकिन, वो नहीं आए। वजह देवा आनंद ने कभी नहीं बताई।

सुनता सब की हूं लेकिन दिल से लिखता हूं, मेरे विचार व्यक्तिगत हैं।

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