एक्ट्रेस वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) का डांस उनकी एक्टिंग के साथ सोने पर सुहागा था। इनके किरदार में अलग-अलग शेड हैं क्योंकि इनकी जिंदगी रंग-बिरंगी है। इनका किरदार अजब-गजब भी है, कि उन्होंने शादी के लिए पति को खरीदा था।
ये वो वक्त था, जब साल 1955 की फिल्म ‘देवदास’ बन रही थी। लिजेंड्री एक्टर दिलीप कुमार, देवदास के रोल में थे और पारो बनी थीं एक्ट्रेस सुत्रिता सेन। फिल्म में एक और इंपोर्टेंट रोल था, चंद्रमुखी का। डायरेक्टर बिमल राय अपनी चंद्रमुखी की तलाश में थे।
नरगिस को ऑफर दिया पर उन्होंने मना कर दिया। फिर वो मीना कुमारी, बीना राय, सुरैया के पास गए, लेकिन बात नहीं बनी।
वक्त बीत रहा था, कोई रास्ता नहीं मिला तो धारा के विपरीत गए।
फिर उस एक्ट्रेस को रोल दिया, वो इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने की कोशिश में थीं। जिसे बॉलीवुड में आए हुए चार-पांच साल ही हुए थे। छह-सात ही फिल्में की थीं। जिसमें एक–दो हिट थी। उन्हें मौका मिला तो चंद्रमुखी का ऐसा रोल निभाया की यादगार बन गया। सभी ने तारीफ की। फिल्म फिल्मफेयर का अवार्ड मिला। पर एक वजह थी उन्होंने ये अवार्ड लेने से मना कर दिया।
ये वो एक्ट्रेस थीं जिनका डांस उनकी एक्टिंग के साथ सोने पर सुहागा था। इनके किरदार में अलग-अलग शेड हैं क्योंकि इनकी जिंदगी रंग-बिरंगी है।
आज कहानी वैजयंतीमाला की जिनका किरादर अजब-गजब सा भी है क्योंकि उन्होंने शादी के लिए पति को खरीदा था।
13 अगस्त, साल 1936 एक तमिल ब्राह्मण एमडी रमन और वसुंधरा देवी के घर वैजयंती माला का जन्म हुआ।
छोटी सी वैजयंती का ख्याल उनकी मां नहीं दादी यदुगिरी देवी को रखना पड़ता। क्योंकि वैजयंती की मां वसुंधरा देवी उस दौर में तमिल फिल्म इंडस्ट्री की फेमस एक्ट्रेस थीं। साल 1943 की 'मंगम्मा सबाथम' उनकी सुपरहिट फिल्मों से एक हैं।
घर में फिल्मी माहौल था तो वैजयंती माला भी पढ़ाई के साथ भरतनाट्यम और कर्नाटक म्यूजिक की ट्रेनिंग लेने लगी।
और यही ट्रेनिंग उनकी फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री होने का जरिया बना।
दरअसल पांच साल की उम्र में ही वैजयंती माला स्टेज शो करने लगी थीं। और उनका यही डांस जब तमिल फिल्म के एक डायरेक्टर ने देखा तो उनको फिल्म में काम करने का ऑफर दे दिया। तब वैजयंती की उम्र सिर्फ 13 साल की थी।
साल था 1949, तमिल फिल्म 'वाझकाई' से वैजयंती माला ने फिल्मी करियर की शुरुआत की।
ये फिल्म हिट हुई तो साल 1951 में फिल्म को हिंदी में ‘बहार’ नाम से रिलीज किया। फिल्म ‘बहार’ से वैजयंती माला ने बॉलीवुड में डेब्यू किया।
वो ऐसी पहली साउध की एक्ट्रेस थीं जो अपने डायलॉग डब नहीं कराती। उन्होंने बकायदा हिंदी बोलना सीखा था। हिंदी सिनेमा में भाग्य आजमाने वालीं ये पहली एक्ट्रेस थी साउथ इंडस्ट्री से मुंबई आईं थी।
साल 1953 ‘लड़की’ और 1954 की ‘नागिन’ जैसी फिल्में करने के बाद साल 1955 की ‘देवदास’ में चंद्रमुखी का रोल निभाया। ‘देवदास’ के बाद वैजयंती माला की इंडस्ट्री में धाक जम गई। रातों रात स्टार बन गईं।
वो अपने किए गए काम को बेहतर समझती, खुद को कभी कम नहीं आंका। इसीलिए तो जब फिल्म ‘देवदास’ में चंद्रमुखी के लिए फिल्मफेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड मिला तो उन्होंने लेने से मना कर दिया।
