Actress Zeenat Aman : फिल्मी जिंदगी रंगीन, रियल लाइफ दर्द से भरी

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एक्ट्रेस ज़ीनत अमान (Actress Zeenat Aman) ने की। वेस्टर्न लुक और बोल्ड अंदाज लिए कैमरे के सामने आईं। वो ज़ीनत अमान जिनका फिल्मी सफर तो बेहतरीन रहा पर रियल लाइफ में दुख ही दुख थे।

एक्टर संजय खान की बायोग्राफी ‘द बिग मिस्टेक्स ऑफ माय लाइफ’ के मुताबिक 'साल 1979 को मुंबई के होटल ताज में पार्टी के दौरान एक्टर संजय खान ने ज़ीनत अमान की पब्लिकली जमकर पिटाई कर दी। संजय खान ने इतना मारा कि ज़ीनत अमान को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। जबड़ा टूट गया। उनकी दाहिनी आंख खराब हो गई। फिर जीनत अमान और संजय खान का रिश्ता हमेशा के लिए खत्म हो गया।'

वेस्टर्न लुक और बोल्ड अंदाज

आज कहानी वेस्टर्न लुक और बोल्ड अंदाज लिए कैमरे के सामने आईं एक्ट्रेस ज़ीनत अमान की। देव आनंद, राज कपूर, अमिताभ बच्चन अपने दौर के हर बड़े एक्टर के साथ काम किया। वो ज़ीनत अमान जिनका फिल्मी सफर तो बेहतरीन रहा पर रियल लाइफ में दुख ही दुख था।

जब पिताजी का निधन हो गया

साल 1960 की 'मुगल-ए-आज़म' और साल 1972 की फिल्म 'पाकीज़ा' की स्क्रिप्ट राइटर लिखने वाले अमानुल्ला खान की शादी वर्धिनी से हुई। 19 नवंबर साल 1951 को उनके घर एक बेटी का जन्म हुआ। नाम रखा ज़ीनत खान। ज़ीनत जब 13 साल की हुईं तो पिता अमानुल्ला खान का निधन हो गया। पिता के जाने के बाद ज़ीनत ने अपने पिता के नाम को अपने नाम के आगे जोड़ लिया, और वो ज़ीनत खान से ज़ीनत अमान हो गईं।

कैलिफोर्निया से पढ़ाई छोड़कर भारत आईं 

ज़ीनत जर्मनी से कैलिफोर्निया पढ़ाई करने चली गईं। लेकिन वहां पर उन्होंने पढ़ाई पूरी नहीं की और सब कुछ छोड़कर भारत आ गई। यहां पर उन्होंने फेमिना मैगजीन में बतौर जर्नलिस्ट नौकरी ज्वाइन की। वो मॉडल्स, हीरो-हीरोइन के इंटरव्यू लेतीं। इस दौरान उन्हें लगा, वो भी मॉडलिंग में करियर बना सकती हैं।

मॉडलिंग में बनाया करियर

कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया। साल 1970 में मिस इंडिया ब्यूटी कॉन्टेस्ट में सेकेंड रहीं। पर 'मिस पैसिफिक एशिया' का खिताब जीतने वाली वो पहली भारतीय महिला बनीं। फिलीपींस में 'मिस फोटोजेनिक' का अवार्ड भी अपने नाम किया। साल 1970 में ज़ीनत अमान ने सबसे पहली बार फिलीपींस की ही फिल्म 'द एविल विदइन' में एक छोटा रोल किया। इस फिल्म में देव आनंद भी काम कर रहे थे।

जब देव आनंद की बहन बनने के लिए मानीं

साल 1971 में देव आनंद फिल्म 'हरे राम हरे कृष्णा' बना रहे थे। फिल्म में 'जेनिस' उर्फ 'जसबीर जयसवाल' का रोल पहले एक्ट्रेस मुमताज और फिर ज़ाहिदा को ऑफर किया पर दोनों ने मना कर दिया। फिर जब देव आनंद ने पहली बार ज़ीनत अमान को देखा तो उन्हें पहली नजर वो पसंद आ गईं। ज़ीनत अमान भी फिल्म में देव आनंद की बहन का रोल करने के लिए मान गईं।

हाताश-निराश ज़ीनत को देव आनंद ने समझाया

'हरे रामा हरे कृष्णा' फिल्म से पहले ज़ीनत अमान दो फिल्में 'हलचल' और 'हंगामा' कर चुकीं थी, जो फ्लॉप थीं। इस वजह से ज़ीनत अमान ने मन बनाया कि वो अपने मां के पास जर्मनी लौट जाएंगी, पर देव आनंद ने ज़ीनत अमान से कहा - 'फिल्म 'हरे राम हरे कृष्णा' के रिलीज़ होने तक तुम रुक जाओ।' जब 'हरे रामा हरे कृष्णा' रिलीज हुई तो ज़ीनत अमान रातोरात स्टार बन गईं। फिल्मफेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला।

ड्रीम गर्ल के बराबर खड़ी हुईं

फिर शोमैन राज कपूर की साल 1978 की फिल्म 'सत्यम शिवम सुंदरम' में ज़ीनत अमान ने एक गांव की लड़की रूपा का रोल किया तो सफलता के सभी मानक तोड़ दिए। उनके काम की तारीफ हुई। वक्त आया, वो ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी के बराबर सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस बनीं।

मैरिड लाइफ नहीं रही अच्छी

सबसे पहले एक्टर संजय खान के प्यार में गिरफ्तार हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों ने साल 1978 में शादी की। शादी के कुछ बाद से ही संजय खान ज़ीनत अमान से मारपीट करने लगे। इस वजह से शादी के एक साल के अंदर ही साल 1979 में ज़ीनत अमान ने संजय खान से तलाक ले लिया।

मजहर खान भी करते थे मारपीट

छह साल का वक्त गुजरा। ज़ीनत अमान ने साल 1985 में बी ग्रेड एक्टर मजहर खान से दूसरी शादी की। दो बेटे हुए – जहान खान और अजान खान। कुछ साल बीते इस शादी में झगड़े होने लगे। वजह थी कि मजहर खान, ज़ीनत अमान को फिल्मों में काम करने से मना करते। मजहर खान भी मारपीट करते। ज़ीनत अमान तलाक लेना चाहती थीं लेकिन उससे पहले ही किडनी में इन्फेक्शन की वजह से साल 1998 में मजहर खान दुनिया छोड़कर चले गए।

शर्म या डर मन में थावो खत्म हो चुका है

अपने विचार खुले तौर पर रखने वाली ज़ीनत अमान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, 'मैंने ऊंचाइयां भी देखी हैं और उतार-चढ़ाव भी देखा। न मेरे ऊपर कोई अहसान है और न ही मुझे किसी चीज का पछतावा। जो भी शर्म या डर मेरे मन में था, वो बहुत पहले ही खत्म हो चुका है। मेरी जिंदगी में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनसे जनता चिपकी रहती है और उसे बार-बार घसीटा जाता है। मेरा जीवन दशकों पहले हुए कुछ बुरे दिनों से परिभाषित नहीं होता। मुझे न बचाव की जरूरत है न ही किसी सहानुभूति की। मैं खुद में संतुष्ट हूं।'

साल 1971 से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाली ज़ीनत अमान आज भी बॉलीवुड में काम कर रहीं हैं।

सुनता सब की हूं लेकिन दिल से लिखता हूं, मेरे विचार व्यक्तिगत हैं।

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