पंजाब के जालंधर के नवांशहर गांव में लाला निहालचंद पुरी अपनी पत्नी वेद कौर के साथ रहते थे। इनके चार बेटे और एक बेटी थी। चार बेटों में तीन बेटे बॉलीवुड में एक्टर बने – पहले थे चमन पुरी, दूसरे मदन पुरी और तीसरे थे 22 जून, साल 1932 को जन्मे अमरीश पुरी। चार भाइयों में अमरीश पुरी तीसरे नंबर पर थे। दो सगे बड़े भाई और एक चचेरे भाई एक्टर और सिंगर केएल सहगल फिल्मों में काम करते थे। तो अमरीश पुरी को फिल्मों में एक्टिंग का शौक जागा। हीरो बनने मुंबई गए। लेकिन, स्क्रीन टेस्ट में फेल हो गए। फिर पेट पालने के लिए सालों दूसरी नौकरी की। लेकिन, फिल्मों का जुनून नहीं उतारा। और 40 साल की उम्र में फिल्मों में ब्रेक मिला।
आज कहानी बुलंद हस्ती, बेबाक अंदाज और दमदार आवाज के मालिक बॉलीवुड के सबसे बड़े विलेन अमरीश पुरी की। जो अपने शरीर को हेल्दी रखने के लिए डेली एक्सरसाइज करते थे लेकिन, एक हादसे ने इनका यही शरीर बेहद कमजोर कर दिया। और एक दिन उनका निधन हो गया।
अमरीश पुरी ने शुरुआती पढ़ाई पंजाब से की। बाद में शिमला के बीएम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। फिर फिल्मों में काम करने का ख्वाब लिए मुंबई चले गए। हीरो बनने के लिए स्क्रीन टेस्ट दिया। पर पास नहीं हो पाए। वजह थी उनकी पर्सनालिटी हीरो वाली नहीं थी। चेहरा पथरीला था। रोजी रोटी के लिए कुछ तो करना ही था। तो 'मिनिस्ट्री ऑफ लेबर' में जॉब करने लगे। लेकिन एक्टिंग का जुनून सिर से नहीं उतारा। साल 1961 में मशहूर थियेटर आर्टिस्ट सत्यदेव दुबे से जुड़े और पृथ्वी थिएटर ज्वाइन किया। करीब 10 साल तक थियेटर किया। वक्त के साथ, अमरीश पुरी एक फेमश थियेटर आर्टिस्ट बने। साल 1979 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी के अवार्ड से नवाजा गया।
साल 1970 की 'प्रेम पुजारी' और साल 1971 की 'हलचल' जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए। ऐसे ही एक दिन उनकी मुलाकात अपने दौर के दिग्गज एक्टर सुनील दत्त से हुई। वो साल 1971 में रिलीज हुई फिल्म 'रेशमा और शेरा' बना रहे थे। वो अमरीश पुरी से इतने प्रभावित हुए की फिल्म में बतौर विलेन कास्ट किया। 40 साल की उम्र में उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया। इसके बाद 'निशांत', 'मंथन', 'हम पांच', और 'भूमिका' जैसी फिल्में की। इन फिल्मों ने अमरीश पुरी को बतौर एक्टर गढ़ा।
बॉलीवुड में अमरीश पुरी को आए लगभग 15 साल हो चुके थे। उनकी उम्र भी लगभग 55 की हो चुकी थी। तभी उनको एक रोल ऑफर हुआ। जिसे एक्टर अनुपम खेर ठुकरा चुके थे। रोल था साल 1987 में रिलीज हुई फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में मोगैंबो का। जिसके बाद बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर आदमी की जुबान पर अमरीश पुरी का नाम चढ़ गया। मोगैंबो के रोल में अमरीश पुरी ने इस कदर जान डाली की वो बॉलीवुड के सबसे बड़े विलेन बन गए। अमरीश पुरी ने 35 साल के करियर में लगभग 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसे किरदार भी किए जो उनकी विलेन की छवि को तोड़ते हैं। साल 1995 की 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' और साल 1996 की 'घातक' जिसमें एक सशक्त पिता बनकर उन्होंने लोगों के दिलों को छुआ।
अमरीश पुरी की एक्टिंग का लोहा विदेशों में भी माना गया। दरअसल, विदेशों में लोग अमरीश पुरी को 'मोला राम' के नाम से जानते थे। उन्होंने साल 1984 में स्टीवन स्पीलबर्ग की 'फिल्म इंडियाना जोन्स एंड दि टेंपल ऑफ डूम' में मोला राम का रोल किया। इस फिल्म में अमरीश पुरी ने अपना सिर भी मुंडवा लिया था, लोगों ने उनके नए लुक को खूब सराहा। जिसके बाद उन्होंने अपनी निजी जिंदगी में भी ये लुक काफी वक्त तक रखा। अमरीश पुरी को टोपियों का बहुत शौक था। वो जहां भी जाते वहां से टोपियां खरीद लाते। इस वजह से उनके पास टोपियों का एक बड़ा संग्रह था।
डेली न्यूज पेपर पढ़ने के शौकीन अमरीश पुरी फिटनेस को लेकर बेहद सजग थे शायद ही कभी एक्सरसाइज करना भूलते। लेकिन आखिरी दिनों में उनका शरीर बेहद कमजोर हो गया। इसका कारण था एक हादासा।
एक इंटरव्यू में अमरीश पुरी के बेटे राजीव पुरी ने बताया था कि '2003 में हिमाचल प्रदेश में फिल्म 'जाल: द ट्रैप' की शूटिंग चल रही थी। वहीं पर पिताजी का एक्सीडेंट हो गया। गंभीर चोटें आईं। काफी खून बह गया। हॉस्पिटल में खून चढ़ाया गया तो कुछ गड़बड़ हो गई। इसी वजह से उन्हें खून से जुड़ी बीमारी हो गई।'
अमरीश पुरी धीरे-धीरे कमजोर होने लगे और उन्हें भूख लगनी कम हो गई।
राजीव पुरी के मुताबिक 'पिताजी बुरी तरह घबरा गए। लेकिन वो दृढ़ इच्छाशक्ति वाले थे। वो दुनिया को दिखाना चाहते थे कि कितने स्ट्रॉन्ग हैं। इतनी गंभीर बीमारी के बावजूद खुद को संभाला। दर्द में रहते हुई भी उन सभी फिल्मों को खत्म किया। जो उन्होंने साइन की थीं।’
अमरीश पुरी आखिरी दिनों में बिस्तर पर पड़े नहीं रहना चाहते थे। एक दिन बेटे राजीव ने तबियत के बारे में पूछा - अमरीश पुरी ने कहा - कल से बेहतर हूं।
लेकिन अगले दिन 12 जनवरी साल 2005 को ब्रेन हेमरेज से उनका निधन हो गया। इस शोक में दो दिनों तक फिल्म इंडस्ट्री बंद रही। उनकी आखिरी झलक पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी। लोग पेड़ों पर चढ़ गए।
कई सारे अवार्ड से सम्मानित अमरीश पुरी ने साल 1957 में उर्मिला दिवेकर से लव मैरिज की थी। उनके दो बच्चे हुए। अमरीश पुरी के निधन के बाद उर्मिला ने खुद को सबसे दूर कर लिया। कर्कश आवाज और तीव्र भाव के मालिक अमरीश पुरी को हम कभी नहीं भूल पाएंगे। उनके ग्रांडसन वरधान पुरी विरासत को आगे जाने के लिए फिल्मों में अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद में हैं।
Comment
0 comment