वजह उन्होंने एक इंटरव्यू में बताई थी कि ‘मैंने फिल्म (देवदास – 1955) में चंद्रमुखी का किरदार निभाया, जो एक बड़ा रोल था और एक्ट्रेस सुचित्रा सेन के निभाए गए पारो के किरदार के बराबर ही महत्व रखता था, न कि सहायक भूमिका के लिए।’
एक क्लासिकल डांसर की छवि के साथ वैजयंती माला ने हिन्दी फिल्मों में एक्ट्रेस के लिए डांस को अहम बना दिया।
यूं तो वैजयंती माला ने अपने दौर के सभी स्टार्स के साथ काम किया था। लेकिन दो एक्टर्स के साथ उनकी जोड़ी खूब जमी।
साल 1957 की 'नया दौर' 1958 की 'मधुमती', 1959 की ‘पैगाम', 1964 की 'लीडर' और साल 1968 की 'संघर्ष' जैसी हिट फिल्में दिलीप कुमार के साथ कीं। तो वहीं साल 1961 की नजराना और साल 1964 की संगम जैसी सुपरहिट फिल्में राज कपूर के साथ की।
राज कपूर और वैजयंती माला रील में एक्टिंग करते – करते रियल में भी दिल दे बैठे।
दरअसल उन दिनों राज कपूर वैजयंती माला के प्यार से अपनी पुरानी मोहब्बत नरगीस के गम को कम करने की कोशिश कर रहे थे। वैजयंती माला और राज कपूर एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। लेकिन बीच में दीवार थीं राज कपूर की पत्नी कृष्णा कपूर। उनकी वजह से दोनों एक न हो पाये। उधर राज कपूर की याद में वैजयंती माला की तबीयत खराब हो गई।
राज कपूर ने अपने फैमिली डॉक्टर चमनलाल बाली से वैजयंती का इलाज करने को कहा। डॉक्टर वैजयंती माला का ख्याल रखते।
प्यार में टूटी चुकीं वैजयंती माला को डॉक्टर साहब का सहारा मिला। डॉक्टर चमनलाल बाली भी वैजयंती माला को चाहने लगे। दोनों शादी करना चाहते थे पर दिक्कत थी डॉक्टर साहब भी पहले से शादीशुदा थे। पत्नी से तलाक मांगा तो पत्नी ने तलाक के बदले मोटी रकम मांग ली जिसे डॉक्टर साहब नहीं चुका सकते थे।
ऐसे में वैजयंती माला ने प्यार के लिए वो रकम अदा की और साल 1968 में डॉक्टर चमनलाल बाली से शादी कर ली। दोनों का एक बेटा सुचिंद्रा बाली हैं।
शादी के बाद वैजयंती माला ने फिल्मों में काम बेहद कर कर दिया। तीन बार फिल्म फेयर का बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड जीतने वालीं वैजयंती माला आखिरी मैन लीड का किरदार साल 1970 की ‘गंवार’ की थी। जिसमें उन्होंने पारो नाम की लड़की का रोल किया था।
इसके बाद वैजयंती माला पॉलिटिक्स से जुड़ीं।कांग्रेस के टिकट पर साल 1984 और साल 1989 में चुनाव लड़ा। और सांसद सदस्य बनीं। साल 1993 से साल 1999 तक राज्य सभा सांसद रहीं। इसके बाद साल 1999 में बीजेपी ज्वाइन कर ली।
एक्ट्रेस, भरतनाट्यम डांसर, कर्नाटक सिंगर, कोरियोग्राफर और सांसद वैजयंतीमाला के बिना इंडियन सिनेमा अधूरा है। वो चेन्नई में अपने दो पोतों के साथ शांतिपूर्ण जिंदगी जी रहीं हैं। उनका डांस स्कूल है। वो आज भी उतनी सक्रिय, फुर्तीली और जीवित है, जितनी वो अपने करियर के शुरुआती दौर में थीं। वैजयंती माला एक शौकिन गोल्फर भी थीं। साल 2007 में, उन्होंने अपनी बायोपिक ‘बॉन्डिंग’ प्रकाशित की।
कई एक्ट्रेस वैजयंती माला के रास्ते में चलकर स्टार बन गईं। आज के दौर की भी कई इनके बेंच मार्क को पाने की कोशिश में हैं।
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